Draupadi Lake : द्रौपदी झील का नाम आपने जरूर सुना अथवा पढ़ा होगा। द्रौपदी झील का पानी किसी चमत्कार से कम नहीं है। पूरी दुनिया में केवल द्रौपदी झील का पानी ही ऐसा पानी है जो माइनस 40 डिग्री के तापमान में भी नहीं जमता है। द्रौपदी झील के पानी पर किसी भी तापमान का असर नहीं होता है। द्रौपदी झील का यह पानी डायबिटीज (शुगर) की बीमारी के लिए रामबाण दवाई है। द्रौपदी झील विज्ञान तथा वैज्ञानिकों के लिए पहेली बनी हुई है।
द्रौपदी झील पर हो रही है रिसर्च
आपको पता है कि 4 डिग्री से कम तापमान पर पानी जमने लगता है। जीरो डिग्री पर पानी बर्फ में बदल जाता है। पूरी दुनिया में द्रौपदी झील का पानी ऐसा है कि वह पानी माइनस 40 डिग्री के तापमान पर भी नहीं जमता है। अनेक वैज्ञानिक द्रौपदी झील के पानी की इस खास विशेषता पर रिसर्च कर रहे हैं। हाल ही में घुमंतू पत्रकार नितिन यादव ने अपने एक कॉलम में द्रौपदी झील का पूरा विवरण दुनिया के सामने रखा है। यहां हम नितिन यादव द्वारा द्रौपदी झील पर दूसरा पहलू कॉलम में लिखा गया पूरा आलेख आपको पढ़वा रहे हैं।
अद्भुत है भारत की द्रौपदी झील
सोनमर्ग से कारगिल जाने का रास्ता कठिन तो है, लेकिन सैलानियों को सबसे ज्यादा बर्फबारी भी यहीं पर मिलती है। जैसे ही कश्मीर की सीमा समाप्त होने पर लद्दाख क्षेत्र शुरू होता है, तो सबसे पहले एक छोटा-सा गांव मटाइन पड़ता है। खास बात यह है कि गांव में लोग गर्मियों के दिनों में रहते हैं, सर्दियों में अधिक बर्फबारी के कारण दूसरे ठिकाने तलाश लेते हैं। यहां पर जंगह-जगह बोर्ड भी लगे होते हैं, दुनिया के दूसरे सबसे सर्द इलाके द्रास में आपका स्वागत है। खैर, मटाइन गांव से कारगिल की ओर कुछ सौ मीटर चलते ही निगाह पड़ती है द्रौपदी कुंड पर। पास में ही एक बड़ा कमरा था। दरवाजा खटखटाया, तो पता चला कि वह एक नूडल पॉइंट है। सैलानी कम आने की हालत में इसे चलाने वाले दोनों लोग अंदर आराम कर रहे थे। कमरे की अपनी खासियत थी। उसकी दीवारों पर बहुत से संदेश लिखे हुए थे। पूछने पर बताया गया कि यहां आने वाले बाइकर्स याद के लिए यह संदेश लिखते हैं। दोबारा आते हैं, तो फिर नई तारीख के साथ उसके नीचे नया संदेश लिख कर जाते हैं।
Draupadi Lake
नूडल पॉइंट के संचालकों में से एक नवीन राणा से जब पास में लगे द्रौपदी कुंड के बोर्ड के बारे में पूछा, तो सामने की पहाड़ी की ओर इशारा कर बताया कि वहां पर पांडवों का महल हुआ करता था। वह वनवास काटने के लिए यहां आए थे। उनका तो यह भी मानना है कि वह महल आज भी है, पर वहां पर जाना असंभव सा है। नवीन ने बताया कि द्रौपदी यहां पर केश धोने के लिए आती थीं, इसलिए इसका नाम द्रौपदी कुंड पड़ा। इसी के पास में द्रौपदी का मंदिर है और कुंड से अलग एक झील है। यह झील भी पांडवकालीन ही है और हर चार माह में पानी का रंग बदल जाता है। पहाड़ पर साल भर बर्फ जमी रहती है, पर इसका पानी ग्लेशियर के पिघलने से नहीं आता है, जमीन के नीचे इसका अपना स्रोत है। बर्फ पिघलती भी है तो आसपास से पानी बह जाता है, लेकिन झील के पानी में नहीं मिलता।
यहां पर तापमान माइनस 40 तक भी चला जाता है, लेकिन झील का पानी कभी नहीं जमता है। सामान्य पर्यटकों के अलावा, यहां बड़ी संख्या में लोग अपने बर्तनों के साथ पानी भरकर ले जाने के लिए आते हैं। यह कहा जाता है कि इस पानी को पीने से गैस की बीमारी ठीक हो जाती है और डायबिटीज के मरीजों के लिए भी रामबाण है। मान्यता यह भी है कि इस झील के पानी में मांसाहार नहीं पकता है। प्रमाणिकता पूछने पर नवीन तपाक से कहते हैं-आप खुद पानी भरकर ले जाइए और बाद में बताना कि जो कहा, वह सही है या नहीं। Draupadi Lake
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