Wednesday, 2 April 2025

MSME :  निवेश और कारोबार की सीमा में बढ़ोतरी, नए टर्नओवर नियम लागू

MSME : 1 अप्रैल 2025 से नया वित्तीय वर्ष 2025-26 शुरू हो रहा है, और इसके साथ ही कई बड़े बदलाव…

MSME :  निवेश और कारोबार की सीमा में बढ़ोतरी, नए टर्नओवर नियम लागू

MSME : 1 अप्रैल 2025 से नया वित्तीय वर्ष 2025-26 शुरू हो रहा है, और इसके साथ ही कई बड़े बदलाव लागू होने जा रहे हैं, जो करदाताओं, वरिष्ठ नागरिकों, उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर सीधा प्रभाव डालेंगे। इन परिवर्तनों का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को गति देना, निवेश बढ़ाना और छोटे एवं मध्यम उद्योगों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है।

MSME की नई परिभाषा

भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) की परिभाषा में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इस नई परिभाषा के तहत, एमएसएमई के लिए निवेश और टर्नओवर की सीमाओं में वृद्धि की गई है। इससे अधिक व्यवसाय एमएसएमई श्रेणी में आ सकेंगे और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।

नए निवेश मानदंड

  • सूक्ष्म उद्यम: पहले 1 करोड़ रुपये तक की निवेश सीमा थी, जिसे अब बढ़ाकर 2.5 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
  • लघु उद्यम: पहले निवेश सीमा 10 करोड़ रुपये थी, जो अब 25 करोड़ रुपये हो गई है।
  • मध्यम उद्यम: पहले 50 करोड़ रुपये की सीमा थी, जिसे अब 125 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

नए टर्नओवर मानदंड

  • सूक्ष्म उद्यम: पहले टर्नओवर सीमा 5 करोड़ रुपये थी, जिसे अब 10 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
  • लघु उद्यम: पहले 50 करोड़ रुपये की सीमा थी, जो अब 100 करोड़ रुपये हो गई है।
  • मध्यम उद्यम: पहले 250 करोड़ रुपये की सीमा थी, जिसे अब 500 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

बदलावों से होने वाले प्रमुख लाभ

  1. व्यवसायों को विस्तार का अवसर: नई परिभाषा के तहत अधिक कंपनियां एमएसएमई के रूप में पंजीकृत हो सकेंगी, जिससे उन्हें सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ मिलेगा।
  2. रोजगार के अवसर बढ़ेंगे: उद्योगों के विस्तार से नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
  3. विनिर्माण और सेवा क्षेत्र को मजबूती: एमएसएमई को मिलने वाली सरकारी सहायता से इन क्षेत्रों में तेजी आएगी, जिससे निर्यात में भी बढ़ोतरी होगी।

4 वर्तमान में देश में 6 करोड़ से अधिक MSME पंजीकृत हैं, और सरकार का अनुमान है कि 2029 तक यह संख्या 9 करोड़ तक पहुंच सकती है। इन नई नीतियों से छोटे और मध्यम उद्योगों को वित्तीय मजबूती मिलेगी, जिससे वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।  MSME : 

 

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