इंजीनियर से कम्पोज़र तक, सैयारा के टाइटल ट्रैक के पीछे छुपी है एक फिल्मी कहानी

लेह की साइट से मुंबई के स्टूडियो तक का सफर
अर्सलान निज़ामी एक नॉर्मल सिविल इंजीनियर थे जो लेह के पास एक कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट पर काम करते थे। साथ ही उनके दोस्त और को-Composer फ़हीम अब्दुल्ला भी थे जिन्होंने कश्मीर में इंडिपेंडेंट म्यूज़िक बनाया था। फ़हीम एक सोलफुल सिंगर के साथ-साथ एक शायर भी हैं जिनका स्टेज नेम था The Imaginary Poet। दोनों के गाने कश्मीर में लोगों को पसंद आते थे लेकिन बॉलीवुड एक अलग ही दुनिया थी। जब उन्हें सैयारा के लिए बुलाया गया तो अर्सलान ने बिना सोचे अपनी नौकरी छोड़ दी।सिर्फ 14 दिन थे लेकिन इरादा मज़बूत था
“उन्होंने बोला 14 दिन में गाना डिलीवर करना है। मैंने तुरंत रेज़िग्नेशन दे दिया। मुंबई में दोनों ने एक छोटी सी जगह रेंट पर ली, सिंपल खाना खाया और पूरे दिन–बस रात एक ही काम – सैयारा बनाना। फ़हीम ने इस गाने को कम्पोज़ भी किया और खुद ही गाया भी। उनका सुकून भरा और दर्द से भरा अंदाज़ गाने में उतर गया। अर्सलान की इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के बावजूद, उन्होंने म्यूज़िक में अपना असली पैशन पाया।सपने सच होते हैं
स्टार्टिंग में पैसों की कमी और मुंबई जैसे शहर में टिके रहना किसी जंग से कम नहीं था लेकिन जब सैयारा रिलीज़ हुआ तो लोगों का प्यार उनके लिए सबसे बड़ी कमाई बन गया। ये सिर्फ एक रोमांटिक गाना नहीं था बल्कि ये उनके सपने का नतीजा था। सैयारा टाइटल सॉन्ग जब बजता है तो हर किसी को एक उदासी और प्यार का एहसास होता है और पीछे छुपी रहती है दो ऐसे आर्टिस्ट्स की कहानी, जिन्होंने रिस्क लिया, स्ट्रगल किया और अपना सपना जीत लिया।अगली खबर पढ़ें
लेह की साइट से मुंबई के स्टूडियो तक का सफर
अर्सलान निज़ामी एक नॉर्मल सिविल इंजीनियर थे जो लेह के पास एक कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट पर काम करते थे। साथ ही उनके दोस्त और को-Composer फ़हीम अब्दुल्ला भी थे जिन्होंने कश्मीर में इंडिपेंडेंट म्यूज़िक बनाया था। फ़हीम एक सोलफुल सिंगर के साथ-साथ एक शायर भी हैं जिनका स्टेज नेम था The Imaginary Poet। दोनों के गाने कश्मीर में लोगों को पसंद आते थे लेकिन बॉलीवुड एक अलग ही दुनिया थी। जब उन्हें सैयारा के लिए बुलाया गया तो अर्सलान ने बिना सोचे अपनी नौकरी छोड़ दी।सिर्फ 14 दिन थे लेकिन इरादा मज़बूत था
“उन्होंने बोला 14 दिन में गाना डिलीवर करना है। मैंने तुरंत रेज़िग्नेशन दे दिया। मुंबई में दोनों ने एक छोटी सी जगह रेंट पर ली, सिंपल खाना खाया और पूरे दिन–बस रात एक ही काम – सैयारा बनाना। फ़हीम ने इस गाने को कम्पोज़ भी किया और खुद ही गाया भी। उनका सुकून भरा और दर्द से भरा अंदाज़ गाने में उतर गया। अर्सलान की इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के बावजूद, उन्होंने म्यूज़िक में अपना असली पैशन पाया।सपने सच होते हैं
स्टार्टिंग में पैसों की कमी और मुंबई जैसे शहर में टिके रहना किसी जंग से कम नहीं था लेकिन जब सैयारा रिलीज़ हुआ तो लोगों का प्यार उनके लिए सबसे बड़ी कमाई बन गया। ये सिर्फ एक रोमांटिक गाना नहीं था बल्कि ये उनके सपने का नतीजा था। सैयारा टाइटल सॉन्ग जब बजता है तो हर किसी को एक उदासी और प्यार का एहसास होता है और पीछे छुपी रहती है दो ऐसे आर्टिस्ट्स की कहानी, जिन्होंने रिस्क लिया, स्ट्रगल किया और अपना सपना जीत लिया।संबंधित खबरें
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