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प्रेम-पत्र में छिपा है करवा चौथ का पूरा रहस्य

Karva Chauth

Karva Chauth

Karva Chauth 2024 : करवा चौथ का पर्व एक महान और पवित्र पर्व है। पति-पत्नी के रिश्तों में करवा चौथ (Karva Chauth) का पर्व सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। करवा चौथ के पावन पर्व के बीच में भी बाजारवाद की एंट्री हो गई ह। बाजारवाद ने करवा चौथ के पावन पर्व की पवित्रता को छोटा करने का प्रयास किया है। कितना भी प्रयास क्यों ना कर लिया जाए करवा चौथ के पर्व को कमतर करना बिल्कुल भी संभव नहीं है।

Karva Chauth 2024

करवा चौथ पर हावी होता हुआ बाजारवाद

भारत की महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जा रहा है। करवा चौथ (Karva Chauth) को लेकर सोशल मीडिया में अनेक मीम्स और वीडियोज चल रहे हैं। कोई पत्नी को भूखी शेरनी बता रहा है तो कहीं पत्नी पति से शॉपिंग की गुहार लगा रही है। लहंगा साड़ी जेवरात की मांग कर रही है। भारतीय समाज के सबसे पवित्र और आधारभूत रिश्ते के बीच बाजार ने एंट्री कर ली है। त्योहार के बहाने हर एक कुछ न कुछ बेच रहा है। बिंदी, चूड़ी से लेकर सॉलिटेयर तक। यह मजाक ऐसे लगते हैं जैसे एक साजिश हो रही है विवाह संस्कार को समझौते में बदल देने की और विवाह संस्था को छिन्न-भिन्न कर देने की। इसी माहौल में हमारी एक महिला पाठक ने हमें लिख भेजा है करवा चौथ के अवसर पर एक अनोखा प्रेम-पत्र। इस प्रेम पत्र को पढक़र पति-पत्नी के प्रेम तथा करवा चौथ के रहस्य को आप अच्छे से समझ जाएंगे।

Karva Chauth 2024 :

करवा चौथ पर पत्नी का प्रेम-पत्र

प्रियतम,
जब मेरा तुम्हारा विवाह हुआ तो मैं जैसे आशंकाओ और दुविधाओं के झूले में झूल रही थी। पता नहीं सब कुछ कैसा होगा ?नया घर, नया परिवार, नए लोग ,नया परिवेश,इन सब के साथ मैं कैसे सामंजस्य बैठाऊंगी।यद्यपि विवाह के समय सहेलियां ईर्ष्यालु हो रही थी, जल रही थी मेरे भाग्य पर कि हाय कितना हैंडसम है तुम्हारा पति। किंतु मैं आने वाले भविष्य से आशंकित -आतंकित डरी सहमी विवाह मंडप में पहुंची थी।
किसी रस्म के निर्वहन, शायद शुभ दृष्टि, के दौरान मेरी नजऱें तुमसे मिली और फिर क्या हुआ मुझे नहीं पता । ऐसा लगा आंखों ने आंखों की भाषा पढ़ ली और नेह का बंधन बन्ध गया। मन ने ढेर सारी कल्पनाएं कर तुम्हारी एक मूरत गढ़ ली, जो आज भी मेरे हृदय मंदिर में विराजमान है। मौन ,मूक नि:शब्द कैसा आश्वासन दिया था तुमने की सारी आशंकाएं तिरोहित हो गयी, सारी दुविधाओं का अंत हो गया। मैं शून्य से अनंत हो गई। सारा परिदृश्य आंखों से ओझल हो गया और रह गए उल्लास आल्हाद एवं आत्मविश्वास से चमकते दो नयन ,जो कह रहे थे परेशान क्यों हो मैं हूं ना। मेरे समक्ष बिखरा बिखरा सब कुछ जैसे लयबद्ध और संगीतमय हो गया और हम जैसे जन्मों के मीत हो गए। डीजे के स्वर जो अभी तक कर्ण भेदी लग रहे थे ऐसा लगा मेरे चारों ओर अनहद नाद बजने लगा। सात फेरे फिजिकल एक्शन (शारीरिक क्रिया) है पर उसका कितना बड़ा केमिकल रिएक्शन (रासायनिक प्रतिक्रिया )इंसान के मन मस्तिष्क में होता है इसे मैं तो समझ पायी पर शायद ही दुनिया का बड़े से बड़ा वैज्ञानिक इसका उत्तर दे सके।

Karva Chauth 2024 :

विवाह के इतने वर्षों बाद भी ऐसा लगता है जैसे इंद्रधनुष के सातों रंग मेरे चारों ओर बिखरे हुए हैं ,चारों ओर फूल ही फूल खिले हुए हैं ।कभी-कभी प्रेम- आकाश मेघाछन्न भी हो जाता है और कभी-कभी कांटे भी चुभ जाते हैं पर हमारे बीच का उत्कट प्रेम सुख -दुख की पगडंडियों से गुजरता हुआ मंजिल की ओर अग्रसर है।तुम सोचोगे कि पत्र क्यों लिखा है हम तो हर वक्त साथ-साथ रहते हैं । पर आज करवा चौथ के इस पवित्र मौके पर तुम्हें यह पत्र इसलिए लिखा है कि प्राय: प्रेम की अभिव्यक्ति में मैं चूक जाती हूं जता नहीं पाती कि मैं तुम्हें कितना प्रेम करती हूं। इसीलिए अपने मनोभावों का तुम तक संप्रेषण करने के लिए मुझे पत्र लिखना ही उपयुक्त लगा।
यह जो चांद है ना जिसकी पूजा करवा चौथ पर करते हैं यह तो केवल प्रतीक है ।  मैंने यह जो सितारों वाली चुनरी ओढ़ रखी है ना यह भी प्रतीक है हमारे नभ से विस्तृत प्रेम का जिसमें तमाम सितारे जड़े हैं सुख के दुख के हर्ष के विषाद के सफलताओं के असफलताओं के आशाओं के नैराश्य के पर जो आकाश की तरह ही अनादि और अनंत है। इस प्रेम आकाश का चांद तो तुम ही हो ।तुम चमकते रहना सदैव जन्म- जन्म तक और आलोकित करते रहना हमारे जीवन पथ को। मैंने चांद को छलनी से ढक दिया है कि उसे कहीं नजर न लग जाए और यह जो जल अर्पित कर रहे हैं ना वह भी प्रतीक है कि प्रेम की बगिया पुष्पित और पल्लवित होती रहे उसके लिए अर्घ्य देना होता है अहम का और समर्पण का। तुम मेरे मौन को भी समझते रहे हो तुम मेरी अभिव्यक्ति को निश्चित ही समझोगे। Karva Chauth 2024 :
– तुम्हारी प्रियतमा

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