भूल चूक और क्षमा याचना के लिए करें पितृ अमावस्या, जानिए पूरी विधि

Pitrumoksha amavasya 2021
Pitr Amavasya 2021
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Sep 2021 11:59 AM
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श्राद्ध अब समाप्ति की ओर जा रहे हैं। पितृ पक्ष की अमावस्या (Pitr Amavasya 2021 ) आने में अब कुछ ही समय रह गया है। आगामी 6 अक्टूबर 2021 को यह अमावस्या (Pitr Amavasya 2021) है। पितृ पक्ष के 16 दिन हमारे पूर्वजों को समर्पित होते हैं। इन दिनों में पितरों को यमराज की ओर से मुक्त कर दिया जाता है। ऐसे में हमारे पूर्वज पृथ्वी पर अपने वंशजों के बीच आते हैं और उनसे अन्न जल की अपेक्षा रखते हैं। पूर्वजों की इस आशा को पूरा करने के लिए ही श्राद्ध और तर्पण किए जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि श्राद्ध और तर्पण के जरिए ही हमारे पितरों को अन्न और जल प्राप्त होता है।

जिस तिथि में ​हमारे परिजन की मृत्यु होती है, श्राद्ध पक्ष की उसी तिथि में उनका श्राद्ध किया जाता है, लेकिन अगर आपको किसी कारणवश उनकी मृत्यु की किसी कारणवश याद नहीं है, तो आप अपनी इस भूल को सुधारते हुए अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध करें। इसीलिए पितृपक्ष की अमावस्या को सर्व पितृ यानि सभी पितरों की अमावस्या कहा जाता है। यदि आपसे कोई भूल चूक हो गयी हो या कोई अपराध हो गया हो तो और आप इसकी भरपाई करना चाहते हैं तो पितृ पक्ष की अमावस्या पर यहां बताए जा रहे तरीके से पितरों का श्राद्ध करें।

इस ​तरह करें श्राद्ध शास्त्रों में सर्व पितृ अमावस्या को 16 ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत शुभ बताया गया है। श्राद्ध करते समय घर की दक्षिण दिशा में सफ़ेद वस्त्र पर पितृ यंत्र स्थापित करें। उनके निमित्त, तिल के तेल का दीपक जलाएं और सुगंधित धूप अर्पित करें। चंदन व तिल मिले जल से तर्पण दें। कुश के आसन पर बैठकर गीता के 16वें अध्याय का पाठ करें। इसके बाद ब्राह्मणों के लिए जो भोजन बनाया है, उसमें से 5 हिस्से निकालें, देवताओं, गाय, कुत्ते, कौए और चींटियों के लिए निकालें। इसके बाद ब्राह्मणों को खीर, पूड़ी, सब्ज़ी, मिष्ठान, लौंग-इलाएची व मिश्री आदि अन्य चीजें श्रद्धा पूर्वक​ खिलाएं। इसके बाद ब्राह्मणों को वस्त्र-दक्षिणा देकर विदा करें और पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें।

मान्यता है कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितर अपने पितृ लोक लौट जाते हैं। इसलिए अमावस्या के दिन दीप दान किया जाता है, ताकि उन्हें सही से रास्ता दिखाई दे। दीप दान के लिए सूर्यास्त के बाद घर की दक्षिण दिशा में तिल के तेल के 16 दीपक जलाएं। इस तरह पितरों को सम्मानपूर्वक भेजने पर वे संतुष्ट होकर जाते हैं और अपने बच्चों को आशीर्वाद देते हैं। जिससे परिवार में सुख समृद्धि और खुशियां आती हैं।

यह भी ध्यान रखें – श्राद्ध का भोजन पूरी शुद्धता से बनाएं और उसमें प्याज और लहसुन का इस्तेमाल न करें।

– श्राद्ध हमेशा सुबह या दोपहर चढ़ने से पहले ही कर लेना चाहिए। दोपहर के बाद नहीं करना चाहिए।

– श्राद्ध का भोजन जब भी ब्राह्मणों को खिलाएं तो दोनों हाथों से परोसें।

– जो सब्जियां जमीन के अंदर से उगती हैं उन्हें ब्राह्मणों को नहीं खिलाना चाहिए।

– श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त ​जो भी शुभ काम किए जाते हैं, उससे उन्हें तृप्ति मिलती है। इसलिए जरूरतमंद लोगों को सामर्थ्य के अनुसार खाना, कपड़े आदि बांटें।

सर्व पितृ अमावस्या का महत्व देवताओं के पितृगण 'अग्निष्वात्त' जो सोमपथ लोक मे निवास करते हैं। उनकी मानसी कन्या, 'अच्छोदा' नाम की एक नदी के रूप में अवस्थित हुई। एक बार अच्छोदा ने एक हज़ार वर्ष तक निर्बाध तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर दिव्यशक्ति परायण देवताओं के पितृगण 'अग्निष्वात्त' अच्छोदा को वरदान देने के लिए दिव्य सुदर्शन शरीर धारण कर आश्विन अमावस्या के दिन उपस्थित हुए। उन पितृगणों में 'अमावसु' नाम की एक अत्यंत सुंदर पितर की मनोहारी-छवि यौवन और तेज देखकर अच्छोदा कामातुर हो गयी और उनसे प्रणय निवेदन करने लगीं किन्तु अमावसु अच्छोदा की कामप्रार्थना को ठुकराकर अनिच्छा प्रकट की, इससे अच्छोदा अति लज्जित हुई और स्वर्ग से पृथ्वी पर आ गिरी। अमावसु के ब्रह्मचर्य और धैर्य की सभी पितरों ने सराहना की एवं वरदान दिया कि यह अमावस्या की तिथि 'अमावसु' के नाम से जानी जाएगी। जो प्राणी किसी भी दिन श्राद्ध न कर पाए वह केवल अमावस्या के दिन श्राद्ध-तर्पण करके सभी बीते चौदह दिनों का पुण्य प्राप्त करते हुए अपने पितरों को तृप्त कर सकते हैं। तभी से प्रत्येक माह की अमावस्या तिथि को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है और यह तिथि 'सर्वपितृ श्राद्ध' के रूप में भी मनाई जाती है।

  • यशराज कनिया कुमार
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Dharam Karma : वेद वाणी

Rig Veda
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 02:18 AM
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Sanskrit:   इन्द्रश्च वायवेषां सुतानां पीतिमर्हथः। ताञ्जुषेथामरेपसावभि प्रयः॥ ऋग्वेद ५-५१-६॥

Hindi: हे शासक और उसके प्रधानमंत्री! आप सोमरसों के पीने के योग्य हैं। आप पापरहित और दयालु होकर मनुष्यों के स्नेह का सोम ग्रहण करें और वांछनीय भोजन ग्रहण करें। (ऋग्वेद ५-५१-६)

English:  O ruler and his prime minister! You deserve to drink Soma Rasa.You, being sinless and merciful, accept the love of human beings and eat desirable food. (Rig Veda 5-51-6)

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Rig Veda
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Sanskrit:   इन्द्रश्च वायवेषां सुतानां पीतिमर्हथः। ताञ्जुषेथामरेपसावभि प्रयः॥ ऋग्वेद ५-५१-६॥

Hindi: हे शासक और उसके प्रधानमंत्री! आप सोमरसों के पीने के योग्य हैं। आप पापरहित और दयालु होकर मनुष्यों के स्नेह का सोम ग्रहण करें और वांछनीय भोजन ग्रहण करें। (ऋग्वेद ५-५१-६)

English:  O ruler and his prime minister! You deserve to drink Soma Rasa.You, being sinless and merciful, accept the love of human beings and eat desirable food. (Rig Veda 5-51-6)