Shab-e-Barat 2024 : इस साल शब-ए-बारात 25 फरवरी (25th February) को मनाया जाएगा। मुसलमानों के लिए शब-ए-बारात फजीलत और इबादत की रात होती है। शब-ए-बारात के दिन हर मुस्लिम अल्लाह तबारक व तआला से अपनी गुनाहों की माफी मांगता है। शब-ए-बारात के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग पूरी रात जागकर नमाज़ अदा करते हुए अल्लाह तबारक व तआला से अपनी गुनाहों की मांफी मांगते हैं। क्योंकि शब-ए-बारात की रात अल्लाह की रहमत बरसती है जिसका हर मुसलमान को बेसब्री से इंतजार रहता है।
Shab-e-Barat 2024
ऐसा माना जाता है कि शब-ए-बारात ( Shab-e-Barata) की रात मुसलमानों द्वारा की गई सभी गुनाहों का हिसाब-किताब करके उनकी आगे की तकदीर का फैसला लिया जाता है। शब-ए-बारात की रात जो शख्स अल्लाह से अपने गुनाहों की मांफी मांग फिर कभी गुनाह न करने का वादा करता है अल्लाह उसे माफ कर देते हैं। इसलिए शब-ए-बारात को मग़फिरत की रात भी कहा जाता है।
कैसे मनाया जाता है शब-ए-बारात?
शब-ए-बारात (Shab-e-Barat) गुनाहों से तौबा और इबादत करने की रात है। शब-ए-बारात के दिन की शुरूआत रोज़े से होती है। फजर की अज़ान के बाद रोज़े रखकर नमाज़ अदा किया जाता है। इस दिन शाम के समय बुजुर्गों के कब्र में जाकर अगरबत्ती जलाकर उनके गुनाहों की माफी मांगी जाती है और हैसियत के मुताबिक खैरात करना होता है। शब-ए-बारात के खास पर्व पर मुस्लिम समुदाय के लोगों के घरों में तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान जैसे सूजी का हलवा, चने का हलवा, दोस्ती रोटी, रुआफजा शर्बत, जलेबियां,कतलियां आदि बनाकर फातियां करवाया जाता है और आस-पास के घरों में बांटा जाता है। शब-ए-बारात के दिन शाम होते-होते गली-मौहल्ले में रौनक नज़र आने लगती है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर व्यक्ति इस दिन कुर्ता पायजामा और टोपी में नज़र आता है। शब-ए-बारात की रात में शहर के कई जगहों पर जलसे, मिलाद आदि का आयोजन किया जाता है जिसमें पूरी रात धार्मिक बातें बताई जाती हैं। इस रात सब इकट्ठा होकर एक साथ नमाज़ अदा करते हैं और पूरी रात क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत करके अल्लाह तबारक व तआला से अपनी गुनाहों की माफी मांगते हैं।
तकदीर तय करती है शब-ए-बारात
शब-ए-बारात की रात मुस्लिमों के लिए सबसे अहम रात होती है क्योंकि यह रात गुनाहों से तौबा करने और अल्लाह की इबादत करने की होती है। ऐसा कहा जाता है कि शब-ए-बारात (Shab-e-Barat) की रात तकदीर तय करने वाली रात होती है। इस दिन मुस्लिम समाज के लोग अपनी गुनाहों की माफी मांगकर गुनाहों से तौबा करते हैं और अल्लाह से आने वाले समय में किसी भी तरह की कोई गलती न करने का वादा करते हैं। शब-ए-बारात की रात लोगों को उनकी आखिरत सवांरने का मौका देती है। इस दिन मस्जिदों और कब्रों को सजाया जाता है। शब-ए-बारात के दिन मुसलमान बुजुर्गों की कब्र में जाकर अल्लाह तआला से उनके हक में दुआएं मांगते हैं और उनके नाम से मिलाद करवाते हैं।
शब-ए-बारात की रात की खासियत क्या है?
शब-ए-बारात (Shab-e-Barat) की रात में मुसलमान मर्द मस्जिदों में जाकर नमाज़ अदा करके क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत करते हुए अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं वहीं औरतें घर पर रहकर इस रिवाज़ को पूरा करती हैं। इस्लाम धर्म के मुताबिक शब-ए-बारात की रात अल्लाह तबारक व तआला अपने बंदों से उसकी गुनाहों का हिसाब लेते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग तमाम गुनाह करके दोज़ख़ में जीते हैं उन लोगों को भी इस दिन गुनाहों की माफी मिल जाती है और दोज़ख़ से जन्नत भेज दिया जाता है।
शब-ए-बारात का रोज़ा क्यों रखा जाता है?
शब-ए-बारात की रात बरकत और रहमत की रात होती है। मग़फिरत की रात के अगले दिन मुसलमान समाज के लोग दो दिनों का रोज़ा रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो शब-ए-बारात (Shb-e-Barat) के दो रोज़े रखते हैं अल्लाह उनके एक साल के सभी गुनाहों को माफ कर देते हैं।
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