Tulsi Shaligram Marriage : तुलसी शालिग्राम विवाह का मुहूर्त शाम 5:28 से 5:55 का था। न कार्ड न ही कोई बुलावा भेजा था। लेकिन पता सब ही को था। तुलसी का पौधा, लाल रंग का वस्त्र, कलश, पूजा की चौकी, सुहाग की सामग्री, बिछुए, सिंदूर, बिंदी, चुनरी मेहंदी। मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, अमला पीर, मूली सीताफल, अमरुद, नारियल, कपूर, धूप, चंदन, केले के पेट, हल्दी की गांठ, कौन क्या लाया? कुछ पता नहीं। पर किसी भी मंदिर में एक वस्तु भी कम न थी। मंदिर में तुलसी के पौधे को लाल चुनरी उड़ा। 16 श्रृंगार का सामान उन्हें अर्पित किया गया था। कमरबंद, गले का हार, सब कुछ पीले फूलों से सजी माँ तुलसी।
भगवान शालिग्राम को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं, फूलों की मालाओं से सजाकर, पंचामृत केले और मिठाई का भोग लगाया और पूरे सेक्टर में फिर शालिग्राम की बारात बैंड बाजे के साथ शान से निकाली गई। इस बारात में सारे ही बाराती बिन बुलाए, भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप के बाराती थे। बल्कि श्रद्धालु तो समय ही देखते रहे कि कहीं मुहूर्त न निकाल जाए।
सभी बैंड पर भजनों की धुन पर नाचते झूमते चल रहे थे। जिस घर के आगे खड़े होते उनकी आरती होती। पीले फूलों के हार पहनाए जाते। उनको भोग लगाया जाता और ऐसे ही बाराती आगे बढ़ते जाते। श्रद्धालु इस उत्सव में सम्मिलित हो जीवन में सुख शांति की प्राप्ति के लिए कामना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि तुलसी माता को भगवान विष्णु का यह वरदान प्राप्त है कि जिस घर में तुलसी रहेगी वहाँ यम के दूत कभी भी असमय नहीं आएंगे। मृत्यु के समय यदि जाने वाले के मुंह में गंगाजल के साथ तुलसी का पत्र रख दिया जाए तो वह सभी पापों से मुक्त होकर बैकुंठ धाम को प्राप्त होता है। जो भी मनुष्य तुलसी व आमला की छाया में अपने पितरों का श्राद्ध करता है उसके पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिन युवाओं को इच्छित वर या वधू की कामना होती है भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Tulsi Shaligram Marriage :
नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) आए दिन सेक्टर-21 के स्टेडियम में सांस्कृतिक तथा धार्मिक उत्सव करता है। डॉ. लोकेश एम के अनुसार कारण लोगों को जोडऩा ही होता है। इसी प्रकार से हर सेक्टर में कुछ ऐसे व्यक्ति भी अवश्य होते हैं जो कि पूरे सेक्टर को धार्मिक उत्सवों के जरिए जोडऩे का कार्य करते हैं। वैसे तो ईश्वर को किसी के संरक्षण की आवश्यकता नहीं है भगवान तो सबको संरक्षण देते हैं फिर भी किसी न किसी को निमित्त बना देते हैं जो कि उनके घर यानि के मंदिर की पूरी देखभाल तथा नियमित कार्यों की जिम्मेदारी बहुत श्रद्धा से निभाते हैं जैसे कि सेक्टर-11 में श्रीमती वीणा एवं के.एल. गहरोत्रा, नोएडा सेक्टर-56 मंदिर में हरीश सबभरवाल, जीएम सेठ एवं गुरिन्दर बंसल इन्हीं के निर्मल मन सब को जोड़ रहे हैं।
कोरोना आया कुछ भी आया-गया वे अपने मंदिर में सदा पूजा करते हैं। यही कारण है कि जब भी मंदिर का कोई उत्सव होता है सेक्टर निवासी पूरे जोर-शोर से उन उत्सवों में भाग लेते हैं। तुलसी के पौधे का इतना श्रृंगार, आंवला एकादशी इन श्रद्धालुओं के पर्यावरण प्रेम को और दृढ़ करता है। बच्चे, युवा, गृहस्थ जिसके मन में कुछ भी समस्याएं हैं भगवान विष्णु से उनके इस विवाह के उत्सव पर अपनी व्यथा कह लेते हैं। क्योंकि आज के दिन भगवान विष्णु का वृंदा जो कि तुलसी के रूप में उगीं थीं उनको पूजने वालों की हर व्यथा सुनेंगे का आशीर्वाद है। जिनके घर में बेटी नहीं है वे तुलसी का कन्यादान करके संतोष पाते हैं। क्योंकि भगवान को निर्मल मन ही भाता है। कपट, छल, छिद्र नहीं ये ही कारण है कि उत्सव प्रिय हिन्दू अपनी निर्मल वृति से उत्सव हर वर्ष मनाते हैं। Tulsi Shaligram Marriage :
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