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Meditation : इन दो विधियों से करें भगवान शिव का ध्यान, पूरी होगी हर मनोकामना

Meditation: Meditate on Lord Shiva with these two methods, every wish will be fulfilled

Meditation: Meditate on Lord Shiva with these two methods, every wish will be fulfilled

ध्यान का महत्व :

 

Meditation : ध्यान, किसी भी पूजा-पाठ या व्रत की आत्मा होती है। यदि पूजा पाठ के साथ भक्ति में हम ‘ध्यान’ का समावेश करें तो हम अपने आराध्य देव को बहुत आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं लेकिन ध्यान के सही तरीके का ज्ञान न होने से साधक इस लाभ से वंचित रह जाते हैं। बहुत लोगों से अक्सर ऐसे प्रश्न सुनने को मिलते हैं, जैसे ध्यान कैसे करें? ध्यान का सही तरीका क्या है? हम ध्यान और योग पर आचार्य प्रशांत और ओशो जैसे आध्यात्मिक लोगों के विचार को भी पढ़ते और समझते हैं। कहा गया है, “योग और ध्यान परमात्मा तक पहुंचने का रास्ता है।” चलिए इसे समझते हैं।

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Meditation :

 

प्रिय पाठकों, सनातन धर्म में तैंतीस कोटि देवी देवताओं का महत्व है, लेकिन पशुपति नाथ भगवान शिव का स्थान देवों के देव महादेव के रुप में शीर्ष पर आता है। अतः चेतना मंच के इस लेख में हम भोलेनाथ शिव जी की आराधना के साथ, ध्यान के ऐसे दो तरीके बताने वाले हैं जिसे अगर आप सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ करें तो आपकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जायेगी। आपको बता दें, भगवान भोलेनाथ को बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवों में से एक माना जाता है। यहां तक की राक्षस भी उन्हें अपनी तपस्या या अपने ध्यान से बड़ी आसानी से प्रसन्न कर लेते थे और उनसे मनचाहा वरदान पा लेते थे। शिव पुराण में बताया गया है कि दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करने पर भगवान भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं। अतः उनकी विधिवत पूजा के बाद उन्हें प्रसन्न करने के लिए ध्यान के इन तरीकों का अनुसरण करें।

1 . त्राटक साधना : त्राटक साधना का अर्थ है, एक टक निहारना। अतः अपने आराध्य देव को एक टक लंबे समय तक बिना पलक झपकाए देखते हुए सिर्फ उनका ही ध्यान करें। इस साधना से ना सिर्फ मन को शांति मिलेगी बल्कि मन के कई विकार दूर हो जायेंगे और भक्त, अपने भगवान से सीधा जुड़ाव महसूस करेंगे। त्राटक अभ्यास से स्मरण शक्ति में अप्रत्याशित सुधार होता है। अतः यदि कोई विद्यार्थी इस ध्यान को करे तो निश्चित तौर पर उन्हें अपने पाठ याद करने में भी सहायता मिलेगी इसलिए इस साधना को गुरु योग भी कहा जाता है। पूर्व के समय में कठिन त्राटक अभ्यास से ऋषि-मुनि मन की अवचेतन शक्ति को जगा लेते थे और मस्तिष्क की शक्ति से बड़े बड़े चमत्कार कर जाते थे। त्राटक साधना की प्रक्रिया इस प्रकार है, सर्वप्रथम त्राटक अभ्यास के लिए आप अपने आराध्य देव भगवान शिव की तस्वीर सामने रखें। आसन पर पूरी तरह सीधी और योग मुद्रा में बैठ जाएं। कमरे में ठीक-ठाक रोशनी का प्रबंध जरूर रखें ताकि आपको आराध्य देव को देखने और मनन करने में कोई समस्या न हो। अब भगवान शिव की तस्वीर को बिना पलक झपकाए, शांत मन से देखें और उनकी कल्पना करें। पलक झपकते ही ध्यान रोक दें, अगले दिन फिर इसका अभ्यास करें।

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2. मंत्र साधना : मंत्र की ध्वनि, मस्तिष्क के स्पंदन में सहायक होती है। भगवान शिव की साधना मंत्रों से भी की जाती है। साधक, भगवान शिव की विधिवत पूजा के बाद उनके समक्ष योग मुद्रा में बैठ कर खुद को शून्य में महसूस करें और धीरे धीरे ॐ नमः शिवाय का जाप शुरू करें। 5 से 10 मिनट तक मंत्र साधना करने के बाद आप स्वयं को हल्का महसूस करने लगेंगे और शरीर में नई ताजगी का अनुभव कर पाएंगे। शैव परंपरा में माना जाता है कि भगवान शिव पूरी सृष्टि के ऊर्जा के केंद्र हैं। चूंकि ॐ शब्द भगवान शिव का सूचक है, अतः इस मंत्र साधना से न सिर्फ भगवान प्रसन्न होंगे बल्कि आपको मानसिक शांति के साथ साथ असीम ऊर्जा का भी अनुभव होगा।

ऐतिहासिक तथ्य : भारतीय संस्कृति और सभ्यता के कुछ जानकार विद्वान एवं पुरातत्वविद बताते हैं कि इतिहास में भगवान शिव की पूजा का प्रमाण हड़प्पा काल से ही नजर आता है। हड़प्पा की खुदाई में पशुपति नाथ महादेव की कई ऐसी मूर्तियां आई है जो बताती है कि आज से 10 हजार साल पहले भी भगवान शिव की पूजा हुआ करती थी। प्रिय पाठकों, हम सब जानते हैं कि भगवान शिव आदि-गुरु हैं। वे इतिहास की सभी सीमाओं से परे हैं। जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा और हृदय से भगवान शिव से जुड़ जाता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

आशा करता हूं कि ये लेख आपको अच्छा लगा होगा। इसी तरह की और भी ज्ञानवर्धक जानकारी हेतु जुड़े रहें चेतना मंच के साथ…!

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