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मकर संक्रांति: सूर्य देव के उत्तरायण होने का विशेष समय,जानें इस दिन की महत्ता

makar sankranti celebration

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makar sankranti celebration : सूर्य के उत्तरायण होने का पर्व मकर संक्रांति के रुप में भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस समय को उत्तरायण, पोंगल संक्रांति इत्यादि के नाम से जाना गया है क्योंकि इस दिन से ही सूर्य की स्थिति दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगती है. इस दिन को धर्म शास्त्रों में अत्यंत ही विशेष माना गया है.

माघ संक्रांति का त्योहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. शास्त्रों में ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य अपनी शुभ गति से बढ़ता है. इस दिन को अलग-अलग राज्यों में अपने-अपने तरीके से मनाया जाता है. इस दिन धार्मिक गतिविधियों का अपना ही महत्व होता है .

मांगलिक कार्यों का शुभारंभ है उत्तरायण  

मकर संक्रांति का महत्व
इस दिन को अत्यंत शुभ समय के रुप में देखा गया है. शास्त्रों में उत्तरायण को बहुत शुभ माना गया है और इसे देवताओं का समय भी कहा जाता है. इसी दिन से शुभ कार्यों के आगमन का समय होता है. मांगलिक कामों का समय भी उत्तरायण के साथ शुरु हो जाता है.

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पौराणिक मान्यताओं का आधार है माघ संक्रांति

शास्त्रों में इस दिन से संबंधित बेहद विशेष कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है जिसमें भीष्म पितामह ने बाणों की शय्या पर लेटकर उत्तरायण की प्रतीक्षा की थी तथा सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही अपने प्राण छोड़ते हैं. इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि की राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस दिन खिचड़ी दान करना और सेवन करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.

ज्योतिष अनुसार उत्तरायण का महत्व 

ज्योतिष अनुसार इस दिन का विशेष महत्व रहा है. उत्तरायण को प्रकाश का पर्व भी कहा जाता है.  इस समय पर सूर्य की गति में बदलाव होता है.  शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य का उत्तरायण पर्व होता है. ज्योतिष अनुसार उत्तरायण का अर्थ है सूर्य का उत्तर की ओर बढ़ना या गमन करना. इसी कारण से यह समय सूर्य संक्रांति के पर्व के साथ मकर संक्रांति एवं उत्तरायण पर्व के नाम से भी जाना जाता है.

इस दिन से सभी चीजों की नकारात्मकता का अंत भी माना गया है. इसके प्रभाव से जीवन में सुख एवं समृद्धि होती है. इस समय को पुण्य काल कहा जाता है और इस दौरान दान, यज्ञ और शुभ कार्य आदि शुभ माने जाते हैं.
आचार्या राजरानी

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