Site icon चेतना मंच

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वृक्ष पीपल का अदभुत महत्व है, अथ पीपल कथा

Ficus Religiosa

Ficus Religiosa

{ प्रवीणा अग्रवाल }

Ficus Religiosa : मैं पीपल हूं। आप सबके आस-पास उगा हुआ वृक्ष जिसे आप पहचानते तो हों, पर जानते नहीं। अगर जानते भी हैं तो मानते नहीं। जबकि मैं हिंदी में भी पीपल हूं और अंग्रेजी में भी पीपल ही हूं। मेरा वानस्पतिक नाम (Botanical name) जरूर थोड़ा भिन्न है फाइकस रिलीजियोसा (Ficus religiosa) मैं पिछले हजारों वर्षों से वैसा का वैसा ही हूं। पर तुम बदल गये हो! मैं सिंधु घाटी की सभ्यता में भी हूं और भारत के सबसे बड़े पुरस्कार “भारत रत्न” में भी उपस्थित हूं। महात्मा बुद्ध को मेरी ही छांव तले बोध (ज्ञान) प्राप्त हुआ और मैं महाबोधि वृक्ष हो गया। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए मैं सबसे पवित्र वृक्ष हूं। पर सांस्कृतिक दृष्टि से तो मैं तुम्हारा ही हूं। मैं वही पीपल हूं जिसके विषय में योगेश्वर श्री कृष्ण भगवद गीता में कहते हैं “अश्वत्थ सर्व वृक्षाणाम्” यह जो अश्वत्थ (संस्कृत में पीपल का नाम) है न मैं वही हूं। जिसे भगवान श्रीकृष्ण सभी वृक्षों में सर्वोपरि ,सर्वोत्कृष्ट स्वयं का स्वरूप बताते हैं। मैं वही पीपल हूं “देववृक्ष” जिसके विषय में स्कन्द पुराण में कहा गया है-

Ficus Religiosa

मूलत: ब्रह्म रूपाय मध्यतो विष्णु रूपिण:।

अग्रत: शिव रूपाय अश्वत्थाय नमो नम:।

मेरा मूल (जड़) ब्रह्मा का रूप है। मध्य भाग (तना) विष्णु रूप है और मेरा अग्र भाग (शाखा प्रशाखाएं एवं पत्तियां) शिवरूप है। मैं ब्रहमा, विष्णु, महेश त्रिदेवों का मूर्तिमान रूप हूं। इसीलिए मेरे विषय में यह कहा गया है कि “अश्वत्थ: पूजितो यत्र: पूजिता: सर्व देवता: (पीपल की पूजा सभी देवताओं की पूजा के समान है।) एक मात्र मेरी पूजा से ही सभी देवताओं की पूजा का सुफल प्राप्त होता है। पुराने समय में जन सामान्य में एक मान्यता थी कि मेरे वृक्ष में ब्रह्मदेव का निवास है। इसलिए आम लोग मेरे हरे -भरे वृक्ष को हानि पहुंचाने या काटने से पहले 100 बार सोचते थे। हमारी भारतीय नारियां जब कभी सोमवार के दिन अमावस्या की तिथि पड़ती थी तो उसे अपनी भाषा में सोमवती अमावस्या या सोमवारी अमावस कहती थीं। मेरे वृक्ष की पूजा करती और 108 बार मेरी परिक्रमा कर, 108 वस्तुओं का दान करती व व्रत करती। अरे तुम भी तो मॉडर्न होने का कितना भी ढोंग करो, शनि की ढैया के प्रकोप से त्राण पाने के लिए मेरे नीचे दिया जलाने आ ही जाते हो।

कहीं आपको ऐसा तो नहीं लग रहा है कि मैं आत्मश्लाघा (खुद की बड़ाई) में लीन हो गया हूं। तो मूल विषय पर ही आता हूं कि आखिर मेरी पूजा का क्या अर्थ है और क्यों होती है मेरी पूजा? आप शायद ही जानते हो, तो चलो मैं ही  बता देता हूं। मेरी पूजा का अर्थ है मेरे वृक्षों का रोपण उनका पोषण मेरे वृक्षों का विनाश रोकना और उनका संरक्षण करना। पर आप लाभ-हानि का गणित लगाये बिना कुछ करने से रहे तो मेरी पूजा क्यों होती रही है,इस पर भी चर्चा कर ही लेता हूं। मुझमें ब्रह्मदेव का वास है और ब्रह्म ही जीवन का सर्जक है। मैं इस सृजन में कैसे सहायक हूं? मैं प्राण वायु का संवाहक हूं। दिन हो या रात्रि मैं लगातार बिना रूके बिना थके प्राणवायु विसर्जन करता रहता हूं। आप पढ़े-लिखे आधुनिक लोग है। प्राणवायु  तो जानते हैं न। अगर नहीं तो मैं ही बता देता हूं कि मैं  ऑक्सीजन गैस की बात कर रहा हूं। जिसका मूल्य शायद आप लोग कोविड महामारी के समय समझ गए होंगे। पर केवल इतना ही नहीं आयुर्वेद में मेरी  छाल व पत्तियों का उपयोग कोष्ठबद्धता (Constipation) कफ, अस्थमा, डायबिटीज, ल्यूकोरिया, नकसीर एवं दांतों के इलाज में किया जाता है। मेरे पत्ते प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीज, कापर, एंटीबायोटिक, एंटीइन्फ्लेमेटरी, एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होते है।

मेरे वृक्ष पर जल चढ़ाने से पितृदोष से मुक्ति होती है। पितर तथा मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। मेरे वृक्ष को रोपने/लगाने से शनि की कृपा प्राप्त होती है।

आप सब कितने भी आधुनिक क्यों न हो जाये, पुरानी सारी मान्यताएं, सारे रीति-रिवाज भले ही आपको  अंधविश्वास लगे फिर भी आपको यह समझना होगा कि हमारे धार्मिक अनुष्ठान विज्ञान सम्मत हैं। जीवन की रक्षा के लिए, दीर्घायु होने के लिए, निरोग रहने के लिए जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है उसके सरंक्षण और संवर्धन का उददेश्य ही इन अनुष्ठानों के आयोजन का मूल कारण है। आज बस इतना ही। आखिर 1000 वर्ष का बूढ़ा हूं ,बातें करते करते थक गया हूं। बाकी बातें फिर कभी करूंगा। प्रणाम। नमस्कार। सतश्री अकाल । नमो बुद्धाय:

यूं ही नहीं हुआ राम से बड़ा राम का नाम, आप भी जान लीजिए राम के सारे गुण एक नजर में

देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।

देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें।

Exit mobile version