Agriculture News: खेेती और किसान:एक चमत्कार है लघु धान्य की फसलें

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locationभारत
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calendar30 Nov 2025 12:22 AM
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Agriculture News:  न्य अनाजों की तुलना में कम वाष्पोसर्जन दर पर कार्बन के स्थिरीकरण करने की क्षमता लघु धान्य की फसलों में होती है। यह फसल रेतीली, अम्लीय और क्षारीय जिनका पी—एच मान 4.5 से 8 के बीच हो के लिए ठीक होती है। कार्बन पदचिंह को कम करने की क्षमता इनमें होती है। इसमें कम से कम ग्लोबल बार्मिंग क्षमता भी पायी जाती है। यह ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के लिए प्रतिरोधी होती है। सूखे में वृद्वि की आवृत्ति और औसत तापमान की बढ़ी स्थिति में धान्य को कम या बिल्कुल भी उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती। लघु धान्य फसलों जैसे बाजरा और ज्वार को उगाने के लिए उपयोग की जाने वाली भूमि के क्षेत्र में वृद्वि करने, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और पानी की कमी के मुद्दों और खाद्य सुरक्षा के लिए रणनीति बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।

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  बता दें, वैश्विक जलवायु परिवर्तन आज के दौर में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है और जीवन के सभी आयामों का प्रभावित करता है। इससे अछूता कृषि क्षेत्र भी नहीं है। खरीफ के मौसम में की जाती है लघु धान्य फसलों की खेती: लघु धान्य फसलों की खेती खरीफ के मौसम में की जाती है। सांवा, काकुन एवं रागी को मक्का के साथ मिश्रित फसल के रूप में लगाते हैं। रोगी को कोदो के साथ भी मिश्रित फसल के रूप में लेते हैं। ये फसलें गरीब एवं आदिवासी क्षेत्रों में उस समय लगाई जाने वाली खाद्यान्न फसलें है जिस समय पर उनके पास किसी प्रकार अनाज खाने को उपलब्ध नहीं हो पाता है। ये फसलें अगस्त के अंतिम सप्ताह या सितम्बर के प्रारंभ में पककर तैयार हो जाती है जबकि अन्य खाद्यान्न फसलें इस समय पर नहीं पक पाती और बाजार में खाद्यान्नों का मूल्य बढ़ जाने से गरीब उन्हें नहीं खरीद पाते है। इसलिए समय पर 60-80 दिनों में पकने वाली सांवा, कुटकी एवं कंगनी जैसी फसलें महत्वपूर्ण खाद्यान्न के रूप प्राप्त होती है। [caption id="attachment_51125" align="alignnone" width="252"]Agriculture News Agriculture News[/caption] हर प्रकार की भूमि में पैदा की जा सकती है: ये फसलें प्राय: हर प्रकार की भूमि में पैदा की जा सकती है। जिस भूमि में अन्य कोई धान्य फसल उगाना सम्भव नहीं होता वहां भी ये फसलें सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। उतार-चढ़ाव वाली, कम जल धारण क्षमता वाली, उथली सतह वाली आदि कमजोर किस्म में ये फसलें अधिकतर उगाई जा रही है। हल्की भूमि में जिसमें पानी का निकास अच्छा हो इनकी खेती के उपयुक्त होती है। बहुत जल निकास होने पर लघु धान्य फसलें प्राय: सभी प्रकार की भूमि में उगाई जा सकती है। भूमि की किस्म अनुसार बीज करें चुनाव: भूमि की किस्म के अनुसार उन्नत किस्म के बीज का चुनाव करें। हल्की पथरीली व कम उपजाऊ भूमि में जल्दी पकने वाली जातियों का तथा मध्यम गहरी व दोमट भूमि में एवं अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में देर से पकने वाली जातियों की बोनी करें। लघु धान्य फसलों की कतारों में बुवाई के लिये 8-10 किलोग्राम बीज तथा छिटकवां बोनी के लिये 12-15 किलोग्राम बीज प्रति हे. पर्याप्त होता हेै। लघु धान्य फसलों को अधिकतर छिटकवां विधि से बोया जाता है। समय, बीजोपचार एवं बोने का तरीका: वर्षा आरंभ होने के तुरंत बाद लघु धान्य फसलों की बोनी कर दें। शीघ्र बोनी करने से उपज अच्छी प्राप्त होती है एवं रोग, कीट का प्रभाव कम होता है। कोदों में सूखी बोनी मानसून आने के दस दिन पूर्व करने पर उपज में अन्य विधियों से अधिक उपज प्राप्त होती है। जुलाई के अंत में बोनी करने से तना मक्खी कीट का प्रकोप बढ़ता है। बोनी से पूर्व बीज को मेन्कोजेब या थायरम दवा 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से बीजोपचार करें। ऐसा करने से बीज जनित रोगों से फसल की सुरक्षा होती है। कतारों में बोनी करने कतार के कतार की दूरी 20-25 सेमी तथा पौधों से पौधों की दूरी 7 सेमी उपयुक्त पाई गई है। इसकी बोनी 2-3 सेमी गहराई पर की जाए। कोदों में 6-8 लाख एवं कुटकी में 8-9 लाख एवं कुटकी में 8-9 लाख पौधे प्रति हे. हो। खाद एवं उर्वरक का उपयोग समय से करें: कुटकी में 20 नत्रजन, 20 स्फुर प्रति हे. तथा कोदों एवं रागी के लिए 40 किलो नत्रजन व 20 किलो स्फुर प्रति हे. के उपयोग करने से वृद्धि होती है। नत्रजन की आधी मात्रा व स्फुर की पूरी मात्रा बुआई के समय एवं नत्रजन के शेष आधी मात्रा बुआई के 3 से 5 सप्ताह के अन्दर निंदाई के बाद दें। बुवाई के 30 दिन के अंदर हाथ से करें निंदाई: बुआई के 20-30 दिन के अन्दर एक बार हाथ से निंदाई करें। तथा जहां पौधे न ऊगे हो वहां पर अधिक घने पौधों को ऊखाड़ कर पौधों की संख्या उपयुक्त करें। यह कार्य पानी गिरते समय सर्वोत्तम होता है। कोदों का भण्डारण कई वर्षो तक किया जा सकता है, क्योंकि इनके दानों में कीटों का प्रकोप नहीं होता है। अन्य देशों में भी उगाए जाते हैं लघु धान्य की फसलें: एशिया, अफ्रीका के विभिन्न उष्णकटिबंधीय देशों और कुछ हद तक दक्षिण अमेरिका में भी लघु धान्य उगाए जाते हैं। स्थानीय उत्पादकों को शिक्षित करके तथा नीतिगत बदलाव और तकनीकी हस्तक्षेप करके इन क्षेत्रों में लघु धान्य के उत्पादन में वृद्वि की जा सकती है। दुनिया की अधिकांश आबादी अब उष्णकटिबंधीय जलवायु में रहती है। इस प्रकार सहिष्णु अनाज फसलों जैसे बाजरा और ज्वार को उगाने के लिए उपयोग की जाने वाली मृदा के क्षेत्र में वृद्वि करना जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने, पानी की कमी के मुद्दों और खाद्य सुरक्षा के लिए रणनीति बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

Delhi News: जेल में बंद पीएफआई नेता को नजरबंद नहीं किया जाएगा : दिल्ली हाईकोर्ट

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Delhi News: जेल में बंद पीएफआई नेता को नजरबंद नहीं किया जाएगा : दिल्ली हाईकोर्ट

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 09:46 PM
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Delhi News: नयी दिल्ली। ई. अबुबकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि जेल में बंद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष को चिकित्सा उपचार मुहैया कराया जाएगा लेकिन घर में नजरबंदी में नहीं रखा जाएगा।

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अबुबकर ने निचली अदालत के चिकित्सा आधार पर रिहा नहीं किए जाने के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने कहा, “जब आप चिकित्सा आधार पर जमानत मांग रहे हैं तो हम आपको घर क्यों भेंजे? हम आपको अस्पताल भेजेंगे।” अबुबकर (70) के वकील ने पिछले महीने कहा था कि उनको कैंसर और पार्किंसंस रोग है और वह “गंभीर पीड़ा” में हैं, जिसके लिए तत्काल इलाज की आवश्यकता है। अबूबकर को इस साल की शुरुआत में प्रतिबंधित संगठन पर व्यापक कार्रवाई के दौरान राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में हैं। पीठ ने सोमवार को टिप्पणी की कि “नजरबंद” रखने के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं था और निर्देश दिया कि अबुबकर को 22 दिसंबर को ‘ऑन्कोसर्जरी’ समीक्षा के लिए हिरासत में एम्स में “सुरक्षित रूप से ले जाया जाए” और उनके बेटे को भी परामर्श के समय उपस्थित रहने की अनुमति दी। अदालत ने कहा, “हम आपको नजरबंदी नहीं दे रहे हैं। कानून में नजरबंद किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पास शक्तियां हैं जो इस न्यायालय के पास नहीं हैं।” न्यायमूर्ति मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हमें इसमें कुछ भी उचित नहीं दिख रहा है क्योंकि किसी सर्जरी की सिफारिश नहीं की गई है। सबसे पहले तो हम आपको नजरबंदी में नहीं भेज सकते। यदि आपकी चिकित्सा स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है, तो हम अस्पताल में भर्ती होने का निर्देश दे सकते हैं। हम एक परिचारक की अनुमति दे सकते हैं। हम किसी और चीज की अनुमति नहीं दे रहे हैं।” अदालत ने कहा, “वह इलाज के हकदार हैं और हम प्रदान करेंगे।” पीठ ने मामले को अगले साल जनवरी में विचार के लिए सूचीबद्ध किया और जेल चिकित्सा अधीक्षक को एम्स के ऑन्कोसर्जरी विभाग के साथ परामर्श पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

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Political News : कांग्रेस ने कर्नाटक के लिए चुनाव समिति में 11 और नेताओं को शामिल किया

Congress 1
Congress includes 11 more leaders in the election committee for Karnataka
locationभारत
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calendar28 Nov 2025 12:38 AM
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए गठित प्रदेश चुनाव समिति में सोमवार को 11 और नेताओं को शामिल किया।

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पार्टी की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, बीएल शंकर, परमेश्वर नाईक, उमाश्री, रमेश कुमार, रामनाथ राय, एचएम रेवन्ना, जमीर अहमद और कुछ अन्य नेताओं को प्रदेश चुनाव समिति में जगह दी गई है।

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कर्नाटक में अगले साल के मध्य में विधानसभा चुनाव होना है।