Basant Panchami 2024 : माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाते हैं । इसे मदन उत्सव भी कहा जाता हैं । यह त्यौहार ठंड की विदाई और बसंत के आगमन के रूप मे मनाया जाता हैं । बसंत पंचमी मे ज्यादातर लोग पीले कपड़े पहन कर पूजा करना पसंद करतें हैं । पीला रंग अध्यात्म का रंग होता हैं ।ये दिन माता सरस्वती की पूजा के लियें खास होता हैं ।
बसंत पंचमी का त्यौहार पूरे भारतवर्ष मे धूमधाम से मनाया जाता हैं । इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा का खास महत्व हैं । मां सरस्वती विद्या, बुद्धि और कला की देवी हैं। मां सरस्वती की पूजा मे पीले रंग के फूल,पीली मिठाई,पीले वस्त्र,पीले फल चढ़ाने की परंपरा हैं ।इस साल 14 फरवरी 2024 को बसंत पंचमी मनाई जाएगी। इस दिन मां सरस्वती की पूजा मे पीले रंग की चीजें अर्पण करने से मां प्रसन्न होती हैं और सबको विद्या,बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं । आइये जानते हैं पूजा मे पीले रंग क्यों है इतना खास।
बसंत पंचमी मे पीला रंग क्यों होता हैं खास:
Basant Panchami 2024
जब बसंत ऋतु का आगमन होता हैं तो धरती ने मान लो पीली चुनर ओढ़ लेती है । सूर्य के उत्तरायण होने के कारण सूर्य से निकलने वाली किरणों से पृथ्वी पीली हो जाती हैं । खेतों मे चारों तरफ पीली सरसो ऐसे लगती है की मानो जैसे किसी ने पीले रंग भर दिये हो ।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पीला रंग आत्मविश्वास को बढ़ाता है हमारे अंदर के तनाव को कम करता हैं । पीला रंग हमारे मस्तिष्क को मजबूत करता हैं और हमे खुश रहने मे मदद करता हैं । पीला कपड़ा पहनने से हमारी कुंडली मे बृहस्पति की स्थिति मजबूत होती हैं । पूजा मे चढ़ाया जाने वाला पीला फल भी हमे कई प्रकार की बिमारियों से बचाता हैं ।
पूजा में माता सरस्वती को क्या चढ़ाए :
बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें । पूजा मे पीले फूल मां को अर्पित करे । पीले फल चढ़ाए और चावल को हल्दी से रंग करके मां को पीले चावल चढ़ाए । प्रसाद मे मां को पीले मीठे चावल का भोग लगाएं । फिर इस प्रसाद को लोगो मे बांट दे और खुद भी खायें ।
Basant Panchami 2024
पूजा का दिन और शुभ मुहूर्त:
हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की पंचमी की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 02.41 और अगले दिन 14 फरवरी 2024 को दोपहर 12.09 मिनट पर समाप्त होगी। ये पर्व उदयातिथि के अनुसार 14 फरवरी को मान्य होगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07.00 से दोपहर 12.35 मिनट तक है। इस दिन कलम, दवात की विशेष पूजा करनी चाहिए।कलाकार इस दिन अपने कला के वाद्य यंत्रों की पूजा करते हैं ।