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बुद्धिमान व्यक्ति को हमेशा गुप्त रखनी चाहिए ये बातें

Chanakya Niti

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Chanakya Niti / चाणक्य नीति : आप कोई बड़ा कारोबार करते हैं अथवा किसी बड़ी कंपनी में बड़ी पोस्ट पर तैनात हैं। आपकी बीवी बेहद ही सुंदर है और आप उसे कितना प्रेम करते हैं। आप अपनी बुद्धिमानी और काबलियत के बल पर हर काम में सफलता अर्जित कर लेते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी बातें बताएंगे, जिन्हें आपको हमेशा गुप्त ही रखना चाहिए। इन बातों को हमेशा गुप्त रखने वाला व्यक्ति बुद्धिमान व्यक्ति कहलाता है।

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दरअसल, देश के महान अर्थशास्त्री और कूट राजनीतिज्ञ, महान ज्ञानी आचार्य चाणक्य ने व्यक्ति की बुद्धिमानी को लेकर स्पष्ट तौर पर लिखा हैं आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र चाणक्य नीति में साफ साथ लिखा है कि बुद्धिमान व्यक्ति वही होता है जो कुछ बातों को हमेशा गुप्त ही रखता है। कुछ ऐसी बातें है,​ जिन्हें हर व्यक्ति को गुप्त यानि हर किसी से छिपाकर रखनी चाहिए। आइए जानते हैं कि क्या कहते हैं आचार्य चाणक्य…

सुसिद्धमौषधं धर्म गृहछिद्रं च मैथुनम्।
कुभुक्तं कुश्रुत चैव मतिमान्न प्रकाशयेत्।।

आचार्य चाणक्य गोपनीयता पर बल देते हुए कहते हैं कि बुद्धिमान व्यक्ति सिद्ध औषधि, धर्म, अपने घर की कमियां, मैथुन, खाया हुआ खराब भोजन तथा सुनी हुई बुरी बातों को गुप्त रखे।

आशय यह है कि इन चीजों के बारे में किसी को कुछ नही बताना चाहिए। सिद्ध औषधि, धर्म, घर की कमिया, संभोग, कुभोजन एवं सुनी हुई बुरी बात। कुछ दवाएं किसी व्यक्ति को सिद्ध हो जाती हैं। इसलिए लोग उससे दूसरों का भला तो करते हैं, किन्तु उसको बारे में किसी को कुछ नहीं बताते। विश्वास किया जाता है कि ऐसी दवा के बारे में दूसरों को बताने पर उसका प्रभाव समाप्त हो जाता है। अपने धर्म या कर्तव्य के बारे में भी लोगों को कुछ नहीं बताना चाहिए। केवल इसका पालन करते जाना चाहिए।

अपने घर की कमी को बाहर बताने से अपनी ही बदनामी होती है। कमियां तो सभी घरों में होती हैं। अत: इन्हें बताना मूर्खता ही है। मैथुन कर्म या सम्भोग के विषय में किसी को कुछ बताना भी असभ्यता और अश्लीलता है। ये काम एकांत में गुप्त रूप से करने के हैं। यदि भूल से कभी कोई ऐसी चीज सेवन कर ली हो जिसको धर्म या समाज इजाजत नहीं देता तो इसे किसी को न बताएं। यदि किसी ने आपसे कोई गलत बात कह दी हो या आपने कही कोई गलत बात सुन ली हो तो इस बात को हजम कर जाना चाहिए, किसी को कुछ बताना नहीं चाहिए।

ज्ञानी व्यक्ति कौन ?

प्रस्तावसदृश वाक्यं प्रभावसदृश प्रियम्।
आत्मशक्तिसम कोप यो जानाति स पण्डितः।।

आचार्य चाणक्य यहां पडित के बार में बताते हुए कहते हैं कि जो प्रसंग के अनुसार बातें करना, प्रभाव डालने वाला प्रेम करना तथा अपनी शक्ति के अनुसार क्रोध करना जानता है, उसे पण्डित कहते हैं।
आशय यह है कि किसी सभा में कब क्या बोलना चाहिए, किससे प्रेम करना चाहिए तथा कहां पर कितना क्रोध करना चाहिए जो इन सब बातों को जानता है, उसे पण्डित अर्थात् ज्ञानी व्यक्ति कहा जाता है।

चीज एक, बातें अनेक

एक एव पदार्थस्तु विद्या भवति वीक्षति।
कुपणं कामिनी मांस योगिभिः कामिभिः श्वभिः।।

आचार्य चाणक्य अपने दृष्टिकोण की चर्चा करते हुए कहते हैं कि एक ही वस्तु अथवा स्त्री के शरीर को कामी लोग कामिनी के रूप में, योगी बदबूदार शव के रूप में तथा कुत्ते मांस के रूप में देखते हैं। आशय यह है कि वस्तु एक ही होती है, किन्तु नजरिया अपना-अपना होता है। इसी नजरिये से एक ही स्त्री के शरीर को योगी, रसिक तथा कुत्ते अलग-अलग रूपों में देखते हैं। योगी उसे एक बदबूदार मुर्दा समझता है, और उससे घृणा करता है। रसिक (कामी) उसे ललचायी नजरों से देखता है, उसे भोग की वस्तु समझता है। परन्तु एक कृत्ता उसे केवल एक मांस का लोथड़ा समझता है और खाना चाहता है।

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