Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) की भर्ती प्रक्रिया में व्यापक अनियमितताओं और धोखाधड़ी को देखते हुए 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। यह निर्णय शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
फैसले के प्रमुख बिंदु
- नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताएं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा संचालित भर्ती प्रक्रिया “धोखाधड़ी और हेरफेर से दूषित” थी। - नियुक्त कर्मचारियों को राहत
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द की गई है, उन्हें अब तक मिले वेतन और अन्य भत्तों को लौटाने की आवश्यकता नहीं होगी। - नई भर्ती प्रक्रिया का आदेश
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह तीन महीने के भीतर पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करे और इसे पूरा करे।
भर्ती घोटाला और कानूनी लड़ाई
- 2016 में आयोजित स्कूल लेवल सिलेक्शन टेस्ट (SLST) के माध्यम से 24,640 पदों के लिए लगभग 23 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था।
- इसके बाद कई उम्मीदवारों ने भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, जिसके बाद मामले की जांच हुई।
- केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया था।
- हाईकोर्ट ने पाया कि ओएमआर शीट्स (OMR Sheets) में हेरफेर किया गया था और चयन प्रक्रिया पूरी तरह से अवैध थी।
क्या होंगे प्रभाव ?
- शिक्षा प्रणाली पर असर: इस फैसले से पश्चिम बंगाल के शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ सकता है और भविष्य में भर्ती प्रक्रियाओं में अधिक पारदर्शिता की उम्मीद की जा रही है।
- प्रभावित अभ्यर्थी: 25,000 से अधिक प्रभावित कर्मचारियों के लिए यह एक झटका है, हालांकि उन्हें उनके पूर्व वेतन को लौटाने की आवश्यकता नहीं होगी।
- नई भर्ती प्रक्रिया: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, सरकार को तीन महीने के भीतर निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करनी होगी। Supreme Court :
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