Saturday, 15 March 2025

Chandrayaan3 : चंद्रयान-3 की बड़ी खोज ,बाहरी इलाकों में बर्फ के संकेत

Chandrayaan-3 : भारत के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन, चंद्रयान-3, ने एक और महत्वपूर्ण खोज की है। इसके ChaSTE उपकरण द्वारा भेजे…

Chandrayaan3 : चंद्रयान-3 की बड़ी खोज ,बाहरी इलाकों में बर्फ के संकेत

Chandrayaan-3 : भारत के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन, चंद्रयान-3, ने एक और महत्वपूर्ण खोज की है। इसके ChaSTE उपकरण द्वारा भेजे गए ताजा डेटा से यह संकेत मिले हैं कि चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों के अलावा भी पानी की बर्फ हो सकती है। यह खोज भविष्य में चंद्रमा पर मानव बसाहट की संभावनाओं को और मजबूत कर सकती है।

चंद्रयान-3 के डेटा से मिला अहम सुराग

चंद्रयान-3 के ChaSTE (Chandra’s Surface Thermophysical Experiment) उपकरण ने जो जानकारी भेजी है, उससे पता चलता है कि चांद के अन्य क्षेत्रों में भी पानी की बर्फ मौजूद हो सकती है। इससे पहले वैज्ञानिकों को केवल ध्रुवीय इलाकों में बर्फ की मौजूदगी का अनुमान था। यह अध्ययन प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका ‘कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट’ में प्रकाशित हुआ है।

अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) के वैज्ञानिकों ने इस नए डेटा का विश्लेषण किया और पाया कि सतह की ऊंचाई में मामूली बदलाव से तापमान में बड़ा अंतर आ सकता है। ऐसे ढलान वाले स्थान, जहां सूरज की सीधी किरणें नहीं पहुंचतीं, वहां सतह के नीचे बर्फ के रूप में पानी जमा हो सकता है।

कैसे काम करता है ChaSTE उपकरण?

चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगा ChaSTE उपकरण एक तरह का थर्मामीटर है, जो चंद्रमा की सतह के तापमान को मापने में सक्षम है। यह अपनी तरह का पहला उपकरण है, जिसने चांद की सतह और उसकी उपसतह के तापमान में लगभग 60 डिग्री सेल्सियस का अंतर दर्ज किया है। इससे पहले, चंद्रमा के तापमान का अनुमान केवल सैटेलाइट डेटा के आधार पर ही लगाया जाता था।

बर्फ की संभावना किन इलाकों में अधिक?

PRL के वैज्ञानिकों ने ChaSTE से प्राप्त तापमान डेटा का उपयोग कर चांद के ‘शिव शक्ति पॉइंट’ जैसे क्षेत्रों में बर्फ की मौजूदगी का विश्लेषण किया। अभी तक, चंद्रमा पर पानी की बर्फ केवल ध्रुवीय क्षेत्रों में उन क्रेटरों के नीचे पाई गई थी, जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती। लेकिन चंद्रयान-3 लगभग 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश पर उतरा, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब तो है, लेकिन ध्रुवीय क्षेत्र में नहीं आता।

वैज्ञानिकों ने देखा कि थोड़ी दूरी पर भी सतह का तापमान काफी बदल जाता है। यह तापमान उस क्षेत्र की संरचना, ढलान और सूरज की दिशा पर निर्भर करता है। जहां विक्रम लैंडर उतरा, वह थोड़ी ढलान वाली जगह थी। यहां ChaSTE ने सूर्य की ओर ढलान पर 355 केल्विन (लगभग 82 डिग्री सेल्सियस) तापमान दर्ज किया, जबकि एक मीटर दूर अपेक्षाकृत समतल सतह पर यह तापमान 332 केल्विन (लगभग 59 डिग्री सेल्सियस) मापा गया।

चंद्रमा पर भविष्य की संभावनाएं

चंद्रयान-3 द्वारा प्राप्त यह महत्वपूर्ण जानकारी भविष्य में चंद्रमा पर मानव बस्तियों के निर्माण में सहायक हो सकती है। यदि चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों के अलावा भी पानी की बर्फ मिलती है, तो इससे अंतरिक्ष यात्रियों को जल संसाधन उपलब्ध कराना आसान हो जाएगा। साथ ही, तापमान नियंत्रित आवास बनाने में भी यह खोज अहम भूमिका निभा सकती है।

इस नई उपलब्धि के साथ भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर एक नई ऊंचाई पर पहुंच रहा है। चंद्रयान-3 की यह खोज न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतरिक्ष में मानव भविष्य की योजनाओं को भी नया आयाम दे सकती है।Chandrayaan-3 

 

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