Hindi Kahani – एक बार की बात है। एक सेठ के यहां एक कारीगर मकान बनाने का काम करता था। समय के साथ जब कारीगर बूढ़ा हुआ तो कारीगर ने सेठ से कहा कि अब मैं अपने काम से रिटायर होना चाहता हूं।
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सेठ ने कुछ सोचा और कारीगर से कहा कि चलो तो फिर जाते जाते एक मकान ओर बना दो।
तो कारीगर ने ऊपरी मन से एक ओर मकान बनाने के लिए हां कर दी।
अब कारीगर मकान तो बना रहा था, लेकिन उसका मन काम करने में नहीं लग रहा था। सोच रहा था कि सेठ के यहां इतने साल काम किया तो भी जाते जाते कुछ देने के बदले मुझसे काम करवा रहा है।
इसी सोच से काम करने के कारण घर भी सही से नहीं बना पा रहा था। आखिरकार उसने घर बनाया, लेकिन वो उतना अच्छा नहीं बना, जितना वो पहले बनाता था।
काम पूरा करके सेठ के पास गया। सेठ ने पास बुलाया और कहा, “तुमने पूरी ज़िन्दगी मेरे लिए बेहतरीन मकान बनाये। मैं तुम्हारे काम से बड़ा खुश हूं। इसलिए मैं आज तुम्हें भी कुछ देना चाहता हूं। तुमसे जो घर आखिर में बनवाया है, वही मैंने तुम्हारे लिए ही बनवाया हैं।” इतना कहकर सेठ ने मकान की चाबी कारीगर को दे दी।
अब कारीगर मन ही मन में पछता रहा था कि मैंने खुद के घर को ही सही से नहीं बनाया।
शिक्षा: दोस्तों इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए। बाकी जो नतीजे मिलेंगे वो अपने अच्छे के लिए ही होंगे।
भगवद गीता में भी कहा गया है कि “हमें कर्म करते रहना चाहिए फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए।” इसलिए हमें अपनी तरफ से 100% देना है। ताकि बाद में हम यह ना कह पाए कि मैंने पूरी कोशिश नहीं करी या मैंने अपनी तरफ से पूरा प्रयास नहीं किया। Hindi Kahani
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