IAS Pooja Singhal आईएएस पूजा सिंघल गिरफ्तार, ED की लम्बी पूछताछ के बाद हुई कार्यवाई

Puja
IAS Pooja Singhal
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:38 AM
bookmark

IAS Pooja Singhal: आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है। उनकी गिरफ्तारी झारखंड के रांची से हुई। पूजा सिंघल को आज लम्बी पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया। सिंघल की गिरफ्तारी आय से अधिक सम्पति के मामले में हुई है। आज सुबह ED ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया था। आज सुबह 10.30 बजे सिंघल पूछताछ के लिए ED के दफ्तर पंहुची थी। आज दिनभर उनसे मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ चली। उसके बाद उनकी गिरफ्तारी की कार्यवाई हुई।

IAS Pooja Singhal News

पिछले दो दिनों से उनसे रांची स्थित ईडी कार्यालय में पूछताछ की जा रही थी। बुधवार को भी उनसे करीब 9 घंटे तक पूछताछ हुई। बताया गया कि कई सवालों पर पूजा ठीक तरीके से जवाब भी नहीं दे पाईं। जिसके बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। बता दें कि पिछले हफ्ते ईडी ने मनरेगा घोटाले को लेकर पूजा सिंघल के आवास, उनके पति के पल्स अस्पताल, सीएम सुमन कुमार के घर समेत अन्य ठिकानों पर छापेमारी की और 19 करोड़ रूपये नकद के साथ कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए थे।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस कार्रवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को पूजा सिंघल के घर से एक डायरी मिली है। इसमें कई नेताओं, रसूखदारों और नौकरशाहों के नाम के साथ-साथ लेनदेन का भी जिक्र है। माना जा रहा है कि जांच एजेंसी आने वाले दिनों में ऐसे कई लोगों को पूछताछ के लिए तलब कर सकती है। ऐसे में आईएएस सिंघल के घर से ईडी को हाथ लगी डायरी झारखंड की सियासत में नया भूचाल ला सकती है।

मंगलवार को ईडी ने रात आठ बजे तक उनसे पूछताछ की थी। मनरेगा घोटाला, आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के कई अन्य संगीन आरोपों से घिरीं झारखंड की सीनियर आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को ईडी ने मंगलवार को पूछताछ के बाद किसी भी सूरत में रांची नहीं छोड़ने का निर्देश दिया था। झारखंड की खनन और उद्योग सचिव रहीं पूजा को राज्य सरकार ने छुट्टी पर भेज दिया है। उनकी जगह पर नए अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई है।

मंगलवार को चली लंबी पूछताछ में आईएएस पूजा सिंघल ने ईडी के हर आरोप को नकारते हुए खूद को निर्दोष बताया था। खूंटी जिले के बहुचर्चित मनरेगा घोटाले को लेकर उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार ने जांच कमेटि गठित की थी, जिसने उन्हें क्लीन चिट दी है। पूजा ने घोटाले में अपनी संलिप्तता को खारिज करते हुए ईडी की टीम से कहा कि वो इस मामले में मेरे जवाब की कॉपी राज्य सरकार से मंगवा कर देख सकते हैं।

अगली खबर पढ़ें

Asani Cyclone- समुद्री तूफान के बीच रहस्यमयी सोने का रथ, देखे VIDEO

Picsart 22 05 11 14 30 41 343
समुद्र में रहस्यमई सोने की रथ
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 01:45 AM
bookmark
Andhra Pradesh- आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम के सुन्नापली समुद्री तट पर आसानी तूफान (Asani Cyclone) के बीच समुद्र में रहस्यमई सोने की रथ के मिलने से हलचल मच गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह रथ किसी दूसरे देश से बहकर यहां पहुंचा है। समुद्र में सोने के रथ को बहता हुआ देखकर स्थानीय लोगों ने इसे रस्सी से बांधकर किनारे तक पहुंचाया। देखने में यह रथ दक्षिण पूर्व एशियाई देश के किसी मठ जैसा प्रतीत हो रहा है। जैसे ही सोने के रथ के मिलने की खबर इलाकाई लोगों को मिली देखते ही देखते लोगों की भीड़ समुद्र तट पर एकत्रित होने लगी।

सोने के रहस्यमई रथ को लेकर लगाए जा रहे हैं अलग-अलग अनुमान -

समुद्र के बीच दिखे रहस्यमई सोने के रथ को लेकर लोग अलग-अलग अनुमान लगा रहे। इस रथ को लेकर एसआई नौपाड़ा का कहना है कि- "हो सकता है यह किसी दूसरे देश से आया हो हमने इंटेलिजेंस और उच्च अधिकारियों को सूचित कर दिया है।"
The Kashmir Files- सिंगापुर में द कश्मीर फाइल फिल्म पर लगा बैन
जबकि इस मामले में स्थानीय तहसीलदार जे चलमैया का कहना है कि यह किसी दूसरे देश से नहीं आया होगा बल्कि इस रथ का इस्तेमाल भारतीय तट पर ही किसी फिल्म की शूटिंग के लिए किया गया होगा। क्योंकि इस तरह के रथ का भारत के कई फिल्मों और धारावाहिकों में शूटिंग के दौरान इस्तेमाल किया जाता है। फिलहाल अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि समुद्र के बीचो-बीच मिलाया रहस्यमई रथ कहां से आया है। लेकिन इसका वीडियो काफी वायरल हो रहा है।
अगली खबर पढ़ें

Sedition Law: राजद्रोह कानून पर SC की रोक, जानें कब तक दर्ज नहीं होंगे केस

Sc 1
Bilkis Bano Case
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 12:05 AM
bookmark

Sedition Law :  सर्वोच्च न्यायालय में बुधवार को राजद्रोह (Sedition Law) मामले पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजद्रोह कानून (Sedition Law) पर पुनर्विचार तक इसका प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही, अदालत ने ये भी कहा है कि केंद्र हो या राज्य सरकार, 124A के तहत कोई नए केस दर्ज नहीं की जाएगी।

Sedition Law

इससे पहले इस मामले में केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि वह पुलिस को देशद्रोह के प्रावधान के तहत संज्ञेय अपराध दर्ज करने से नहीं रोक सकती। मगर, पुलिस अधीक्षक रैंक के सक्षम अधिकारी की संस्तुति के बाद ही 124A के तहत मामले दर्ज करने का प्रबंध किया जा सकता है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि राजद्रोह के लंबित मामलों की समीक्षा की जा सकती है। धारा 124-A के तहत दर्ज मामले में जल्द से जल्द जमानत देने पर भी विचार किया जा सकता है।

इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमने राज्य सरकारों को जारी किए जाने वाले निर्देश का मसौदा तैयार किया। जिसके मुताबिक, राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश होगा, कि बिना एसपी या उससे ऊंचे स्तर के अधिकारी की मंजूरी के राजद्रोह की धाराओं में एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी। अपनी दलील में सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से कहा कि फिलहाल इस कानून पर रोक न लगाई जाए।

तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पुलिस अधिकारी राजद्रोह के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने के समर्थन में पर्याप्त कारण भी बताएंगे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कानून पर पुनर्विचार तक वैकल्पिक उपाय संभव है।

सर्वोच्च न्यायालय में आंकड़ों की बात पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये तो जमानती धारा है। अब सभी लंबित मामले की गंभीरता का विश्लेषण या फिर आकलन हो पाना मुश्किल है। लिहाजा ऐसे में अदालत अपराध की परिभाषा पर रोक कैसे लगा सकती है? यह उचित नहीं होगा। वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील रखते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से मांग की है कि राजद्रोह कानून पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है।

आपको बता दें कि इस मामले में मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से कहा था कि अगर सर्वोच्च न्यायालय कानून की वैधता के मसले को आगे विचार के लिए बड़ी बेंच को जाता है तो अदालत इस बीच कानून के अमल पर रोक लगा दे। गौरतलब है कि, तीन जजों की बेंच राजद्रोह कानून की वैधता मामले पर सुनवाई कर रही है। इस बेंच में चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हीमा कोहली शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सरकार को सलाह दी थी। कोर्ट ने कहा था, कि केंद्र सरकार को तब तक राजद्रोह कानून के इस्तेमाल से बचना चाहिए, जब तक वह खुद कोई फैसला नहीं ले लेती। अदालत ने सरकार के उस हलफनामे की भी तारीफ की, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार धीरे-धीरे अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को खत्म कर रही है। इसी कड़ी में स्वयं प्रधानमंत्री भी देशद्रोह कानून पर विचार कर रहे हैं।