Political : सरकार गठन पर चर्चा के लिए आज दिल्ली पहुंचेंगे शिवकुमार

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Shivkumar will reach Delhi today to discuss government formation
locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 May 2023 03:54 PM
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बेंगलुरु। मुख्यमंत्री पद के लिए जोरदार लामबंदी के बीच कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डीके शिवकुमार राज्य में सरकार गठन के मुद्दे पर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा करने के लिए मंगलवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं।

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दिल्ली से आया है बुलावा मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार माने जा रहे शिवकुमार और सिद्धरमैया को कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया है। हालांकि, शिवकुमार ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रीय राजधानी के अपने दौरे को सोमवार शाम को रद्द कर दिया था, जिससे ये अटकलें लगायी गयीं कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है। वहीं, सिद्धरमैया सोमवार से ही दिल्ली में हैं।]

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खरगे चुनेंगे सीएम कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति (केपीसीसी) के अध्यक्ष शिवकुमार सुबह नौ बजकर 50 मिनट पर यहां केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगे। उनके कार्यालय ने एक बयान में यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री पद के चुनाव के लिए नव निर्वाचित विधायकों से बातचीत करने वाले कांग्रेस के तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को इसकी जानकारी दी और सोमवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। कांग्रेस विधायक दल ने रविवार को बेंगलुरु में एक होटल में हुई बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को विधायक दल का नेता चुनने के लिए अधिकृत किया था।

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शिवकुमार और सिद्धरमैया के बीच है कड़ा मुकाबला मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवकुमार और सिद्धरमैया के बीच कड़ा मुकाबला है। कांग्रेस ने 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनाव में 135 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की है। शिवकुमार तथा सिद्धरमैया को समर्थन दे रहे विधायकों की संख्या के बारे में अटकलों के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने सोमवार को कहा था कि उनका संख्याबल 135 है, क्योंकि उनके नेतृत्व में ही पार्टी ने 135 सीटें जीती हैं। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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G20 Meeting: भुवनेश्वर में हुआ G20 का बड़ा आयोजन, अनेक हस्तियों ने लिया भाग

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G20 meeting
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 06:41 PM
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G20 Meeting / भुवनेश्वर। 15 मई। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में दूसरी संस्कृति कार्य समूह की बैठक आयोजित की गई। 14 से 17 मई तक चलने वाली इस बैठक में G20 सदस्यों, अतिथि राष्ट्रों और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि प्रो-प्लैनेट समाज बनाने में संस्कृति एक महत्वपूर्ण घटक है। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे संस्कृति कार्य समूह अपने सदस्यों और अन्य हितधारकों के विविध सांस्कृतिक अनुभवों का लाभ उठाकर समकालीन चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक समान और पर्यावरण के अनुकूल वैश्विक समुदाय का निर्माण कर सकता है।

G20 Meeting

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि वैश्विक नीति निर्माण में संस्कृति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि यह समकालीन चुनौतियों का समाधान करने के लिए अधिक समावेशी और स्थायी समाधान की ओर ले जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस आलोक में G20 कल्चर वर्किंग ग्रुप सहयोग को बढ़ावा देने और सदस्यों के बीच संवाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हम सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देने, साझा शिक्षा को प्रोत्साहित करने और सदस्यों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, साथ ही प्रत्येक राष्ट्र के अद्वितीय सांस्कृतिक संदर्भों और विरासत पर भी उचित ध्यान दे रहे हैं।"

इस मौके पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि संस्कृति देशों और समुदायों के बीच संबंधों को बनाए रखने, बढ़ती समझ और स्थायी और समावेशी भविष्य के निर्माण की कुंजी है। उन्होंने कहा, भारत खुद को एक भविष्यवादी, समृद्ध, समावेशी बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

[caption id="attachment_89352" align="alignnone" width="642"]G20 meeting G20 meeting[/caption]

'सस्टेन: द क्राफ्ट इडियॉम' प्रदर्शनी का उद्घाटन

संस्कृति कार्य समूह के पहली प्राथमिकता वाले विषय को लेते हुए प्रतिनिधियों ने उन तरीकों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया, जिनसे G20 अवैध तस्करी को रोकने और सांस्कृतिक संपत्ति की वापसी और बहाली की सुविधा के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता को मजबूत कर सकता है। चर्चा के दौरान G20 संस्कृति मंत्रियों की घोषणा के प्रारूपण और अंतिम रूप पर आगे का रास्ता भी प्रस्तुत किया गया। बैठक के बाद केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ओडिशा शिल्प संग्रहालय में 'सस्टेन: द क्राफ्ट इडियॉम' नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

उत्कृष्ट रेत कला का प्रदर्शन

इससे पहले 14 मई को ओडिशा के पुरी बीच पर पद्मश्री अवार्डी सुदर्शन पटनायक ने एक उत्कृष्ट रेत कला का प्रदर्शन किया जिसका विषय था "संस्कृति यूनाइट्स ऑल"। इसका उद्घाटन संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी और संस्कृति और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया। सभी विदेशी प्रतिनिधि मंगलवार को कोणार्क सूर्य मंदिर का दौरा करेंगे। तीसरी संस्कृति कार्य समूह की बैठक 15-18 जुलाई 2023 को हम्पी में आयोजित की जाएगी और संस्कृति मंत्रियों की बैठक अगस्त 2023 के अंत से वाराणसी में होने वाली है। पहली संस्कृति कार्य समूह की बैठक खजुराहो में आयोजित की गई थी।

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क्या होता है समलैंगिक विवाह, क्यों मचा है इतना बवाल ?

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Same Sex Marriage:
locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 May 2023 01:24 AM
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Same Sex Marriage : पिछले कुछ समय से भारत में समलैंगिक विवाह को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी केस चल रहा है। आज हम आपको बताएंगे कि समलैंगिक विवाह क्या होता है और भारत में इसे लेकर क्यों बवाल मचा है।

आपको बता दें कि विश्व में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मामले में ​नीदरलैंड पहला देश है। वर्ष 2001 में नीदरलैंड में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त हुई। अब भारत में भी समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग उठ रही है तो वहीं इसके विरोध में धार्मिक और सामाजिक संगठन भी सामने आ गए हैं। कुछ महिला संगठनों ने इसे कानून का दर्जा न दिए जाने के लिए राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को चिट्ठियां तक लिखी हैं।

Same Sex Marriage

समलैंगिक लोग हमेशा ही विषमलिंगी लोगों की तुलना में नगण्य रहे हैं अत: उनको कभी भी सामाजिक मान्यता नहीं मिली थी। इतना ही नहीं, अधिकतर धर्मों में समलैंगिक संबंधों पर प्रतिबंध था एवं इसे नैतिक पतन का लक्षण माना जाता था। इस कारण पकड़े जाने पर समलैंगिकों को हमेशा कठोर सजा दी जाती थी।

आज धीरे-धीरे कर देश इस तरह के एक ही सेक्स की शादियों को स्वीकार करने लगा है। यानि कि पुरुष, पुरुष से और स्त्री, स्त्री से शादी करत सकती है। समलैंगिकता को अब कानूनी दर्जा मिल रहा है। एक ही सेक्स के दो लोग अब शादी रचाकर एक साथ रहने के लिए आजाद है, लेकिन ये शादी न केवल समाज के नियमों को तोड़ती है बल्कि प्रकृति के नियमों का भी उल्लघंन करती है।

आपको बता दें कि प्राकृतिक नियमों के मुताबिक शादी हमेशा एक स्त्री और पुरुष के बीच होती है। समाज उन शादियों को नहीं मानता जिनमें इन मान्यताओं को नहीं माना नहीं जाता। समलैगिंक शादियां न केवल समाज के नियमों को तोड़ती है, ब्लकि ये प्रकृति के बनाए कानून का भी उल्लंघन करती है।

दो इंसानों के बीच का संबंध

शादी दो इंसानों के बीच का संबंध है, जिसे समाज द्वारा जोड़ा जाता है और उसे प्रकृति के नियमों के साथ आगे चलाया जाता है। समाज में शादी का उदेश्य शारीरिक संबंध बनाकर मानव श्रृखंला को चलाना है। यहीं नेचर का नियम है, जो सदियों से चलता आ रहा है। लेकिन समलैंगिक शादियां मानव श्रृंखला के इस नियम को बाधित करती है।

अधर में बच्चे का भविष्य

समान्यता बच्चों का भविष्य मां-बाप के संरक्षण में पलता है। समलैगिंक विवाह की स्थिति में बच्चों का विकास प्रभावित होता है। वो या तो मां का प्यार पाते है या पिता का सहारा। मां-बाप का प्यार उन्हें एक साथ नहीं मिल पाता तो उनके विकास को प्रभावित करता है। समलैंगिक शादी उस मूलभूत विचार को बिल्कुल खत्म कर देगा कि हर बच्चे को मां और बाप दोनों चाहिए।

समलैंगिक जीवन शैली को बढ़ावा देता है

एक ही सेक्स में विवाह की कानूनी मान्यता जरूरी है। ये शादियां समाज के नियम के साथ-साथ पारंपरिक शादियों को नुकसान पहुंचाती है। लोगों के सोचने के नजरिए को प्रभावित करती है। बुनियादी नैतिक मूल्यों , पारंपरिक शादी के अवमूल्यन और सार्वजनिक नैतिकता को कमजोर करता है।

बांझपन को बढ़ावा देता है

चिकित्सकों की मानें तो प्राकृतिक शादियों में महिलाएं बच्चे को जन्म देती है। अगर वो ना चाहे तो कृत्रिम साधनों जैसे कि गर्भनिरोधक का इस्तेमाल कर इसे रोक सकती है, लेकिन समलैंगिक शादियों में दंपत्ति प्राकृतिक तौर पर बांझपन का शिकार होता है।

सेरोगेसी के बाजार को बढ़ावा

एक ही लिंग की शादियों में दंपत्ति बच्चा पैदा करने में प्राकृतिक तौर पर असमर्थ होता है। ऐसे में वो सेरोगेसी या किराए की कोख का इस्तेमाल कर अपनी मुराद को पूरा करना का प्रयास करता है। समलैंगिक विवाह के कारण सेरोगेसी के बाजार को बढ़ावा मिल सकता है।

समाज पर दबाव

समलैंगिक शादियां समाज पर अपनी स्वीकृति के लिए दबाव डालती है। कानूनी मानय्ता के कारण समाज को जबरन इन शादियों को मंजूर करना ही होता है। हालांकि भारत में अभी इस तरह का कोई कानून नहीं है, लेकिन बहुत से देश ऐसे है जहां समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता मिल चुकी है। उन देशों में समलैंगिक शादियों से पैदा हुए बच्चों को शिक्षा देनी ही होती है। अगर कोई व्यक्ति या अधिकारी इसका विरोध करता है तो उसे विरोध का सामना करना पड़ता है।

आंदोलन का ले रहा है रुप

1960 का दशक था जब हमारा समाज सिर्फ स्त्री-पुरुष के बीच के शारीरिक संबंधों को ही स्वीकार करता था, लेकिन 1960 के बाद पहली बार न्यूजीलैंड द्वारा समलैंगिक विवाह को मंजूरी मिलने से वैश्विक स्तर पर इसका चलन बढ़ता चला गया। अब तो इसने आंदोलन का रुप ले दिया है। एक के बाद एक देश को इनके सामने झुकना पड़ रहा है। अमेरिका, ब्रिट्रेन जैसे देशों नेभी समलैंगिकता का स्वीकार कर लिया है।

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