National: समलैंगिक विवाह संबंधी अर्जियों पर SC ने मांगा केंद्र से जवाब

National: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से उन दो याचिकाओं पर जवाब मांगा जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है। लंबित याचिकाओं में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
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प्रधान न्यायाधीश डी चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी की दलीलों पर गौर किया कि याचिकाएं समानता के मौलिक अधिकार से संबंधित हैं। पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी करें।’’
पीठ कविता अरोड़ा और निवेदिता दत्त द्वारा स्थानांतरण के अनुरोध को लेकर दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
शीर्ष अदालत ने 25 नवंबर को दो समलैंगिक जोड़ों की दो याचिकाओं पर संज्ञान लिया था, जिसमें उनके विवाह के अधिकार को लागू करने और उनके विवाह को विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत करने को लेकर प्राधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
अदालत ने दोनों याचिकाओं को लेकर भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि की सहायता भी मांगी थी। पहली याचिका हैदराबाद में रहने वाले समलैंगिक जोड़े सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग ने दायर की थी।
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दूसरी याचिका पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज ने दायर की है।
वर्ष 2018 में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से एक निर्णय दिया था जिसमें कहा गया था कि वयस्क समलैंगिकों या हेट्रोसेक्सुअल के बीच निजी स्थान पर सहमति से यौन संबंध अपराध नहीं है।
वर्तमान प्रधान न्यायाधीश भी उक्त संविधान पीठ का एक हिस्सा थे। पीठ ने अंग्रेजों के समय के दंड कानून के एक हिस्से को रद्द कर दिया था।
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देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।National: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से उन दो याचिकाओं पर जवाब मांगा जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है। लंबित याचिकाओं में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
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प्रधान न्यायाधीश डी चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी की दलीलों पर गौर किया कि याचिकाएं समानता के मौलिक अधिकार से संबंधित हैं। पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी करें।’’
पीठ कविता अरोड़ा और निवेदिता दत्त द्वारा स्थानांतरण के अनुरोध को लेकर दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
शीर्ष अदालत ने 25 नवंबर को दो समलैंगिक जोड़ों की दो याचिकाओं पर संज्ञान लिया था, जिसमें उनके विवाह के अधिकार को लागू करने और उनके विवाह को विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत करने को लेकर प्राधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
अदालत ने दोनों याचिकाओं को लेकर भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि की सहायता भी मांगी थी। पहली याचिका हैदराबाद में रहने वाले समलैंगिक जोड़े सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग ने दायर की थी।
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दूसरी याचिका पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज ने दायर की है।
वर्ष 2018 में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से एक निर्णय दिया था जिसमें कहा गया था कि वयस्क समलैंगिकों या हेट्रोसेक्सुअल के बीच निजी स्थान पर सहमति से यौन संबंध अपराध नहीं है।
वर्तमान प्रधान न्यायाधीश भी उक्त संविधान पीठ का एक हिस्सा थे। पीठ ने अंग्रेजों के समय के दंड कानून के एक हिस्से को रद्द कर दिया था।







