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लट्ठमार होली की तरह से ही 500 साल पुरानी है हवेली की होली, बेहद मजेदार

Holi

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मथुरा तथा वृंदावन अपनी अनोखी होली के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। मथुरा की लट्ठमार होली का नाम सभी ने जरूर सुना होगा। यदि मथुरा की लटठमार होली आपने नहीं देखी है तो समझ जाएं कि आपने वास्तव में होली देखी ही नहीं है। मथुरा में केवल लटठमार होली ही नहीं खेली जाती बल्कि मथुरा तथा वृंदावन में होली के अनेक रूप मौजूद हैं। मथुरा की लटठमार होली के साथ ही साथ आज हम आपको वृंदावन की “हवेली” वाली होली के विषय में बता रहे हैं।

वर्ष-2024 में 25 मार्च को है होली

आपको बता दें कि इस वर्ष 17 मार्च 2024 को बरसाना में लड्डू की होली खेली जाएगी। ये पर्व द्वापर युग से मनाया जा रहा है। कहा जाता है कि नंदगांव से होली खेलने के लिए बरसाना आने का आमंत्रण स्वीकारने की परंपरा इस होली से जुड़ी हुई है, जिसका आज भी पालन किया जा रहा है। आमंत्रण स्वीकारने के बाद यहां सैकड़ों किलो लड्डू बरसाए जाते हैं।

मथुरा, वृंदावन और बरसाना की होली देखने देश-विदेश से लोग आते हैं। इस साल बरसाना में 18 मार्च 2024 को लठ्ठमार होली है। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को बरसाने में गोपियां बनीं महिलाएं नंदगांव से आए पुरूषों पर लाठी बरसाती हैं और पुरुष ढाल का इस्तेमाल कर खुद को बचाते हैं। मथुरा, वृंदावन और बरसाना की होली देखने देश-विदेश से लोग आते हैं. इस साल बरसाना में 18 मार्च 2024 को लठ्ठमार होली है। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को बरसाने में गोपियां बनीं महिलाएं नंदगांव से आए पुरूषों पर लाठी बरसाती हैं और पुरुष ढाल का इस्तेमाल कर खुद को बचाते हैं।

19 मार्च 2024 को नंदगांव में लठ्ठमार होली होगी। इसके बाद 20 मार्च 2024 को रंगभरी एकादशी के दिन वाराणसी में शिव जी मां पार्वती का गौना कराकर पहली बार काशी आए थे, जिसके बाद रंग गुलाल उड़ाकर उनका स्वागत किया गया था। 20 मार्च को रंगभरनी एकादशी के अवसर पर वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर होली के रंग देखने को मिलेंगे।  21 मार्च 2024 को एकादशी के दूसरे दिन काशी के मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख से होली खेली जाएगी. मान्यता है इस दिन शिव अपने प्रिय गणों भूत, प्रेत, पिशाच, दृश्य, अदृश्य, शक्तियों के बीच चिता की राख से होली खेलने घाट पर आते हैं। 21 मार्च को ही गोकुल में छड़ीमार होली होगी। 24 मार्च 2024 को होलिका दहन और 25 मार्च को देश भर में रंगवाली होली खेली जाएगी।

हवेली वाली होली

अब बात करते हैं मथुरा तथा वृंदावन की हवेली वाली होली की। इस होली के विषय में मथुरा के पत्रकार मनमोहन पारीक ने एक रिपोर्ट लिखी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक वृंदावन जितना पुराना है उतनी ही पुरानी है वृंदावन की गोस्वामी परंपरा प्रमुख छह गोस्वामियों में से एक रघुनाथ भट्टजी के प्राचीन स्थान भट्टजी की हवेली में 16वीं सदी से चली आ रही रंगोत्सव की परंपरा उनकी 16वीं पीढ़ी निभा रही है। हवेली में विराजमान ठाकुर मदनमोहन लाल महाराज को भट्ट परिवार गोकुल में हाथ से बने गुलाल से होली खिलाते हैं।

इस अनूठी परंपरा में ठाकुरजी का गुलाल से श्रृंगार व उनकी पिछवाई (ठाकुरजी के पीछे लगने वाला पर्दा) पर चुटकी से ब्रज की कलाकृति समाज गायन के बीच बनाई जा रही है। कला और रंग के अद्भुत मेल से रंगोत्सव मनाया जा रहा है। ब्रजमंडल में  भट्टजी की हवेली से पहचानने जाने वाले इस प्राचीन स्थल के छह गोस्वामी रूप, सनातन, भट्ट, रघुनाथ, जीव, सनातन दास में से एक रघुनाथ भट्टजी की भागवतीय आधार पर उपासना पद्धति वर्तमान में भी कायम है। हवेली के आचार्य शैलेंद्र भट्ट ने बताया कि यहां वसंत पंचमी से डोल पूर्णिमा तक 40 दिन परंपरागत रूप से रंगोत्सव मनाया जाता है। प्रतिदिन विविध वर्णी गुलाल से ठाकुरजी को खेल खिलाया जाता है। उन्होंने बताया कि ब्रज के मंदिरों की प्राचीन होली परंपरा का रूप वर्तमान में भुत मेल बदल गया है। अब मंदिरों में दर्शनार्थियों पर मंडल में रंग डाला जाता है।

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