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 Devshayani Ekadashi :  जानें हरिशयनी एकादशी का महत्व, तिथि, मुहूर्त और एकादशी पंचांग  

Devshayani Ekadashi: Know the importance, date, Muhurta and Ekadashi Panchang of Harishayani Ekadashi

Devshayani Ekadashi: Know the importance, date, Muhurta and Ekadashi Panchang of Harishayani Ekadashi

Devshayani Ekadashi :

सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्।
विबुद्दे च विबुध्येत प्रसन्नो मे भवाव्यय।।
मैत्राघपादे स्वपितीह विष्णु: श्रुतेश्च मध्ये परिवर्तमेति।
जागार्ति पौष्णस्य तथावसाने नो पारणं तत्र बुध: प्रकुर्यात्।।

Devshayani Ekadashi :  आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवशयनी एकादशी एक बेहद महत्वपूर्ण एकादशी है. इसकी महत्ता कई बातों से खास होती है, जिसके चलते यह एकादशी उन कुछ एकादशियों में स्थान पाती है जब बदलाव का समय स्पष्ट रुप से देखने को मिलता है. इस एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु योग निद्रा को धारण करते हैं. इस दिन के पश्चात से आध्यात्मिक ओर धार्मिक रीतिरिवाजों में भी बदलाव होता है. यह समय साधना के लिए विशेष माना गया है और इस एकादशी के दिन किए जाने वाला व्रत-उपवास एवं अन्य धार्मिक कृत्य मोक्ष की प्राप्ति के लिए सहायक बनते हैं.

Devshayani Ekadashi :

 

देवशयनी एकादशी मुहूर्त समय 
देवशयनी एकादशी 2023 को 29 जून बृहस्पतिवार के दिन मनाई जाएगी.  एकादशी तिथि 29 जून को सुबह 03:18 बजे से आरंभ होगी और 30 जून शुक्रवार के दिन 02:42 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के आधार पर 29 जून का समय इस एकादशी के लिए होगा. देवशयनी एकादशी का पारण समय 30 जून 2023 को शुक्रवार के दिन होगा. पारण के लिए 01:48 से 04:36  पर होगा. इसके साथ ही पारण के समय हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 08:20 का होगा.

देवशयनी एकादशी पंचांग 
देवशयनी एकादशी के दिन स्वाती नक्षत्र 16:30 तक होगा. सिद्ध योग का समय 30 जून 03:44 तक रहेगा. सूर्य की स्थिति मिथुन राशि में होगी और चन्द्रमा तुला राशि में स्थित होगा. ब्रह्म मुहूर्त का समय 03:50 से 04:38 तक होगा. अभिजित मुहूर्त समय 11:57 से 12:52 तक रहेगा. विजय मुहूर्त 14:44 से 15:40 तक होगा. गोधूलि मुहूर्त 19:22 से 19:42  तक रहेगा.अमृत काल का समय 07:31 से 09:09 तक होगा. रवि योग का समय 05:26 से 16:30 तक रहेगा.

क्यों मनाई जाती है देवशयनी एकादशी 
देवशयनी एकादशी को हरिश्यन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. देवशयनी अर्थात देवताओं के सोने का और हरिशयनी अर्थात भगवान श्री विष्णु के शयन का समय. यही वह समय भी होता है जब चातुर्मास का आरंभ होता है, अत: इस एकादशी के दौरान कई विशेष बदलाव होते हैं ओर जीवन पर इन सभी का असर भी पड़ता है. अब इस समय खान पान से लेकर रहन सहन के तरीकों में बदलाव होता है ओर यह सभी बदलाव प्रकृति के साथ एक बेहतर तालमेल को दर्शाते हैं साथ ही व्यक्ति की चेतना पर असर डालते हैं.

देवशयनी एकादशी को कई नामों से जाना जाता है. यह पद्मा एकादशी के नाम से जानी जाती है, इसे आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है इसके अतिरिक्त हरिशयनी एकादशी के नाम से यह प्रसिद्ध है. पंचांग अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है. मान्यताओं के आधार पर इस दिन से श्री विष्णु जी का शयन होता है तथा भगवान शिव के पूजन का आरंभ हो जाता है क्योंकि इसके कुछ समय पश्चात भगवान शिव के प्रिय श्रावण माह का आरंभ होता है.

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