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National Political News : राजीव हत्याकांड के दोषियों की रिहाई एआईसीसी-टीएनसीसी के संबंधों में बदलाव का संकेत

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Release of convicts in Rajiv assassination case a sign of change in AICC-TNCC relations

National Political News : चेन्नई। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों की रिहाई पर प्रतिक्रिया केएस अलागिरि के नेतृत्व वाली तमिलनाडु कांग्रेस समिति (टीएनसीसी) और राज्य में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के बीच संबंधों में बदलाव का संकेत देती है। टीएनसीसी की सदस्यता से कुछ दिन पहले इस्तीफा देने वाले पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि उनके पार्टी छोड़ने का एक कारण पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों की रिहाई का पार्टी की राज्य इकाई द्वारा कड़ा विरोध नहीं किया जाना है।

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कांग्रेस की तूत्तुक्कुडि उत्तर जिला इकाई का ‘अध्यक्ष पद छोड़ने’ की घोषणा करने वाले आर. कामराज (62) ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि भले ही (राजीव गांधी की हत्या के दोषी) एजी पेरारिवलन की रिहाई हो या छह दोषियों की हाल में हुई रिहाई, अलागिरि के नेतृत्व में पार्टी की राज्य इकाई ने इसका विरोध करने के लिए कुछ उल्लेखनीय नहीं किया।चार दशकों से अधिक समय से पार्टी के कार्यकर्ता रहे कामराज ने अलागिरि पर ‘केवल अपने हितों की रक्षा’ के प्रयास करने का आरोप लगाया।

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उन्होंने राज्य इकाई के नेतृत्व पर महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रदर्शन तक नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने केवल विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) जैसे सहयोगियों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया।

कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर द्रमुक, मुख्य विपक्षी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेष कषगम (अन्नाद्रमुक) और वीसीके सहित अन्य सभी दलों ने दोषियों की रिहाई का स्वागत किया है। कामराज ने कहा कि उन्होंने अलागिरि की कार्यशैली के विरोध में 18 नवंबर को इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद पार्टी के किसी नेता ने उनसे संपर्क नहीं किया।

राजनीतिक टिप्पणीकार एम भरत कुमार ने कहा कि यह बात सभी को पता है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के विपरीत तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी ने दोषियों की रिहाई का पुरजोर विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा कि एआईसीसी ने शीर्ष अदालत के आदेश को ‘पूर्णतय: अस्वीकार्य और त्रुटिपूर्ण’ करार दिया था। एआईसीसी ने कहा कि वह दोषियों की रिहाई के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक समीक्षा याचिका दायर करेगी। उन्होंने कहा कि ‘टीएनसीसी ने ‘खेदजनक’ जैसे बहुत नरम शब्दों का इस्तेमाल किया और उन्होंने इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन भी नहीं किया।’ उन्होंने कहा कि एआईसीसी ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रखने के न्यायालय के फैसले का शुरू में स्वागत किया था, लेकिन बाद में उसने कहा था कि वह दक्षिणी राज्यों के अपने नेताओं के सुझावों के बाद अपने रुख की ‘समीक्षा’ करेगी और टीएनसीसी का कड़ा प्रतिरोध इसका अहम कारण था।

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कुमार ने कहा कि विचारधारा से संबंधित मामलों सहित सभी मुद्दों पर टीएनसीसी द्रमुक के रुख का विरोध नहीं करना चाहती, ताकि उसके नेता चुनावों में जीत हासिल कर सके और यह एक के बाद एक कई मुद्दों में स्पष्ट हो रहा है। टीएनसीसी नेता भूल गए हैं कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण का मुद्दा कांग्रेस ने उस समय उठाया था, जब वह केंद्र में सत्ता में थी।उन्होंने कहा कि टीएनसीसी चुनावों में अपने नेताओं की जीत के लिए पूरी तरह से द्रमुक पर निर्भर है और पार्टी की संगठनात्मक ताकत कन्याकुमारी जैसे चुनिंदा क्षेत्रों तक ही सीमित है।

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कुमार ने कहा कि कांग्रेस का एक भी नेता द्रमुक के समर्थन के बिना किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में विधानसभा या संसदीय चुनाव जीतने की उम्मीद नहीं कर सकता। इससे पता चलता है कि वे चुप क्यों हैं। उन्होंने दावा किया कि सच्चाई स्पष्ट है कि कांग्रेस तमिलनाडु में ‘कमोबेश द्रमुक की शाखा’ बनकर रह गई है।

तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अलागिरि ने राज्य इकाई द्वारा द्रमुक की सहयोगी होने के कारण दोषियों की रिहाई के मामले पर ‘नरम रुख’ अपनाने के दावों को खारिज किया।

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