Wednesday, 16 October 2024

करवा चौथ के महत्व को खुद चाँद तथा सूरज से समझा

Karwa Chauth 2024 : करवा चौथ का पर्व भारत का सबसे पवित्र पर्व है। यूं तो भारत में ढ़ेर सारे…

करवा चौथ के महत्व को खुद चाँद तथा सूरज से समझा

Karwa Chauth 2024 : करवा चौथ का पर्व भारत का सबसे पवित्र पर्व है। यूं तो भारत में ढ़ेर सारे पर्व मनाए जाते हैं, किन्तु करवा चौथ (Karwa Chauth) का पर्व सभी पर्वों से बड़ा है। करवा चौथ के पर्व पर भारत की सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत करती हैं। करवा चौथ (Karwa Chauth) का पर्व चन्द्रमा (चाँद) से भी जुड़ा हुआ है। सुहागिन महिलाएं चांद को देखने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं तथा चांद से अपने पति की लम्बी आयु मांगती हैं। करवा चौथ (Karwa Chauth) के पर्व के साथ बहुत सारी कहानियां भी जुड़ी हुई हैं।

करवा चौथ का विशेष महत्व

भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता में करवा चौथ (Karwa Chauth) का विशेष महत्व है। भारतीय समाज यह मानता है कि व्रत-पूजन करके चांद से जो भी मांगा जाता है उस मांग को चांद देवता पूरा करते हैं। विज्ञान के युग में कुछ लोग यह कह सकते हैं कि चाँद कोई देवता नहीं है। चांद तो एक उपग्रह है। इस बात को धार्मिक मान्यताओं से ठीक-ठीक समझा जा सकता है। करवा चौथ के पर्व से पूर्व चेतना मंच के एक पाठक ने करवा चौथ पर चाँद के महत्व, करवा चौथ की परम्परा तथा करवा चौथ की पूजा को बहुत ही अनोखे अंदाज में समझाया है। आप भी चांद तथा सूरज की सांकेतिक वार्ता से समझ सकते हैं करवा चौथ तथा करवा चौथ पर चाँद के विशेष महत्व को।

चांद बहुत खुश है

कल सूरज और चांद मिले। चांद बड़ा खुश नजर आ रहा था। सूरज: क्या बात है छोटे भाई! आजकल बड़ा खुश नजर आ रहे हो, मामला क्या है?

चांद : अरे बड़े भाई! अब तुमसे क्या छुपाना, बहुत साल पहले की बात है अमेरिका और सोवियत संघ ने तो अपने अंतरिक्ष मिशनों के नाम पर मुझ पर चढ़ाई ही कर दी। जहां अमेरिका ने अपोलो मिशन चलाया ,वही सोवियत संघ ने लूना मिशनों की भरमार कर दी। अंततः 20 जुलाई ,1969 को तो अमेरिका का अंतरिक्ष यान अपोलो 11 अपने तीन यात्रियों नील आर्मस्ट्रांग,एडविन एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस के साथ मेरे सीने को रौंदने पहुंच ही गया। नील आर्मस्ट्रांग तो इस बात से ही बड़ा गौरवान्वित महसूस कर रहे थे कि वह मुझ पर कदम रखने वाले पहले इंसान हैं ।

सूरज : छोटे भाई ! यह सब तो बड़ी पुरानी बातें हैं। उसके बाद तो और भी देश चीन, इसराइल, यूरोपीय स्पेस एजेंसी, जापान आदि ने भी तुम पर अभियान किए हैं। इसमें खुश होने की क्या बात है।

चाँद : बड़े भाई बात यह है कि भारत ने वर्ष 2008 में अपना चंद्रयान मिशन आरंभ किया। चंद्रयान प्रथम 2008 में, चंद्रयान द्वितीय 2019 में  तथा चंद्रयान तृतीय 2023 में मुझ पर भेज दिए। 2023 में तो इनका मिशन मेरे दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच भी गया जहां तक कभी किसी देश का मिशन नहीं पहुंचा था।

सूरज : यह सब तो ठीक पर यह बताओ ना तुम्हारे खुश होने की वजह क्या है? इन सब चंद्रयान मिशनों से तुम्हें क्या लाभ हुआ जो तुम इसकी चर्चा करते हुए इतना खुश हो रहे हो?

चांद : अरे बड़े भाई इन चंद्रयान मिशनों से मैं खुश नहीं हो रहा था बल्कि मैं तो बहुत डरा हुआ था कि पूरे भारतवर्ष की पतिव्रता नारियों को जैसे ही पता चलेगा मैं खूबसूरत नहीं हूं, मेरी सतह पर गड्ढे हैं, मुझे तरह-तरह के कंपन, चंद्र कंप, भी होते हैं, मेरा आकर्षण (गुरुत्वाकर्षण )भी पृथ्वी की तुलना में छठा हिस्सा 1/6 ही है फिर भी वह मुझ में अपने प्रियतम का दीदार कर पाएंगी क्या? मेरी बातों का वजन भी पृथ्वी की तुलना में 1/6 ही है तब भी क्या भारतीय स्त्रियां अपने पति के दीर्घायु, स्वस्थ एवं समृद्ध होने की पूजा व प्रार्थनाये मुझसे करेगी।

सूरज : यह सब तो भारतीय स्त्रियां पीढ़ियों से करती आ रही हैं। सनातन भारतीय संस्कृति व परंपराओं की यही तो सबसे बड़ी खूबी है कि एक बार जिसे देवता मान लिया फिर उनकी संतति उसका मान-पान पूर्ववत करती रहती है क्योंकि अखिल ब्रह्मांड के कण-कण में ब्रह्म की उनकी अवधारणा क्या आज की है? यह तो सहस्राब्दियों(हजारों वर्ष) पुरानी है। इसलिए तुझे डरने की जरूरत नहीं है भाई। अब तो मुझे बस इतना बता दे कि आजकल तू इतना खुश क्यों है ?

चांद : अरे भाई आप तो सब जानते हैं फिर भी मुझसे ही सुनना चाहते हैं। बात यह है  कि 20 अक्टूबर को करवाचौथ का त्यौहार है। बड़े भाई वही तो एक दिन होता है जब करोड़ों स्त्रियां सोलह सिंगार करके नव वधू की तरह सज धज के मेरे दीदार के लिए घंटों इंतजार करती हैं और मेरा दिल बल्लियों उछलने लगता है। अखिल ब्रह्मांड में है कोई मुझसे ज्यादा भाग्यशाली करोड़ों नारियां जिसको छलनी के पीछे से छुप-छुपकर निहारती हैं, अर्घ्य देती है ,भोग समर्पित करती हैं और आरती उतारती है। उस समय मैं प्रेम रस में सराबोर हो जाता हूं। हर्षित, आनंदित रोमांचित, उन्मादित या गौरवान्वित मुझे खुद अपने दिल का हाल नहीं पता होता कि मैं कैसा अनुभव कर रहा हूं। मेरे हाल ए दिल को बयां करने के लिए तो किसी कवि की लेखनी ही सक्षम होगी। जिन्होंने मेरी उपमा दे देकर न जाने कितने प्रेम गीतों की रचना कर प्रेयसियों को रिझाया है। पिछले करवा चौथ की मीठी स्मृतियों और आगामी करवा चौथ की कल्पना करके मेरे मन में लड्डू फूट रहे हैं।

सूरज: ओह! अब समझा तुम्हारी प्रसन्नता का कारण ।यह कहकर सूर्य अन्यमनस्क हो गया और सोचने लगा कि कभी-कभी सुकुमारिता भी तेज पुंज से जीत सकती है विशेषतया अगर मामला भारतीय स्त्रियों का हो तो।

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