Caste Census : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने भारत में 94 साल बाद जातिगत जनगणना कराने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। लेकिन इस बड़े फैसले को लेकर विपक्षी दलों में श्रेय लेने की होड़ मच गई है। दिल्ली से लेकर पटना तक पोस्टर वॉर शुरू हो चुकी है।
दिल्ली से पटना तक दिखे पोस्टर
कांग्रेस ने इसे राहुल गांधी की “सोच और दबाव की जीत” बताया। राजद (RJD) ने पटना में पोस्टर लगाकर लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को इसका श्रेय दिया। दिल्ली की सड़कों पर लगे पोस्टरों में राहुल गांधी के लिए लिखा गया: “झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए। कांग्रेस का पोस्टर: “सरकार किसी की हो, सिस्टम गांधी का ही चलेगा।
क्या है जातिगत जनगणना और इसका महत्त्व?
जातिगत जनगणना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें देश के नागरिकों की जातियों की पहचान और संख्या का रिकॉर्ड किया जाता है। यह आंकड़े नीतियों, आरक्षण और सामाजिक न्याय के बेहतर क्रियान्वयन में मदद करते हैं। साल 1931 के बाद से अब तक देशव्यापी जातिगत जनगणना नहीं हुई है। साल 2011 में भी देश में जनगणना की गई थी, पर डेटा सार्वजनिक नहीं हो सका।
मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम
2025 में होने वाली जनगणना के साथ पूरे भारत में जातियों की गिनती भी की जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि यह आज़ाद भारत में पहली बार केंद्र द्वारा जातिगत जनगणना करवाई जाएगी। इससे पिछड़े वर्गों के अतरिक्त सभी वर्गों के सटीक आँकड़े सामने आएंगे, जिससे कल्याणकारी योजनाओं को अधिक लक्ष्यित बनाया जा सकेगा।
धर्मेंद्र प्रधान का विपक्ष को करारा जवाब
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विपक्ष के आरोपों को पाखंड करार दिया। उन्होंने कहा : 1951 से कांग्रेस ने जातिगत आरक्षण का विरोध किया था। नेहरू, राजीव गांधी तक OBC आरक्षण के खिलाफ थे। मंडल आयोग को वर्षों तक दबा कर रखा गया। अगर भाजपा नहीं होती, तो मंडल आयोग लागू ही नहीं होता।” Caste Census :
Caste Census : आखिर क्यों जरूरी है जाति जनगणना ? जाने इसका महत्त्व
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