Shiva Chaturdashi fast शिव चतुर्दशी का व्रत 25 दिसंबर 2023 को किया जाएगा। इस दिन को भगवान शिव के पूजन हेतु महत्वपूर्ण माना गया है। भगवान शिव का चतुर्दशी के दिन पूजन द्वारा नकारात्मक प्रभाव एवं रोग दोष शांत हो जाते हैं। चतुर्दशी पूजन समस्त प्रकार के ग्रह दोषों को शांत करने हेतु विशिष्ट होता है। इस दिन शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है तथा शिव मंत्रों के जाप द्वारा पूजन होता है।
पूजा में श्रीफल और फलों का रस चढ़ाना होता है शुभ
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए, इसके बाद किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए। इस दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक भी बहुत फलदायी होता है। इस दिन शिवलिंग पर दूध, जल, बेल पत्ते, भांग, धतूरा इत्यादि को अर्पित करते हैं। पूजा में श्रीफल और फलों का रस अवश्य चढ़ाना शुभ होता है। व्रत के साथ ही शिव पुराण, शिव चालीसा आदि का जाप करने से बहुत लाभ मिलता है। इस दिन पूजा द्वारा पितर दोष भी दूर होते हैं। आर्थिक परेशानी दूर होती है।
Shiva Chaturdashi fast
मार्गशीर्ष माह में शिव चतुर्दशी पूजन
हर माह में चर्तुदशी तिथि को शिव पूजा की जाती है. दिसंबर माह में 25 तारीख, सोमवार को मनाई जाएगी. मान्यता है कि इस दिन का व्रत रखने और भगवान शिव की आराधना करने से साधक की सभी समस्याएं दूर होती हैं. इस व्रत को करने से मनोवांछित सुख की प्राप्ति होती है. दांपत्य में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं. पुराण में भी इसे सभी इच्छाएं पूर्ण करने वाला व्रत बताया गया है.
शिव चतुर्दशी पूजन मंत्र जाप
शिव चतुर्दशी के दिन शिवलिंग को स्नान कराया जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और खास अनुष्ठानों में से एक है और इसे सभी वैदिक ग्रंथों में सबसे बड़ी आध्यात्मिक पूजा के रूप में जाना जाता है। इस पूजा को करने से स्वास्थ्य, धन और सुख मिलता है और दुश्मनों से रक्षा प्राप्त होती है।
नकारात्मकता दूर होती है
नकारात्मकता एवम बुराई से सुरक्षा मिलती है। इस शुभ दिन पर सबसे पहले शिव भगवान को वैदिक मंत्रों से पूजा जाता है। रुद्राभिषेक मंत्र के रूप में शिव पूजन होता है। शिव चतुर्दशी के दिन शिवलिंग पूजन के साथ कुछ मंत्रों का जाप उत्तम होता है। साधक भगवान का अभिषेक करते हैं और मंत्रों के जाप द्वारा पूजा को फलिभूत करते हैं। आइये जान लेते हैं कुछ मंत्रों को जिन्हें जपने से फायदा होता है।
- नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्
- निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्
- निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्
- करालं महाकाल कालं कृपालं. गुणागार संसारपारं नतोऽहम्
- तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम्
- स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा
- चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्
- मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि
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