National News : तीन बार एवरेस्ट फतह करने वाली हरियाणा की पुलिसकर्मी अनीता ने बाधाओं के बावजूद सपने को जिंदा रखा

Anita
Haryana policewoman Anita, who conquered Everest thrice, kept her dream alive despite obstacles
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:40 AM
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चंडीगढ़। मात्र 12 साल की उम्र में अपने पिता को खो देने और अपनी दो बहनों एवं एक भाई के पालन-पोषण के लिए दूध बेचकर अपनी मां की मदद करने वाली अनीता कुंडू ने तमाम संघर्षों के बावजूद पर्वतारोही बनने के अपने सपने को साकार किया। हरियाणा की पुलिस निरीक्षक कुंडू ने माउंट एवरेस्ट को तीन बार फतह किया है और अगले साल एक और बार पर्वत चढ़ने की योजना बना रही हैं।

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अपने पिता की मौत के बाद सामने आई चुनौतियों को याद करते हुए कुंडू ने कहा कि 2001 में जब वह 12 साल की थीं, तब उनके पिता का निधन हो गया था। वर्ष 2013 और 2019 के बीच दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को सफलतापूर्वक फतह करने वाली पुलिस निरीक्षक ने कहा कि मेरे पिता मुझे एक शीर्ष खिलाड़ी के रूप में देखना चाहते थे। उन्होंने कहा कि अपनी मां के सहयोग से मैंने अपनी दो बहनों और भाई की देखभाल की। परिवार पर आई इस त्रासदी से बाहर आना आसान नहीं था, लेकिन मेरे पिता के शब्दों ने मुझे प्रोत्साहन दिया।

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हरियाणा के हिसार जिले में फरीदपुर की रहने वाले कुंडू ने कहा कि मेरे पिता कहा करते थे कि कैसी भी स्थिति हो, तुम्हें लड़ना होगा और उसे एक चुनौती के रूप में लेना होगा। उन शब्दों ने मुझे आगे बढ़ने की ताकत दी। उन्होंने कहा कि शुरू में वह स्कूल जाने के साथ साथ दूध भी बेचती थी। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली कुंडू ने कहा कि मैं सुबह चार बजे से देर रात तक कड़ी मेहनत करती थी। बचपन से ही उनमें कुछ अलग करने का जज्बा था। समय के साथ साहसिक खेलों में उनकी रुचि विकसित हुई, हालांकि उनके पिता चाहते थे कि वह एक मुक्केबाज बने। कुंडू 2008 में पुलिस सेवा में शामिल हुईं और उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से पर्वतारोही बनने की इच्छा जताई। उन्होंने आधुनिक पर्वतारोहण पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया और बिना भोजन या पानी के भी अत्यंत ऊंचाई पर प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित रहने का प्रशिक्षण लिया।

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33 वर्षीय कुंडू ने कहा कि मैंने पहली बार 2013 में नेपाल की ओर से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। मैं 2015 में फिर से चोटी को फतह करने के लिए निकली थी, लेकिन भूकंप के कारण बीच में ही लौटना पड़ा। मैंने 2017 में चीन की तरफ से एवरेस्ट को फतह किया और 2019 में मैंने फिर से एवरेस्ट को फतह किया। दो साल पहले तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार प्राप्त करने वाली कुंडू ने कहा कि उन्होंने अन्य महाद्वीपों की भी चोटियों को फतह किया है।

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करनाल में तैनात कुंडू युवाओं को प्रेरित करने के लिए नियमित रूप से विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के कार्यक्रमों में शिरकत करती हैं। पिछले महीने हरियाणा के दो दिवसीय दौरे पर आईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूरे देश के सामने महिला सशक्तीकरण की बेहतरीन मिसाल पेश करने के लिए राज्य की बेटियों की तारीफ की थी। मुर्मू ने कुंडू सहित कुछ महिला खिलाड़ियों से भी बातचीत की और उनके जीवन के अनुभवों के बारे में जाना।
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Delhi: CBDT ने बेनामी लेनदेन कानून पर एससी के फैसले के खिलाफ दायर की समीक्षा याचिका

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Delhi News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar24 Nov 2025 03:43 AM
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Delhi News: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने उच्चतम न्यायालय द्वारा अगस्त में दिए गए उस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की है जिसमें कहा गया था कि आयकर विभाग बेनामी लेनदेन निरोधक कानून को पिछली तारीख से लागू नहीं कर सकता है।

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आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सीबीडीटी ने इस याचिका में दलील दी है कि आरोपी शख्स का गैरकानूनी संपत्तियां रखना एक 'सतत आपराधिक कृत्य' माना जाना चाहिए। सीबीडीटी केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत कर विभाग के लिए नीति तैयार करता है।

सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि सीबीडीटी ने आयकर विभाग की क्षेत्रीय इकाइयों से राय लेने के बाद यह समीक्षा याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की है। बेनामी लेनदेन निरोधक कानून को 2016 में लागू किया गया था।

सूत्रों ने उम्मीद जताई है कि याचिका जल्द ही शीर्ष अदालत द्वारा सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी।

न्यायालय ने अगस्त में सुनाए अपने फैसले में कहा था कि बेनामी लेनदेन (निरोधक) संशोधन अधिनियम को वर्ष 2016 से पहले के मामलों में लागू नहीं किया जा सकता है।

अधिकारियों के मुताबिक, उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ दाखिल समीक्षा याचिका में सीबीडीटी का तर्क इस बात पर आधारित है कि 'बेनामी' तंत्र के माध्यम से संपत्ति का निर्माण/हस्तांतरण एक 'सतत आपराधिक कृत्य" है और अपराधी इस तरह अवैध रूप से अर्जित फल का आनंद लेना जारी रखते हैं।'

सूत्रों के मुताबिक, याचिका में कहा गया है कि जिन लोगों ने 2016 से पहले बेनामी संपत्तियां बनाई थीं, वे उसका लाभ अभी भी ले रहे हैं लिहाजा उन्हें बख्शा नहीं जा सकता है।

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National News : चीन के खिलाफ रक्षात्मक बने रहने से भारतीय सुरक्षा बलों पर बोझ बढ़ता है : ब्रह्म चेलानी

Brahma
Being on the defensive against China increases the burden on Indian security forces: Brahm Chellaney
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 01:11 PM
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नई दिल्ली। चीन द्वारा भारतीय सीमा में अतिक्रमण की शुरुआत 1950 के दशक के मध्य में हुई थी, लेकिन यह सिलसिला आज भी जारी है और चीन के इस रवैये की वजह से न सिर्फ भारत के साथ, बल्कि दुनिया के अन्य देशों के साथ भी उसके रिश्ते लगातार बिगड़ ही रहे हैं।

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ताजा घटनाक्रम में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में यह कोशिश की है, इससे पहले उसने गलवान घाटी में भी यही कोशिश की थी। इन्हीं सब मुद्दों पर जाने-माने जियोस्ट्रैटेजिस्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व सलाहकार ब्रह्म चेलानी से किए गए पांच सवाल और उनके जवाब :- सवाल : तवांग में चीनी अतिक्रमण और इस पर भारत की प्रतिक्रिया को कैसे देखते हैं आप?

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जवाब : चीन चुपके से आक्रामकता दिखाना पसंद करता है। आमने-सामने की लड़ाई से बचने के लिए वह किसी भी हद तक जाता है। यही कारण है कि वह भारतीय सेना के साथ सीधे टकराव से बचता है। चीनी सेना एक ऐसी सेना है, जिसमें काफी हद तक बलपूर्वक कर्मियों की भर्ती की जाती है। भारत में स्थिति इसके विपरीत है। स्वयं लोग सेना में भर्ती होते हैं। भारत की कमजोरी उसकी रणनीति है। वह प्रतिक्रियाशील होने और जोखिम से बचने वाली रणनीतिक संस्कृति पर भरोसा करता है। नतीजतन, वह एक ऐसे विरोधी के खिलाफ अत्यधिक रक्षात्मक रणनीति का अनुसरण करता है, जो क्षेत्रीय विस्तारवाद के लिए नए अवसर तलाशते रहता है और भारतीय सुरक्षा को परखते रहता है। स्पष्ट तथ्य यह है कि चीन के खिलाफ भारत की यह रणनीति काम नहीं कर रही है। भारत सरकार ने बार-बार चेतावनी दी है कि द्विपक्षीय संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक कि चीन सीमा पर शांति बहाल नहीं करता। लेकिन चीन, दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करते हुए अपनी आक्रामक कार्रवाइयों पर कायम है। वास्तव में, लद्दाख में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) में बदलाव करने की कोशिशों में असफल होने के कारण, चीन अब पूर्वी क्षेत्र में अपने विस्तारवाद को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, वह भी सर्दियों के मौसम में जब स्थितियां बेहद ठंडी होती हैं। सवाल : क्या आप कांग्रेस नेता राहुल गांधी की इस टिप्पणी से सहमत हैं कि चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है और भारत को इससे सचेत रहना चाहिए?

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जवाब : इस तरह के आक्रामक दुश्मन के खिलाफ लगातार रक्षात्मक बने रहना भारतीय सुरक्षा बलों पर बड़ा बोझ डालता है। क्योंकि चीनी सैन्य आक्रामकता का अनुमान लगाने या प्रतिक्रिया देने में एक भी चूक महंगी साबित हो सकती है। हमें अप्रैल 2020 की घटना से सबक लेना चाहिए, जब चीन ने पूर्वी लद्दाख के कुछ प्रमुख सीमावर्ती क्षेत्रों में चुपके से अतिक्रमण कर लिया था। चीनी हमेशा भारतीयों को आश्चर्यचकित करने के लिए समय और स्थान चुनते हैं। ‘सलामी स्लाइसिंग’ या चुपके से आक्रामकता केवल चीनी पक्ष का विशेषाधिकार क्यों होना चाहिए? भारत क्यों नहीं चीन को इसी अंदाज में जवाब देता है? किसी मुल्क द्वारा अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ छोटे-छोटे सैन्य अभियान के जरिये धीरे-धीरे किसी बड़े इलाके पर कब्जा कर लेने की नीति को ‘सलामी स्लाइसिंग’ कहा जाता है। सवाल : वैश्विक मंच पर भी चीन का आक्रामक व्यवहार एक 'बहुत बड़ा खतरा' है। चीन का मुकाबला करने के लिए भारत की रणनीति क्या होनी चाहिए?

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जवाब : भारत, चीन को रोकने में काफी हद तक विफल हो रहा है क्योंकि भारत सरकार यह समझने से इनकार करती है कि प्रतिरोध केवल सैन्य ताकत के बारे में नहीं है। प्रभावी होने के लिए, प्रतिरोध की प्रकृति व्यापक होनी चाहिए और रणनीतिक व कूटनीतिक स्तर पर इसका नेतृत्व किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि भारत को व्यापार और कूटनीतिक मंच का उपयोग करना चाहिए। भारत के अब तक के मुख्य कदम चीनी मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगाना और भारत सरकार के अनुबंधों तक चीनी कंपनियों की पहुंच को प्रतिबंधित करना रहा है। यह सब बुरी तरह से अपर्याप्त साबित हुए हैं। इस प्रकार के कदमों के साथ ही भारत को अनौपचारिक व्यापार प्रतिबंधों के रास्ते को भी अपनाने की आवश्यकता है। वास्तव में, भारत के पास गैर-आवश्यक आयातों को प्रतिबंधित करके चीन के साथ अपने बड़े पैमाने पर व्यापार घाटे को ठीक करने के लिए अपनी खरीद शक्ति का लाभ उठाने का एक शानदार अवसर है। सवाल : चीन पिछले कुछ वर्षों से अपनी भू-राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन कर रहा है, और कई देशों के साथ उसके संबंध भी खराब हुए हैं। मौजूदा परिस्थितियों में आप इसे कैसे देखते हैं? जवाब : ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय माहौल चीन की महत्वाकांक्षाओं के प्रति शत्रुतापूर्ण हो रहा है, भारत को चीनी आक्रामकता को उजागर करने के लिए एक कूटनीतिक आक्रमण शुरू करना चाहिए। चीन का नाम लेकर और उसे शर्मिंदा करने के भारत के पास कई अवसर होते हैं, लेकिन वह इससे परहेज करता है, जबकि चीन अपनी आक्रामकता के बीच भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने में कोई हिचक नहीं दिखाता है। सवाल : चीन की आक्रामकता सिर्फ सीमा पर ही नहीं है। वह भारत के खिलाफ ‘साइबर वार’ भी चला रहा है। इस संबंध में आपका क्या कहना है? जवाब : भारत जब तक चीन को उसकी आक्रामकता का ठोस जवाब नहीं देगा (ताकि बीजिंग को उसकी कारस्तानी महंगी पड़े), वह भारत के खिलाफ नए मोर्चे खोलता रहेगा। नहीं तो वह अपनी साइबर आक्रामकता को बढ़ाएगा और भारत को उसके समुद्री इलाकों में भी चुनौती देगा।