Mahaashtra Politics : आजकल भाजपा और एकनाथ शिंदे के बीच सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से बुलाई गई अहम बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अनुपस्थित रहे। इससे एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार काफी गर्म हो गया। लोग तरह-तरह की बातें बना रहे हैं। यह बात तो बिल्कुल सही है कि इसके पहले भी एकनाथ शिंदे जो सूबे के उपमुख्यमंत्री हैं कैबिनेट की 2 बैठक में शामिल नहीं हुए थे और एक कैबिनेट की बैठक के पहले उन्होंने अपने मंत्रियों की बैठक कर ली थी। इस तरह प्रमुख बैठकोें में भी शामिल न होकर शिंदे ने अपनी नाराजगी खुलेआम जाहिर कर दी है।
बार-बार कैबिनेट की बैठक में नहीं हो रहे शामिल
शिंदे बार बार कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं, इन सब से इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिंदे नाखुश हैं और कैबिनेट में शामिल न होने जैसी हाल की घटनाओं ने इन चचार्ओं को और हवा दी है। एक बार फिर 12 फरवरी को सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पुणे, नासिक, नागपुर और छत्रपति संभाजीनगर के महानगरीय विकास प्राधिकरणों पर चर्चा करने के लिए सह्याद्री गेस्ट हाउस में बैठक बुलाई थी। चूंकि शिंदे शहरी विकास विभाग के प्रमुख हैं, इसलिए बैठक में उनकी उपस्थिति अपेक्षित थी। हालांकि, बैठक में शामिल होने के बजाय उन्होंने ठाणे मलंगगढ़ उत्सव में भाग लेना चुना। इसी बहाने वे कैबिनेट की उस प्रमुख बैठक में शामिल नहीं हुए।
आधिकारिक कार्यक्रम में लिस्टेड थी ये बैठक
इस बार की कैबिनेट की बैठक में शामिल होना इसलिए जरूरी था कि इसकी पहले से सूचना शिंदे को दी गई थी। दिलचस्प बात यह है कि बैठक उनके आधिकारिक कार्यक्रम में भी लिस्टेड थी। मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक, बैठक शिंदे के विभाग से संबंधित थी, लेकिन उन्होंने उन्हें पहले ही सूचित कर दिया था कि वे पूर्व-निर्धारित कामों की वजह से इसमें शामिल नहीं हो पाएंगे। शिंदे सीएम फडणवीस के द्वारा बुलाए गए किसी भी कैबिनेट बैठक में इस बीच शामिल नहीं हो रहे हैं। दूसरी ओर महाराट्र की राजनीति के कुछ विपक्षी महारथी से उनकी निकटता भी देखी जा रही है।
शिंदे में है नाराजगी के साथ असंतोष
महाराट्र की राजनीति में भूचाल लाकर धूमकेतु की तरह उभरे शिंदे को जब इस बार सरकार में भाव नहीं मिला और जो भी विभाग उन्होंने मांगा वह उन्हें नहीं मिला तभी से वे नाराज थे। इन सब बातों के बीच बड़ी बात ये है कि आखिर शिंदे के असंतोष के मुख्य कारण क्या हैं? पहला कारण उनका मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त नहीं किया जाना है। दूसरा कारण उन्हें गृह मंत्रालय के पोर्टफोलियो से इनकार कर देना है और उन्हें गृहमंत्री न बनाया जाना। तीसरा कारण गार्जियन यानी कि संरक्षक मंत्री की नियुक्ति पर 2 जिलों रायगढ़ और नासिक में लगातार बढ़ रहा विवाद है। इन प्रमुख कारणों के कारण अब उनकी नाराजगी खुलेआम सामने आ रही है।
शिंदे जानबूझकर नहीं ले रहे बैठकों में भाग
सबसे बड़ी बात यह है कि अब बहस ये शुरू हो गई है कि क्या शिंदे का मलंगगढ़ माघी पूर्णिमा उत्सव में जाना कैबिनेट की बैठक से ज्यादा जरूरी था या शिंदे ने जानबूझकर इसे छोड़ दिया। इस बैठक में फडणवीस सहित दूसरे संबंधित मंत्री और उपमुख्यमंत्री अजित पवार शामिल हुए। बड़ी बात ये है कि अजित पवार फडणवीस की किसी बैठक को नहीं छोड़ रहे वो हर बैठक में शामिल हो रहे हैं। शिंदे रायगढ़ और नासिक दोनों जिलों में अपने पार्टी के 2 मंत्री को गार्जियन बनाना चाहते हैं जबकि, इन दोनों जिलों में अजित पवार और फडणवीस अपने गार्जियन मिनिस्टर बना चुके हैं। हालांकि, इसपर फडणवीस ने तात्कालिक स्थगन लगा दी है। चौथा कारण शिंदे को शुरुआत में आपदा प्रबंधन समिति से प्रारंभिक तौर पर बाहर रखना और बाद में इसमें शामिल किया जाना है।
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