Rajsthan News: किशोर ने पांचवी मंजिल से कूदकर आत्महत्या की




Politics: नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ पाकिस्तानी नेता बिलावल भुट्टो की ओर से की गई ‘निंदनीय और अभद्र’ टिप्पणी के खिलाफ शनिवार को देशव्यापी धरना-प्रदर्शन करेगी। केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर इसकी घोषणा की।
भुट्टो पर करारा प्रहार करते हुए भाजपा ने कहा कि पड़ोसी देश के विदेश मंत्री की ‘‘गिरी हुई इस हरकत’’ ने विश्व पटल पर पाकिस्तान की ‘‘कलंक गाथा’’ में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।
भाजपा ने कहा कि शनिवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्री के शर्मनाक बयान के खिलाफ भाजपा देश भर में जोरदार धरना-प्रदर्शन करेगी। ये विरोध प्रदर्शन देश के सभी प्रदेशों की राजधानी में होंगे। भाजपा कार्यकर्ता पाकिस्तान और पाकिस्तानी विदेश मंत्री का पुतला जलाएंगे और पाकिस्तानी विदेश मंत्री के शर्मनाक बयान की कड़ी निंदा करेंगे।
भुट्टो की टिप्पणी के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली स्थित पाक उच्चायोग के निकट प्रदर्शन किया।
भाजपा ने कहा कि हताश, निराश और दिवालिये पाकिस्तान के बचकाने विदेश मंत्री से और क्या उम्मीद की जा सकती है?
भाजपा ने कहा कि सत्ता में बने रहने के स्वार्थ के बीच पाकिस्तान की बदहाल होती आर्थिक स्थिति, वहां की अराजकतापूर्ण स्थिति, सेना में मनमुटाव, दुनिया के देशों से खराब होते उसके रिश्ते और आतंकवाद को पाल-पोस कर बड़ा करने की नीति से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने ऐसा ‘‘कायरतापूर्ण, और गिरा हुआ’’ बयान दिया है।
भाजपा ने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व पटल पर भारत की धाक जम रही है, वहीं दूसरी ओर हर मोर्चे पर पाकिस्तान की खिल्ली उड़ रही है।
उसने कहा कि एक ओर भारत की विदेश नीति की सर्वत्र सराहना हो रही है, दूसरी ओर पाकिस्तान को छोटे से छोटा देश आंखें दिखा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध में पाकिस्तान के छात्र तो तिरंगे के सहारे सुरक्षित निकल पाए थे, ये तो सबने देखा है।
भाजपा ने कहा कि भुट्टो ने मोदी के खिलाफ जिस तरह के निंदनीय और अभद्र शब्दों का प्रयोग किया है, उसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है।
देश की सत्ताधारी पार्टी ने कहा कि ऐसा बयान देकर भुट्टो ने न केवल सार्वजनिक जीवन की मर्यादा को तार-तार किया है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की हर मर्यादा को भी लांघ दिया है।
उसने कहा, ‘‘क्या बिलावल भुट्टो की इतनी हैसियत है कि वह हमारे प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी करे! बिलावल भुट्टो की गिरी हुई इस हरकत ने विश्व पटल पर पाकिस्तान की कलंक गाथा में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।’’
Politics: नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ पाकिस्तानी नेता बिलावल भुट्टो की ओर से की गई ‘निंदनीय और अभद्र’ टिप्पणी के खिलाफ शनिवार को देशव्यापी धरना-प्रदर्शन करेगी। केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर इसकी घोषणा की।
भुट्टो पर करारा प्रहार करते हुए भाजपा ने कहा कि पड़ोसी देश के विदेश मंत्री की ‘‘गिरी हुई इस हरकत’’ ने विश्व पटल पर पाकिस्तान की ‘‘कलंक गाथा’’ में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।
भाजपा ने कहा कि शनिवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्री के शर्मनाक बयान के खिलाफ भाजपा देश भर में जोरदार धरना-प्रदर्शन करेगी। ये विरोध प्रदर्शन देश के सभी प्रदेशों की राजधानी में होंगे। भाजपा कार्यकर्ता पाकिस्तान और पाकिस्तानी विदेश मंत्री का पुतला जलाएंगे और पाकिस्तानी विदेश मंत्री के शर्मनाक बयान की कड़ी निंदा करेंगे।
भुट्टो की टिप्पणी के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली स्थित पाक उच्चायोग के निकट प्रदर्शन किया।
भाजपा ने कहा कि हताश, निराश और दिवालिये पाकिस्तान के बचकाने विदेश मंत्री से और क्या उम्मीद की जा सकती है?
भाजपा ने कहा कि सत्ता में बने रहने के स्वार्थ के बीच पाकिस्तान की बदहाल होती आर्थिक स्थिति, वहां की अराजकतापूर्ण स्थिति, सेना में मनमुटाव, दुनिया के देशों से खराब होते उसके रिश्ते और आतंकवाद को पाल-पोस कर बड़ा करने की नीति से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने ऐसा ‘‘कायरतापूर्ण, और गिरा हुआ’’ बयान दिया है।
भाजपा ने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व पटल पर भारत की धाक जम रही है, वहीं दूसरी ओर हर मोर्चे पर पाकिस्तान की खिल्ली उड़ रही है।
उसने कहा कि एक ओर भारत की विदेश नीति की सर्वत्र सराहना हो रही है, दूसरी ओर पाकिस्तान को छोटे से छोटा देश आंखें दिखा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध में पाकिस्तान के छात्र तो तिरंगे के सहारे सुरक्षित निकल पाए थे, ये तो सबने देखा है।
भाजपा ने कहा कि भुट्टो ने मोदी के खिलाफ जिस तरह के निंदनीय और अभद्र शब्दों का प्रयोग किया है, उसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है।
देश की सत्ताधारी पार्टी ने कहा कि ऐसा बयान देकर भुट्टो ने न केवल सार्वजनिक जीवन की मर्यादा को तार-तार किया है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की हर मर्यादा को भी लांघ दिया है।
उसने कहा, ‘‘क्या बिलावल भुट्टो की इतनी हैसियत है कि वह हमारे प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी करे! बिलावल भुट्टो की गिरी हुई इस हरकत ने विश्व पटल पर पाकिस्तान की कलंक गाथा में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।’’

Delhi News: सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार एक ‘कीमती और अपरिहार्य’ अधिकार है और अगर वह देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से जुड़े मामलों में कार्रवाई नहीं करता है, तो यह उसे हासिल विशेष संवैधानिक शक्तियों का उल्लंघन करने जैसा होगा।
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने दो दिन पहले कहा था कि उच्चतम न्यायालय को ‘जमानत आवेदनों और निरर्थक जनहित याचिकाओं’ पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए, जब लंबित मामलों की संख्या इतनी अधिक है।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश को खारिज करते हुए सवाल किया कि अगर हम अपनी अंतरात्मा की नहीं सुनते, तो हम यहां किसलिये हैं?
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के लिए कोई भी मामला छोटा नहीं होता। अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में कार्रवाई नहीं करते हैं और राहत नहीं देते हैं, तो हम यहां क्या कर रहे हैं?
पीठ ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार संविधान में प्रदत्त एक विशेष और अपरिहार्य अधिकार है।
पीठ ने कहा कि अगर हम व्यक्ति स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में कार्रवाई नहीं करते हैं तो हम अनुच्छेद-136 (राहत देने के लिए संविधान में प्रदत्त विशेष शक्तियां) का उल्लंघन करेंगे।
उसने कहा कि मामले के तथ्य शीर्ष अदालत को प्रत्येक नागरिक को मिले जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के रक्षक के रूप में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने का एक और मौका, एक ‘स्पष्ट मौका’ प्रदान करते हैं।
पीठ ने कहा, “अगर न्यायालय ऐसा नहीं करेगा तो एक नागरिक की स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी। नागरिकों की शिकायतों से जुड़े छोटे, नियमित मामलों में इस अदालत के हस्तक्षेप से न्यायशास्त्रीय और संवैधानिक मुद्दों से संबंधित पहलू उभरकर सामने आते हैं।”
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता इकराम को राहत देते हुए यह टिप्पणी की। इकराम को विद्युत अधिनियम से जुड़े नौ आपराधिक मामलों में उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की एक अदालत ने दोषी करार दिया था। अदालत ने इकराम को प्रत्येक मामले में दो साल के कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी।
इकराम लगभग तीन साल से जेल में है। जेल अधिकारियों का कहना है कि उसकी सजा एक साथ के बजाय क्रमिक रूप से चलेगी, जिसकी वजह से उसे जेल में 18 साल गुजारने होंगे। इकराम ने मामले में उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसने उसे राहत देने से इनकार कर दिया था।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को पलटते हुए स्पष्ट किया कि इकराम की सजा एक साथ चलेगी। सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय को इस ‘घोर अन्याय’ को रोकने के लिए आगे आना चाहिए था।
Delhi News: सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार एक ‘कीमती और अपरिहार्य’ अधिकार है और अगर वह देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से जुड़े मामलों में कार्रवाई नहीं करता है, तो यह उसे हासिल विशेष संवैधानिक शक्तियों का उल्लंघन करने जैसा होगा।
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने दो दिन पहले कहा था कि उच्चतम न्यायालय को ‘जमानत आवेदनों और निरर्थक जनहित याचिकाओं’ पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए, जब लंबित मामलों की संख्या इतनी अधिक है।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश को खारिज करते हुए सवाल किया कि अगर हम अपनी अंतरात्मा की नहीं सुनते, तो हम यहां किसलिये हैं?
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के लिए कोई भी मामला छोटा नहीं होता। अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में कार्रवाई नहीं करते हैं और राहत नहीं देते हैं, तो हम यहां क्या कर रहे हैं?
पीठ ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार संविधान में प्रदत्त एक विशेष और अपरिहार्य अधिकार है।
पीठ ने कहा कि अगर हम व्यक्ति स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में कार्रवाई नहीं करते हैं तो हम अनुच्छेद-136 (राहत देने के लिए संविधान में प्रदत्त विशेष शक्तियां) का उल्लंघन करेंगे।
उसने कहा कि मामले के तथ्य शीर्ष अदालत को प्रत्येक नागरिक को मिले जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के रक्षक के रूप में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने का एक और मौका, एक ‘स्पष्ट मौका’ प्रदान करते हैं।
पीठ ने कहा, “अगर न्यायालय ऐसा नहीं करेगा तो एक नागरिक की स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी। नागरिकों की शिकायतों से जुड़े छोटे, नियमित मामलों में इस अदालत के हस्तक्षेप से न्यायशास्त्रीय और संवैधानिक मुद्दों से संबंधित पहलू उभरकर सामने आते हैं।”
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता इकराम को राहत देते हुए यह टिप्पणी की। इकराम को विद्युत अधिनियम से जुड़े नौ आपराधिक मामलों में उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की एक अदालत ने दोषी करार दिया था। अदालत ने इकराम को प्रत्येक मामले में दो साल के कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी।
इकराम लगभग तीन साल से जेल में है। जेल अधिकारियों का कहना है कि उसकी सजा एक साथ के बजाय क्रमिक रूप से चलेगी, जिसकी वजह से उसे जेल में 18 साल गुजारने होंगे। इकराम ने मामले में उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसने उसे राहत देने से इनकार कर दिया था।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को पलटते हुए स्पष्ट किया कि इकराम की सजा एक साथ चलेगी। सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय को इस ‘घोर अन्याय’ को रोकने के लिए आगे आना चाहिए था।