Inflation: देश में खुदरा महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे आम जनता को थोड़ी राहत मिली है। सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 3.61 प्रतिशत पर आ गई है। यह गिरावट मौजूदा वित्तीय वर्ष में तीसरी बार हुई है जब महंगाई दर 4 प्रतिशत से नीचे आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका मुख्य कारण सब्जियों और प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी है।
खाद्य मुद्रास्फीति में दर्ज हुई गिरावट
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुसार, फरवरी में खाद्य मुद्रास्फीति भी 6 प्रतिशत से नीचे आ गई, जो सितंबर 2024 के बाद पहली बार हुआ है। आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.26 प्रतिशत थी, जबकि फरवरी 2024 में यह 5.09 प्रतिशत थी।
ताजा रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2025 में खाद्य मुद्रास्फीति में 222 आधार अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। यह मई 2023 के बाद सबसे कम स्तर पर है। मुख्य रूप से सब्जियों, अंडे, मांस, मछली, दालों, दूध और उनके उत्पादों की कीमतों में गिरावट इस कमी की प्रमुख वजह रही है।
RBI के लिए राहत, ब्याज दरों में कटौती की संभावना
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का लक्ष्य खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत (+/- 2 प्रतिशत) के भीतर बनाए रखना है। फरवरी में महंगाई दर में आई गिरावट से आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करने का अवसर मिल सकता है। केंद्रीय बैंक ने पिछले महीने ही अल्पकालिक उधार दर (रेपो रेट) में 25 आधार अंकों की कटौती की थी। अब 9 अप्रैल को होने वाली द्विमासिक मौद्रिक नीति बैठक में एक और कटौती की संभावना जताई जा रही है।
अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव
खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट से उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ सकती है और अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रह सकती है। यदि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इससे कर्ज सस्ता हो सकता है, जिससे बाजार में लोन की मांग बढ़ेगी और आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी। Inflation
असम में बीजेपी सरकार ने विज्ञापनों पर 370 करोड़ खर्च, विवाद छिड़ा
ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।