Loksabha Chunav 2024 : लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार शुरू हो चुका है। हरियाणा में नायब सैनी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है । चुनावी मौसम में किसानों का गुस्सा नेताओं के खिलाफ खुलकर दिखाई दे रहा है। हरियाणा के हिसार, सिरसा और रोहतक जैसे जाट मेजोरिटी के इलाकों में बीजेपी के उम्मीदवारों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है ।
जाट बहुल इलाकों में बीजेपी का विरोध
हाल ही में हरियाणा के सोनीपत संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मोहनलाल बडोली को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा । मोहनलाल बडौली गांव रोहना में प्रचार करने गए थे तो वहां उन्हें लोगों द्वारा ताने और विरोध का सामना करना पड़ा । कई ग्रामीणों ने उन्हें वापस लौटने को कहा। किसानों ने उनका विरोध किया और अपनी समस्याओं के जवाब मांगे । यह कोई अकेली घटना नहीं है हरियाणा में कई इलाकों में बीजेपी के नेताओं को ग्रामीणों का गुस्सा झेलना पड़ रहा है । सोशल मीडिया पर भी कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें बीजेपी के उम्मीदवारों को कई निर्वाचन क्षेत्रों में किसानों के कड़े विरोध का सामना करते हुए दिखाया जा रहा है ।
![Loksabha Chunav 2024](https://chetnamanch.com/wp-content/uploads/2024/04/POSTER-H.jpg)
नेताओं को अपनी करनी का हिसाब देना ही होगा
किसान नेताओं का कहना है कि चुनाव के वक्त नेताओं को अपनी करनी का हिसाब देना ही होगा। किसान संघ और संयुक्त किसान मोर्चा के घटक “पगड़ी संभाल जट्टा”किसान संघर्ष समिति के मुताबिक यह विरोध प्रदर्शन “जवाब दो जवाब हिसाब लो” अभियान का हिस्सा है। ये मुहिम पिछले 5 साल में सत्तारूढ़ पार्टी को उसके काम के लिए जवाबदेह बनाने का एक प्रयास है ।
4 सीटों पर जाट डालेंगे असर
आपको बता दें कि हरियाणा की 10 में से चार संसदीय सीटों पर जाटों को मजबूत माना जाता है, यह है सिरसा, हिसार, रोहतक और झज्जर जिसमें 36 विधानसभा सीटें आती हैं। सिर्फ बीजेपी ही नहीं जननायक जनता पार्टी के नेताओं को भी इसी तरह के विरोध का सामना करना पड़ा है। हाल ही में 5 अप्रैल को आम आदमी पार्टी द्वारा एक वीडियो साझा किया गया जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को जाटों के गढ़ हिसार के नारा गांव में प्रवेश करने से रोक दिया गया । किसानों का कहना है कि उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से 20 सवालो की एक लिस्ट तैयार की है और अगर वह इन सवालों का जवाब नहीं दे पाए तो उन्हें गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा । ग्रामीणों द्वारा नेताओं के विरोध पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि जो लोग अपने उम्मीदवारों से नाखुश हैं वह उस व्यक्ति के खिलाफ चुनाव में मतदान कर सकते हैं लेकिन उम्मीदवारों को प्रचार करने से रोकना यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। आपको बता दें कि राज्य की आबादी में जाटों के हिस्सेदारी 22 से 23 प्रतिशत है जिनका इन सभी चार सीटों पर प्रभाव है। इस तरह गुस्से वाले प्रदर्शन केवल उम्मीदवारों तक ही सीमित नहीं है बल्कि उनके लिए प्रचार करने वाली पार्टी नेताओं के बीच भी है।
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