Kalpvas 2024 : हिंदू धर्म मे कल्पवास का मतलब व्रत,सत्संग,पूजन और ध्यान होता हैं ।प्रयागराज मे संगम के तट पर निवास करने वाले साधू संत और सन्यांसी सभी प्रवासी बन कर रहतें हैं । इस वर्ष कल्पवास 25 जनवरी 2024 से शुरु हो चुका हैं । पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक एक माह तक कल्पवास होता हैं ।
एक माह तक टेंट सिटी बनाकर होता है कल्पवास
सनातन धर्म मे माघ का महीना बहुत ही पावन महीना माना जाता हैं । पौष की पूर्णिमा से लेकर माघ की पूर्णिमा तक कल्पवास होता है । बहुत से लोगो को कल्पवास के बारें मे खास जानकारी नही होती हैं । इस कल्पवास के दौरान संगम की रेती पर सभी साधू संत, टेंट सिटी बसा कर एक माह तक वास करते हैं ,जिसे कल्पवास कहा जाता हैं । इस पूरे एक माह वे भगवान शिव का पूजन ध्यान और वंदन करते हैं । कल्पवास में सभी साधू संत अपना सारा ध्यान आत्मा की शुद्धि और आत्म साक्षात्कार मे लगाते हैं और ध्यान में लीन हो जातें है ।
कब शुरु होता हैं कल्पवास ?
25 जनवरी 2024 पौष पूर्णिमा से शुरु होने वाला ये कल्पवास माघी पूर्णिमा 24 फरवरी 2024 यानी पूरे एक माह तक चलेगा। इस कल्पवास के दौरान लोग संसारिक सुखों को त्याग देते है और तपस्या ध्यान साधना मे लीन हो जातें है । संगम की रेती पर बने टेंट सिटी मे बसे कल्पवासी भी पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ संकल्प लेकर कल्पवास शुरु कर चुके हैं । इस कल्पवास के दौरान उनकी दिनचर्या नियमित और संयमित होती है।
कौन करता है कल्पावास ?
कल्पवास मे एक माह तक सभी संगम के तट पर जीवन यापन करते हैं ।संगम तट पर सरकार की तरफ से खासी व्यवस्था होती हैं । यहां टेंट सिटी मे हजारों की संख्या मे लोग आकर रहतें हैं । इनमे ज्यादातर वृद्धावस्था के लोग होते हैं । प्रतिदिन सभी कल्पवासी सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान ध्यान करते हैं ।इसके बाद पूरे दिन स्नान पूजा पाठ सत्संग चलता रहता है । यह प्रक्रिया पूरे एक माह तक चलती रहती है । यह एक प्रकार का सात्विक जीवन होता है । गृहस्थ जीवन वाले भी एक तरह से संसारिक सुखो का त्याग कर यहा अध्यत्मिक जीवन जीते हैं । लोगो मानना है कि इस प्रकार उन्हे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं । इसी कामना को लेकर लोग गृहस्थ जीवन छोड़ कर संगम के तट पर जीवन यापन करते हैं । सामान्य व्यक्ति के लिये कल्पवास का मतलब सुख शांति प्राप्त करना है ।
कल्पावास के नियम :
किसी योग्य गुरु से सलाह लेकर कल्पवास शुरु करना चहिये।
कल्पवास के दौरान तामसिक भोजन का त्याग करना चहिये। सिर्फ सात्विक भोजन करना चहिये।
जब तक कल्पवास का समय पूर्ण ना हो साधक को नियम संयम से रहना चाहिये । मांस मदिरा का सेवन नही करना चाहिए ।
कल्पावास के दौरान झूठ बोलने से बचना चाहिये ,सभी के प्रति दया की भावना रखनी चाहिये ।
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