Corona Vaccine: वैक्सीन लगते ही बोलने और चलने लगा सालों से बेड पर पड़ा मरीज

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Covid Vaccine (PC- India.com)
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calendar29 Nov 2025 06:00 AM
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Corona Vaccine- झारखंड (Jharkhand) राज्य के बोकारो जिले (Bokaro District) से एक बेहद चमत्कारी खबर सामने आई है। यहां के डॉक्टरों ने दावा किया है कि एक 55 साल का व्यक्ति जिसने 5 साल पहले हुए एक्सीडेंट के बाद बिस्तर पकड़ लिया था और बोलने और चलने में असमर्थ हो गया था, वह कोरोना की वैक्सीन (Corona Vaccine) लगते ही चलने और बोलने लगा है। इस मरीज के चमत्कारिक रूप से ठीक होने की जांच के लिए 3 सदस्यों की टीम का गठन किया गया है, जो इस मामले की पूरी तरह से जांच कर रही है।

बोकारो जिले के व्यक्ति का 5 साल पहले हुआ था एक्सीडेंट -

झारखंड (Jharkhand) राज्य के बोकारो जिले (Bokaro District) के एक गांव सल्गाडीह के रहने वाले दुलारचंद मुंडा का 5 साल पहले एक रोड एक्सीडेंट हुआ था। एक्सीडेंट के बाद इनकी रीढ़ की हड्डी में गहरी चोट आई थी जिसके बाद इन्होंने बिस्तर पकड़ लिया था। दुर्घटना के बाद से दुलारचंद बोलने और चलने में पूरी तरह से असमर्थ हो गए थे। 4 जनवरी को एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा इनके घर पर इन्हें देश भर में फैली महामारी कोविड की वैक्सीन (Corona Vaccine) कोविशील्ड (Covishield Vaccine) लगाई गई। बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन के लगने के अगले दिन से ही दुलारचंद मुंडा जो सालों से बिस्तर पर पड़े थे, चलने और बोलने लगे। इनको चलते और बोलते हुए देख हर कोई हैरान रह गया। Covid 19 Guidelines: कोरोना मरीज होम आइसोलेशन के लिए अपनाएं ये नियम

इस घटना की जांच के लिए बनाई गई है तीन सदस्यीय टीम-

बोकारो जिले के सिविल सर्जन जितेंद्र कुमार ने बताया है कि, टीका लगने के बाद से दुलारचंद मुंडा का चलना और बोलना एक चमत्कारिक घटना है और इस घटना की जांच होना आवश्यक है। इसके लिए एक टीम का गठन किया गया है जिसमें तीन सदस्यों को शामिल किया गया है। ये टीम पूरी घटना की जांच करेगी। जांच के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि यह वैक्सीन के असर से हुआ है या महज एक इत्तफाक है। Noida Corona News: नरेंद्र भूषण का निर्देश- कोविड मेडिकल किट में दवाइयों के नाम और फायदे लिखें
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योगी, अखिलेश और प्रियंका गांधी की इस राजनीती से यूपी का एक फायदा तो तय है!

UP Election 2022 2
UP Election 2022
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calendar02 Dec 2025 02:19 AM
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बीजेपी के मंत्रियों, विधायकों के भागने के बीच दब गई यह खबर कांग्रेस (Congress) ने यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election 2022 ) के लिए उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है जिसमें 125 में से 50 महिलाएं हैं। महिलाओं में भी 36% दलित महिलाएं हैं। सूची जारी करते हुए प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने कहा कि यह 'नई राजनीति' की शुरुआत है।

यूपी में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायकों और मंत्रियों की अन्य दलों में जाने की चर्चा के बीच यह खबर दब सी गई लेकिन, क्या यह सच में नई तरह की राजनीति की शुरुआत है?

इन 3 बदलावों के चलते राजनीति में बढ़ा महिलाओं का महत्व हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में बताया गया कि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 2% हो गई है। यानी, भारत में महिलाएं औसतन दो शिशुओं को जन्म दे रही हैं। महिला साक्षरता दर में लगातार सुधार हो रहा है और महिलाओं के आत्मनिर्भर होने से भारत का सामाजिक ताना-बाना तेजी से बदल रहा है।

टीवी (TV) और इंटरनेट (Internet) के आने से देश और दुनिया के बारे में जानने के लिए अब घर से बाहर जाने की भी जरूरत नहीं रही। सूचना क्रांति ने भी ग्रामीण और खासतौर पर घरों मे रहने वाली महिलाओं को सशक्त बनाया है।

जिस दल ने सबसे पहले समझा, उसे मिला सबसे ज्यादा लाभ महिलाओं के राजनीतिक महत्व को समझने और महिला वोटरों को आकर्षित करने की राष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2014 के लोकसभा चुनाव में की। चुनाव जीतने के बाद मोदी की सरकार ने 'उज्जवला योजना' (मुफ्त गैस कनेम्क्शन) और 'इज्जत घर' (शौचालय) के निर्माण को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया।

माना जाता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के भारी जीत में महिला मतदाताओं ने बड़ी भूमिका अदा की। दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार ने 'नल से जल योजना' पर सबसे ज्यादा काम किया है। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स तक ने सरकार की इस योजना की तारीफ की है।

केवल योजना बनाने नहीं, उसे लागू करने से हुआ फायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) जनता की नब्ज पहचानते हैं। उन्हें पता है कि आज भी देश के बहुत बड़े तबके तक पीने के साफ पानी की पहुंच नहीं है। इस समस्या से सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है क्योंकि, पानी के लिए उन्हें घरों से दूर कुंओं, नदियों, पोखरों या तालाबों तक जाना पड़ता है।

खास बात यह है कि सरकार ने सिर्फ, आम आदमी से जुड़ी योजनाएं ही नहीं बनाईं बल्कि, उन्हें जमीन पर उतारा जिससे महिलाओं को सीधा लाभ मिला।

यूपी में पहली बार 'आधी आबादी' को मिला ऐसा सम्मान! बीजेपी (BJP) के बाद महिला मतदाताओं के महत्व को समझने और खुलकर उनके पक्ष में राजनीति करने की पहल प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के नेतृत्व में यूपी कांग्रेस ने की है। यूपी में कांग्रेस का नारा 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' काफी लोकप्रिय है। प्रियंका गांधी की इस पहल से यूपी की महिलाओं मतदाताओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा और उन्हें अपने राजनीतिक महत्व का भी अहसास होगा।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (48), यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (49) और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (50) की उम्र में कोई खास अंतर नहीं है। लेकिन, तीनों की राजनीति करने के तरीके में जमीन-आसमान का फर्क है।

यह है योगी, अखिलेश, प्रियंका की राजनीति में मौलिक अंतर एक मझे हुए राजनेता की तरह अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) यूपी में वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए जाति आधारित छोटे-छोटे दलों से गठबंधन कर रहे हैं। अखिलेश का मानना है कि पिछली बार बड़े दलों (बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस) के साथ गठबंधन करने से उनका नुकसान हुआ इसलिए, इस बार वह छोटे दलों के साथ मिलकर बंगाल की तर्ज पर 'खेला होबे' की जगह 'मेला होबे' करके दिखाएंगे।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) गुंडो-माफियाओं को प्रदेश से खदेड़ देने और अयोध्या, मथुरा, प्रयागराज जैसे धार्मिक महत्व के शहरों को उनको पुराना गौरव दिलाने की राजनीतिक कर रहे हैं।

इन दोनों के अलग प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) का पूरा फोकस महिला मतदाताओं पर है। कांग्रेस (Congress) जानती है कि धर्म या जाति की राजनीति करके यूपी में पार्टी की खोई हुई जमीन वापस नहीं लाई जा सकती। यूपी में जातिगत आधार पर पिछड़े और अल्पसंख्यकों में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की पैठ है और दलितों में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) का व्यापक जनाधार है।

माफिया, जाति-धर्म, महिलाओं को टिकट: वोट किसे कांग्रेस का पूरा ध्यान महिलाओं और युवाओं पर है। प्रियंका गांधी यूपी के दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और सामान्य वर्ग के उन मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश में हैं जो शिक्षित हैं और बदलाव के पक्षधर हैं।

यूपी जैसे राज्य में महिलाओं और उनसे जुड़े मुद्दों को राजनीतिक एजेंडा बनाने की कोशिश क्या रंग लाती है यह तो वक्त ही बताएगा। हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि महिलाओं को 40% टिकट देने की कांग्रेस की इस पहल से यूपी में एक नई तरह की राजनीति जरूर शुरू हुई है।

हालांकि, देखना दिलचस्प होगा कि गुंडों-माफियों से मुक्ति, जातीय या धार्मिक पहचान, महिलाओं को 40% टिकट के मुद्दे में से कौन सा मुद्दा यूपी की महिलाओं को आकर्षित करने में सफल होता है।

- संजीव श्रीवास्तव

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Covid 19 Guidelines: कोरोना मरीज होम आइसोलेशन के लिए अपनाएं ये नियम

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locationभारत
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calendar13 Jan 2022 09:49 PM
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Covid 19 Guidelines : नोएडा। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) अब बेकाबू हो गया है. इसके हजारों मामले सामने आ रहे हैं. गुरुवार को जारी आंकड़े डराने वाले हैं. देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के 2 लाख 47 हजार 417 नए केस आए हैं. ये केस कल के मुकाबले 27 फीसदी ज्यादा हैं. देश मे पिछले 24 घंटे में 84 हजार 825 मरीज संक्रमण से ठीक हुए हैं. देश में 11 लाख 17 हजार 531 सक्रिय केस हैं. देश में ओमिक्रॉन के केस 5,488 हो गए हैं. जो कोरोना मरीज हल्‍के कोविड लक्षण या गैर लक्षणी वाले हैं, उनके लिए स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने होम आइसोलेशन (Home Isolation Guidelines) के लिए गाइडलाइंस (Covid 19 Guidelines)  जारी की हैं. Home Isolation Guidelines- - मरीज को घर के अन्य सदस्यों से खुद को अलग करना चाहिए. एक अलग कमरे में रहना चाहिए. घर के अन्य लोगों से दूर रहना चाहिए, विशेष रूप से बुजुर्गों और अन्‍य बीमारियों से जूझ रहे लोगों से भी . - मरीज को एक हवादार कमरे में क्रॉस वेंटिलेशन के साथ रहना चाहिए और ताजी हवा आने के लिए खिड़कियां खुली रखनी चाहिए. - मरीज को हमेशा तीन परतों या लेयर वाले मेडिकल मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर मास्क गीला हो जाता है या दिखने में गंदा हो जाता है तो उन्हें हटा देना चाहिए. एक मास्‍क को 8 घंटे इस्‍तेमाल किया जा सकता है. देखभाल करने वाले के मरीज के कमरे में जाने की स्थिति में देखभाल करने वाले और मरीज, दोनों ही एन-95 मास्क का उपयोग कर सकते हैं. - मास्क को टुकड़ों में काटकर और पेपर बैग में कम से कम 72 घंटे के लिए रख कर फेंक देना चाहिए. - मरीज को पर्याप्‍त पानी या अन्‍य पेय पदार्थ पीने चाहिए. - हाथों को कम से कम 40 सेकंड तक साबुन और पानी से बार-बार धोना चाहिए. अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर से हाथ साफ करने चाहिए. - मरीज घर के अन्य लोगों के साथ बर्तन सहित निजी सामान साझा नहीं करेंगे. - कमरे में बार-बार छुई जाने वाली सतहों (टेबलटॉप, डोर नॉब्स, हैंडल आदि) की साबुन/डिटर्जेंट और पानी से सफाई सुनिश्चित करें. मास्क और दस्ताने के उपयोग जैसी आवश्यक सावधानियों का पालन करते हुए या तो मरीज या देखभाल करने वाले द्वारा सफाई की जा सकती है. - मरीज की पल्स ऑक्सीमीटर के साथ ब्‍लड ऑक्सीमीटर की निगरानी की सलाह दी जाती है। - मरीज को रोजाना तापमान की निगरानी के साथ अपने स्वास्थ्य की स्वयं निगरानी करनी चाहिए और किसी भी लक्षण के बिगड़ने पर तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए. स्थिति को इलाज करने वाले डॉक्‍टर के साथ-साथ निगरानी टीमों/नियंत्रण कक्ष के साथ साझा किया जाना चाहिए. - मुमकिन हो तो मरीज की देखभाल करने वाले उसी व्‍यक्ति को जिम्‍मेदारी दी जानी चाहिए, जिसे वैक्‍सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं. उन्हें मरीज के आसपास हर समय ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क पहनना आवश्यक है. - मरीज के शरीर के तरल पदार्थ जैसे नाक, लार आदि के सीधे संपर्क में आने से बचें. मरीज को संभालते समय डिस्पोजेबल दस्ताने का प्रयोग करे. - मरीज के किसी भी सामान से सीधा संपर्क में आने से बचें. जैसे खाने के बर्तन, व्यंजन, पेय, इस्तेमाल किए गए तौलिये या बिस्तर. - मरीज को उसके कमरे में भोजन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। रोगी द्वारा उपयोग किए जाने वाले बर्तनों और बर्तनों को दस्ताने पहनकर साबुन/डिटर्जेंट और पानी से साफ करना चाहिए. उचित सफाई के बाद बर्तनों का उपयोग किया जा सकता है. -दस्ताने उतारने या इस्तेमाल की गई वस्तुओं को छूने के बाद हाथ साफ करें. मरीज द्वारा उपयोग की जाने वाली सतहों, कपड़ों या साफ करते समय ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क और डिस्पोजेबल दस्ताने का प्रयोग करें. - इस्तेमाल किए गए मास्क, दस्ताने और ऊतक या COVID-19 रोगियों के खून/शरीर के तरल पदार्थ, इस्तेमाल की गई सीरिंज, दवाएं आदि शामिल हैं, को बायोमेडिकल कचरे के रूप में माना जाना चाहिए और उसी के अनुसार पीले बैग में इकट्ठा करके निपटाया जाना चाहिए और सौंप दिया जाना चाहिए। कचरे वाले को अलग से देना चाहिए. ताकि घर और समुदाय में संक्रमण को और फैलने से रोका जा सके.