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हरियाणा में भाजपा बड़े संकट में फंस गई, जाएगी सरकार

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Haryana News : हरियाणा प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी बड़े संकट में फंस गई है। हरियाणा के राजनीतिक संकट के बीच विश्लेषकों ने बड़ा दावा किया है। विश्लेषकों का दावा है कि हरियाणा में भाजपा की प्रदेश सरकार गिर जाएगी। दावा यह भी किया जा रहा है कि इस बार हरियाणा में भाजपा 10 की 10 लोकसभा सीट हारने की कगार पर खड़ी हुई है।

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हरियाणा में तेजी से बदल रहे हैं राजनीतिक हालात

आपको बता दें कि हरियाणा प्रदेश में तीन निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। कांग्रेस को समर्थन देकर इन विधायकों ने लोकसभा चुनावों के मौसम में बीजेपी की सांस अटका दी है। निर्दलीयों विधायकों के समर्थन वापस लेने के एक दिन बाद ही पूर्व उपमुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) नेता दुष्यंत चौटाला ने बुधवार को कहा कि वह विपक्ष के नेता का समर्थन करेंगें। यानि कि भूपिंदर सिंह हुड्डा अगर राज्य सरकार को गिराने के लिए कदम उठाते हैं तो वे दुष्यंत चौटाला विधानसभा में उनके साथ खड़े होंगे।

हरियाणा के इस घटनाक्रम पर विश्लेषकों का कहना है कि हरियाणा में भाजपा सभी 10 लोकसभा सीटें और करनाल उपचुनाव की एक सीट जीतने की बात कर रही है। लेकिन तीन विधायकों का समर्थन वापस लेना दिखाता है कि बीजेपी कितनी कमजोर हो गई है। विश्लेषकों का कहना है कि हरियाणा में तीन विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया है. मनोहर लाल खट्टर करनाल से लोकसभा उम्मीदवार हैं. रणजीत सिंह हिसार से उम्मीदवार हैं. इन लोगों ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। यह सीधा दिख रहा है कि कुल पांच विधायक विधानसभा से बाहर हो चुके हैं और भाजपा सरकार के पास साधारण बहुमत भी नहीं है।

आगे क्या होगा हरियाणा में

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी यह दावा कर रही है कि छह महीने के भीतर सदन में अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। क्योंकि इसी साल 13 मार्च को ही नायब सिंह सैनी की सरकार ने बहुमत साबित किया था। नियम है कि एक बहुमत साबित होने के छह महीने तक कोई विश्वास मत परीक्षण नहीं हो सकता है। यानी 13 सितंबर तक विश्वास मत परीक्षण का प्रस्ताव कोई नहीं ला सकता है। इस बीच हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का तर्क है कि मार्च में सदन में जो अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था वह पिछली सरकार के खिलाफ था जो पिछली सरकार के कार्यकाल के साथ ही समाप्त हो गया था। अब, वहां एक नई सरकार है। इस प्रकार, एक नया अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। दरअसल देश के बहुत सारे नियमों और कानूनों की व्याख्या किस तरह विधानसभा अध्यक्ष या कोर्ट करती है इस पर बहुत कुछ निर्भर करता है। यही इस मुद्दे के साथ भी है। चूंकि सरकार केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर बीजीपी की है इसलिए बहुत कम उम्मीद है कि दुष्यंत की इस बात पर हरियाणा की विधानसभा राजी होगी। वैसे विपक्ष हरियाणा में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कोर्ट का भी सहारा ले सकता है।

सवाल उठ रहा है कि क्या हरियाणा सरकार पर तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी से बड़ा संकट आ गया है या क्या सरकार अल्पमत में आ गई है? विधायक धर्मपाल गोंदेर (नीलोखेड़ी), रणधीर गोलान (पुंडरी) और सोमबीर सांगवान (दादरी) के समर्थन वापस लेने के साथ, 40 विधायकों वाली भाजपा 88 सदस्यीय विधानसभा में अस्थायी रूप से मौजूद है। बहुमत का आंकड़ा 45 है। अभी बीजेपी के पास 43 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें 40 विधायक अपने और तीन अन्य विधायक हैं। हरियाणा जेजेपी के भी चार विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है। दूसरा सवाल है कि क्या तीन निर्दलीयों के समर्थन वापसी से कांग्रेस के पास सरकार बनाने का कोई मौका है? इसका फिलहाल जवाब है- नहीं- क्योंकि कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। तीन और जुड़े तो ये संख्या 33 हो जाती है. जेजेपी के 10 विधायक कांग्रेस के साथ जुड़ेंगे तो भी संख्या 43 ही होती है।

अब बात ये भी है कि क्या जेजेपी के सारे विधायक दुष्यंत चौटाला के साथ हैं? तो इसका उत्तर यही है कि खुद जेजेपी भी नहीं जानती उसके कितने विधायक उनके कहने पर पार्टी के समर्थन में वोट डालेंगे।अपने ही विधायकों के पार्टी छोडऩे के बारे में बात करते हुए, चौटाला ने कहा, व्हिप में बहुत शक्ति होती है। व्हिप लागू रहने तक पार्टी के सभी विधायकों को उसी के मुताबिक वोट करना होगा। हमने पहले ही उन लोगों को नोटिस जारी कर दिया है जो अन्य पार्टी कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं।’ एक प्रक्रिया है। हमने अपने तीन विधायकों को नोटिस जारी किया है। तीनों में से किसी ने भी जेजेपी द्वारा जारी किए गए नोटिस का जवाब नहीं दिया है। अगर उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया तो हम स्पीकर को पत्र लिखकर उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग करेंगे।

किसी भी सरकार का चलना और न चलना उसके पास बहुमत से ज्यादा उसके इकबाल पर निर्भर होता है। जब बीजेपी की हरियाणा और केंद्र दोनों जगहों पर बीजेपी की सरकार है। इकके बावजूद अगर 3 निर्दलीय विधायक सरकार से समर्थन वापस लेते हैं तो इसका मतलब सीधा है कि राज्य में सरकार अब पहले जैसी लोकप्रिय नहीं रही। कहीं न कहीं इन विधायकों को ऐसा महसूस हो रहा होगा कि अब ये सरकार जाने वाली है, समय से पहले अपना ठौर-ठिकाना ढूंढ लें। समझने वाली बात यह है कि यह सब ऐसे समय हो रहा है जब देश में आम चुनाव हो रहे हैं। सीधा मतलब है कि ये विधायक ये समझते हैं कि आने वाला सम? बीजेपी के लिए ठीक नहीं है।

होगा बड़ा असर

विश्लेषकों का कहना है कि हरियाणा में दुष्यंत चौटाला खुद अपना राजनीतिक वजूद तलाश रहे हैं। पर तीन निर्दलीय विधायकों के बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने और जेजेपी का कांग्रेस को समर्थन देने के ऐलान से प्रदेश की राजनीति पर भी असर पडऩा तय है। हरियाणा की राजनीति के एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर हर विधायक अपने साथ 10 हजार वोट भी साथ लाता है तो बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचाने की स्थिति में होगा। हरियाणा में जाट मतदाताओं में बीजेपी की सरकार को लेकर नाराजगी तो थी ही, अब इस तरह जब निर्दलीय और जेजेपी के लोगों को गोलबंद होते देख धु्रवीकरण और तेज होगा। विशेषकर जाट बाहुल वाली संसदीय सीटों पर बीजेपी के मुश्किल खड़ी होने वाली है। इस प्रकार हरियणा की राजनीति बहुत तेजी से बदल रही है। अगले कुछ दिनों में हरियाणा की राजनीति में चौंकाने वाले फैसले सामने आ सकते हैं। Haryana News

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