Supreme Court : बुलडोजर मामलों में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर की कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी की है। दरअसल जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि आपराधिक कानून में किसी आरोपी के खिलाफ बुलडोजर एक्शन कैसे लिया जा सकता है? कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना उचित नहीं है।
बुलडोजर से कार्रवाई गलत Supreme Court
आपको बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हाल ही में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। जमीयत ने अपनी इस याचिका में अल्पसंख्यक को निशाना बनाने का आरोप लगाया था। इस अर्जी में आरोपियों के घरों पर सरकारों द्वारा बुलडोजर चलाने पर रोक की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में किसकी क्या दलील ?
बता दें सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई कार्रवाई को लेकर दलील दी, इस दौरान कोर्ट ने उनसे सवाल किया कि अगर कोई आरोपी है, महज इस आधार पर बुलडोजर एक्शन कैसे लिया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कानून के खिलाफ है और हम इसे लेकर निर्देश राज्यों सरकारों को नोटिस जारी करेंगे। .
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि सिर्फ म्यूनिसिपल कानून में ही बुलडोजर से कार्रवाई करने की अनुमति है। कोर्ट ने कहा कि क्या आपराधिक कानून के तहत किसी आरोपी के खिलाफ बुलडोजर एक्शन लिया जा सकता है? इस पर जवाब देने के लिए SG ने कोर्ट से वक्त मांगा, वहीं इस मामले की आगे की कार्रवाई अगले सोमवार को की जाएगी। बता दें जमीयत की ओर से पेश हुए वकील दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में इस बात का दावा किया है कि बुलडोजर एक्शन के जरिए सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, लिहाजा इन मामलों में तत्काल रोक लगाने की जरूरत है। Supreme Court
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