Shaligram: इसी पत्थर से अयोध्या में बनेगी रामलला की मूर्ति

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calendar29 Nov 2025 02:38 PM
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Shaligram: नेपाल के जनकपुर से लायी गयीं इन्हीं शिलाओं से भगवान राम और माता सीता की भव्य मूर्तियां बनाई जाएंगी।

नेपाल के जनकपुर से 40 टन वजनी शालिग्राम (Shaligram) की 2 शिलाएं 7 दिन के सफर के बाद बुधवार रात अयोध्या पहुंचीं। इन्हीं शिलाओं से भगवान राम और माता सीता की भव्य मूर्तियां बनाई जाएंगी। माना जा रहा है कि ये मूर्तियां अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाएंगी।

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वैज्ञानिक मान्यता : 6 करोड़ साल पहले बने जीवाश्म पत्थर

साइंस की भाषा में शालिग्राम डेवोनियन-क्रिटेशियस पीरियड का एक काले रंग का एमोनोइड शेल फॉसिल्स है। डेवोनियन-क्रिटेशियस पीरियड 40 से 6.6 करोड़ साल पहले था। ये वो पीरियड था जब धरती के 85% हिस्से पर समुद्र होता था।

जीवाश्म शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘जीव’ तथा ‘अश्म’। अश्म का अर्थ होता है-पत्थर। इस प्रकार जीवाश्म का अर्थ हुआ वह जीव जो पत्थर बन गया। अंग्रेजी में जीवाश्म को फॉसिल कहा जाता है।जीवाश्म करोड़ों सालों तक पृथ्वी की सतह में गहरे दबे हुए जंतुओं एवं वनस्पति अवशेषों से बने हैं। जीव अवशेष धीरे-धीरे तलछट के नीचे दबकर एकत्रित हो जाते हैं जिससे उन्हें ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पाती। तलछट के आवरण के कारण न तो जीव अवशेषों का ऑक्सीकरण हो पाता है और न ही विघटन। इसी के चलते ये जीवाश्म मजबूत और कठोर चट्‌टान में बदल जाते हैं।

धार्मिक मान्यता: भगवान विष्णु ने तुलसी के पति को छल से मारा, श्राप के चलते पत्थर बने

तुलसी से शापित होने के कारण विष्णु ने गंडकी नदी के तट पर शालिग्राम के नाम से जाने जाने वाले एक बड़े चट्‌टानी पर्वत का रूप धारण कर लिया। वज्र के समान मजबूत दांतों वाले कीड़े वज्रकिता ने इन चट्‌टानों पर कई चिह्नों को उकेरा। वज्रकिता द्वारा उकेरे गए पत्थर जो उस पर्वत की सतह से गंडकी नदी में गिरते हैं, शालिग्राम शिला के रूप में जाने जाते हैं।

 
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Government: भूकंप की चेतावनी के लिए अभी कोई प्रणाली मौजूद नहीं

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calendar29 Nov 2025 06:21 PM
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Government: भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रदान करने के लिए देश में अभी कोई स्थापित प्रणाली मौजूद नहीं है, हालांकि विभिन्न अनुसंधान किए जा रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में, भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रदान करने के लिए देश में कोई स्थापित प्रणाली मौजूद नहीं है(Government)। अभी तक, विश्व में कहीं भी ऐसी कोई वैज्ञानिक तकनीक उपलब्ध नहीं है जिससे समय, स्थान और इसकी तीव्रता के संदर्भ में सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सके।’’

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सिंह ने हालांकि कहा कि राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला एवं विश्वविद्यालयों के सहयोग से भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली पर अनुसंधान कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश में दर्ज इतिहास को देखते हुए, भारत के कुल भूभाग का 59 प्रतिशत भाग विभिन्न तीव्रता वाले भूकंप का संभावित क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण हर साल समय-समय पर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से भूकंप पर नियमित जागरूकता अभियान चला रहा है, जिसमें भूकंपों से सुरक्षा के लिए सावधानियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भूकंप के कारण होने वाली जनधन हानि को कम करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो, भवन निर्माण सामग्री और प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद एवं आवास और शहरी विकास निगम आदि द्वारा भूकंप प्रतिरोधी संरचनाओं के डिजाइन और निर्माण हेतु दिशानिर्देश प्रकाशित किए गए हैं।

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कबाड़ पर छूट: लोहा कबाड़ पर छूट स्टेनलेस स्टील क्षेत्र के लिए राहत

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कबाड़ पर छूट
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calendar29 Nov 2025 03:33 AM
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कबाड़ पर छूट:  कच्चे माल की किल्लत का सामना कर रहे स्टेनलेस स्टील उद्योग के लिये बजट में लोहा और स्टेनलेस स्टील कबाड़ पर छूट बड़ी राहत है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को वर्ष 2023-24 का आम बजट लोकसभा (कबाड़ पर छूट) में पेश किया था। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कोल्ड रोल्ड ग्रेन ओरिएंटेड (सीआरजीओ) स्टील, इस्पात कबाड़ और निकल कैथोड के विनिर्माण के लिए कच्चे माल पर बुनियादी सीमा शुल्क (बीसीडी) से छूट जारी रखने का प्रस्ताव रखा, जिससे इस क्षेत्र को कच्चा माल उपलब्ध होता रहे।

कबाड़ पर छूट

जिंदल ने कहा, “लोहा और स्टेनलेस स्टील के कबाड़ पर छूट जारी रखने के लिए वित्त मंत्री के हम आभारी हैं। हमारे क्षेत्र के लिए यह तोहफा है। कच्चा माल अपने देश में उपलब्ध नहीं है या पर्याप्त नहीं है और इस क्षेत्र को अभी भी बाजार में पूरी तरह से तैयार आयात शुल्क मुक्त सामान से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है।”

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