Shrap ka Mahtav : आपने रामायण और महाभारत आदि पौराणिक ग्रंथों में श्राप दिए जाने और उसके फलिभूत होने के बारे में तो बहुत पढ़ा होगा। रामायण में श्रवण कुमार के पिता ने दशरथ को श्राप दिया था, जिस कारण दशरथ मृत्यु के समय पुत्र वियोग में तड़पे थे। महाभारत में भगवान परशुराम ने कर्ण को श्राप दिया था, जिस कारण कर्ण युद्धभूमि में अपनी सभी शक्तियों को भूल गए थे। लेकिन सवाल यह है कि क्या कलियुग यानि कि वर्तमान समय में श्राप दिया जा सकता है और वर्तमान में उसका क्या फल भुगतना पड़ सकता है।
Shrap ka Mahtav
कलियुग में श्राप दिए जाने को लेकर हिन्दुओं के प्रसिद्ध ग्रंथ विष्णु पुराण में विस्तार से बताया गया है। विष्णु पुराण के बारे में जानकारी देते हुए महामंडलेश्वर संत कमल किशोर कहते हैं कि चार कालखंड हैं। सतयुग, त्रेतायुग, द्वारयुग और कलियुग। सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग बीत चुके हैं और वर्तमान में कलियुग चल रहा है। कलियुग को लेकर विष्णु पुराण में काफी उल्लेख मिलता है।
संत कमल किशोर बताते हैं कि कलियुग में जैसे जैसे समय गुजरेगा, वैसे वैसे ही मानव अधिक पापी होता चला जाएगा। इसलिए कलियुग में किसी को भी श्राप देना अनुचित है क्योंकि कलियुग में कोई भी मनुष्य पूर्णतया: श्रेष्ठ नहीं है। सभी मनुष्यों ने कभी ना कभी मन, वचन, कर्म से किसी ना किसी को चोट पहुंचाई है।
शास्त्रों के अनुसार, झूठ बोलना भी पाप की श्रेणी में आता है। कलियुग में मनुष्य के कर्महीन होने के कारण उनके द्वारा कही गई बातें सच नहीं होती हैं। कर्महीन होने के कारण मनुष्य के तपोबल में कमी आई है, जिसके कारण कलियुग में किसी पर भी श्राप का असर नहीं होता है।
कलियुग में बढ़ रहा पाप
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार कलियुग का प्रारंभ आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व माना जाता है और इसकी अवधि कई लाख वर्ष है। ग्रंथों के अनुसार, पहले ऋषि-महात्मा के पास अपार शक्तियां होती थीं, जिनका वे दुरूपयोग नहीं करते थे, इसलिए उनके द्वारा दिया गया श्राप का असर भी होता था, लेकिन कलियुग में पाप अपने चरम पर है, जिसके कारण श्राप का कोई असर नहीं होता है।
देव दीपावली पर क्यों जरूरी है दीप दान,जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।
देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।
Advertisement