Saturday, 17 May 2025

भारत में 1971 के बाद सबसे बड़ी मॉकड्रिल , हमलो से कैसे बचेंगे सिखाएंगे

Pahalgam terror Attack :  भारत में 7 मई का दिन कई मायनो में ऐतिहासिक होने वाला है। इस दिन को…

भारत में 1971 के बाद सबसे बड़ी मॉकड्रिल , हमलो से कैसे बचेंगे सिखाएंगे

Pahalgam terror Attack :  भारत में 7 मई का दिन कई मायनो में ऐतिहासिक होने वाला है। इस दिन को देश के इतिहास में एक अहम दिन के तौर पर याद किया जाएगा ऐसा कहा जाए , तो गलत नहीं होगा । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पहली बार 1971 के बाद राष्ट्रव्यापी नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव तेजी से बढ़ा है। इस मॉकड्रिल का अभ्यास देशभर के 244 जिलों में कराया जाएगा।

इतिहास में पहली बार क्यों कहा जा रहा है यह कदम?

1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान भारत ने अपने नागरिकों को संभावित हवाई हमलों से सुरक्षित रखने के लिए व्यापक सुरक्षा अभ्यास किए थे। अब, आधी सदी बाद, फिर से वैसी ही तैयारी की जा रही है – जिससे इस अभ्यास का महत्व और गंभीरता साफ़ झलकती है। यहां सवाल उठता है: इस मॉक ड्रिल में ऐसा क्या खास है, जो इसे ऐतिहासिक बनाता है?

मॉक ड्रिल का मकसद क्या है?

गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इस अभ्यास का उद्देश्य “नागरिक सुरक्षा ढांचे की तत्परता का परीक्षण और मजबूती” है। मौजूदा वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा हालात को देखते हुए सरकार चाहती है कि देश किसी भी आपात स्थिति, विशेषकर बाहरी सैन्य खतरे, के लिए तैयार रहे।

ड्रिल में क्या-क्या होगा?

हवाई हमले की चेतावनी प्रणाली का परीक्षण :  पूरे देश में संवेदनशील क्षेत्रों में सायरन बजाकर नागरिकों की त्वरित प्रतिक्रिया का परीक्षण किया जाएगा।

ब्लैकआउट अभ्यास :  हवाई निगरानी से बचने के लिए रात के समय बिजली और प्रकाश व्यवस्था बंद की जाएगी।

निकासी योजनाएं :  बड़े शहरों और सैन्य ठिकानों के पास आपातकालीन निकासी के पूर्वाभ्यास किए जाएंगे।

महत्वपूर्ण इमारतों का छद्मकरण :  सरकारी, औद्योगिक और सैन्य प्रतिष्ठानों को छिपाने की रणनीति पर काम होगा।

जनसामान्य की भागीदारी : एनसीसी, एनएसएस, स्कूल-कॉलेज के छात्र, होमगार्ड, पुलिस और स्वयंसेवी संस्थाओं को भी ड्रिल में शामिल किया गया है।

संचार नेटवर्क की जांच :  भारतीय वायुसेना के साथ रेडियो और हॉटलाइन लिंक की कार्यक्षमता का परीक्षण होगा।

प्राथमिक चिकित्सा और आत्म-संरक्षण प्रशिक्षण :  नागरिकों को जीवन रक्षक उपायों की जानकारी दी जाएगी।

सुरक्षा का संदेश या युद्ध की तैयारी?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मॉक ड्रिल केवल एक प्रशिक्षण नहीं, बल्कि एक संदेश भी है – भारत अब किसी भी खतरे को हल्के में नहीं लेगा। यह अभ्यास सरकार की उस नीति की ओर इशारा करता है जिसमें वह आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ बाहरी सुरक्षा के मोर्चे पर भी मुस्तैदी से तैयारी कर रही है।

1971 के दौरान जिन लोगों ने सायरन, ब्लैकआउट और कागज़ से ढंके खिड़कियों का अनुभव किया था, उनके लिए यह एक Déjà vu की तरह होगा।

राजधानी दिल्ली में विशेष सतर्कता

दिल्ली पुलिस ने सभी ज़िलों में गश्त बढ़ा दी है और सीमाओं पर अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है। डीसीपी स्तर के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं। इससे साफ़ है कि केंद्र इस अभ्यास को सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि एक गंभीर रणनीतिक कवायद मान रही है।    Pahalgam terror Attack :

 

इतिहास रचने के करीब रोहित शर्मा , जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

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