UP Political News : पश्चिमी यूपी की जाट बिरादरी पर दांव लगा सकती है बीजेपी (BJP)

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calendar28 Jul 2022 07:41 PM
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Lucknow/Noida/Meerut : लखनऊ / नोएडा/ मेरठ। उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (Uttar Pradesh BJP President Swatantra Dev Singh)के इस्तीफे के बाद अब नये अध्यक्ष के नाम को लेकर अटकलों का बाजार गर्म  है। बताया जाता है कि जल्दी की पार्टी का नेतृत्व नये प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा कर देगा। राजनीतिक विश्लेषकों (political analysts)की मानें तो अध्यक्ष पद के लिए इस बार भाजपा जाट बिरादरी पर दांव लगा सकती है। जिन नामों पर चर्चा चल रही है, उनमें प्रदेश में पंचायती राज मंत्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी, मुजफ्फरनगर के सांसद व केन्द्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान, भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित सिंह बेनिवाल तथा बागपत के सांसद सतपाल सिंह प्रमुख हैं। इसमें प्रमुख दावेदारी भूपेन्द्र सिंह की मानी जा रही है। भूपेन्द्र सिंह चौधरी भाजपा के काफी कद्दावर नेता माने जाते हैं। उनके पास संगठन का लम्बा अनुभव भी है। लेकिन उन्हीं के कई समर्थक तथा करीबी नहीं चाहते हैं कि वे मंत्री का पद छोड़कर संगठन में प्रदेश की बागडोर संभालें। मोहित बेनीवाल भाजपा के नवोदित लोकप्रिय नेता जरूर हैं, लेकिन कुछ नेताओं का कहना है कि अभी उनका न तो इतना बड़ा कद है और न ही अनुभव। इसलिए बेनीवाल को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपना अभी उचित नहीं है। इस कड़ी में सांसद व मंत्री डा. संजीव बालियान एक सर्वमान्य नाम बनकर उभर रहे हैं। वे दूसरी बार मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए हैं। साथ ही केन्द्र सरकार में मंत्री भी हैं। कृषि कानूनों के विरोध में पश्चिमी उप्र में उपजे किसान विरोध के दौरान क्षेत्र के लोगों को कृषि कानून को समझाने और मनाने में उनकी अहम भूमिका किसी से छिपी नहीं है। इस कड़ी में मुंबई पुलिस के पुलिस कमिश्नर रहे सतपाल सिंह के नाम पर भी चर्चा चल रही है। प्रशासनिक अनुभव के साथ-साथ वे दूसरी बार सांसद बने हैं। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि पश्चिमी उप्र के जाट बाहुल्य जिले में किसान आंदोलन से उपजे विवाद के बाद भाजपा की पकड़ कमजोर पड़ी है। हाल ही में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस क्षेत्र से करारा झटका लगा है। शामली व मुजफ्फरनगर जिले इस बात का सबूत भी है। ऐसी स्थिति में यहां के किसानों को साधने के लिए भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश खासकर जाट बिरादरी से प्रदेश अध्यक्ष बनाकर इस खाई को पाटने का प्रयास कर सकती है। जाट बिरादरी के अलावा ओबीसी वर्ग की कुछ दूसरी जातियों व ब्राह्मण समाज के कुछ नेता भी अध्यक्ष पद पर अपने-अपने ढंग से दावेदारी कर रहे हैं। इन दावेदारों में  पूर्व उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा, पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक, गौतमबुद्धनगर के सांसद डा. महेश शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, केन्द्रीय मंत्री बी.एल. वर्मा, इटावा के सांसद रामशंकर कठेरिया, अश्वनी त्यागी व अमरपाल मौर्य आदि के नाम शामिल हैं।
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UP Political News : क्या सपा बन पाएगी ज़मीनी स्तर की पार्टी?

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calendar02 Dec 2025 03:20 AM
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Lucknow: लखनऊ। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने अब अपनी पूरी ऊर्जा सदस्यता अभियाना में लगाने का फैसला किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल (State President Naresh Uttam Patel) ने सदस्यता अभियान की निगरानी करने के लिए पार्टी के बड़े नेताओं की तैनाती कर दी है। ये नेता सदस्यता अभियान की निगरानी प्रभारी के तौर पर करेंगे। सब जानते हैं कि इसी वर्ष 2022 के शुरू में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी सत्ता की सबसे बड़ी दावेदार थी। चुनाव नतीजों में सपा सत्ता से कोसों दूर रही। सत्ता प्राप्त करने में विफल रही सपा को लेकर विश्लेषकों ने अनेक प्रकार के विश्लेषण किए। इन विश्लेषणों में सपा की असफलता का एक कारण जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का अभाव भी था। इसी अभाव को कम करने के लिए पार्टी ने प्रदेश भर में सदस्यता अभियान शुरू किया है। इस अभियान को सुचारू रूप से चलाने के मकसद से सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने हर जनपद में प्रभारी नियुक्त किए हैं। पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं को प्रभारी बनाया गया है। श्री पटेल द्वारा जारी की गई प्रभारियों की सूची में आगरा जिले का प्रभारी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामजी लाल सुमन को बनाया गया है। मैंनपुरी की जिम्मेदारी निवर्तमान प्रदेश महासचिव श्यामलाल पाल व पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को दी गयी है। इसी प्रकार फिरोजाबाद का प्रभारी पूर्व सांसद अक्षय यादव को बनाया गया है। कासगंज की जिम्मेदारी पूर्व एम.एल.सी. असीम यादव को, हाथरस का जिम्मा पूर्व विधायक अमर सिंह यादव को, कानपुर नगर की जिम्मेदारी पूर्व सांसद राजाराम पाल को दी गयी है। कानपुर देहात व कानपुर नगर की जिम्मेदारी स्वयं प्रदेश अध्यक्ष ने अपने पास रखी है। इसी कड़ी में फर्रूखाबाद जिले में निवर्तमान प्रदेश सचिव नवल किशोर शाक्य व पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रपाल यादव को कन्नौज में राष्ट्रीय सचिव अखिलेश कटियार व पूर्व एमएलसी रामवृक्ष यादव को प्रभारी बनाया गया है। औरैया जिले में विशंभर प्रसाद निषाद (पूर्व सांसद), झांसी में आर.एस. कुशवाहा (पूर्व विधायक), ललितपुर में श्याम सुंदर सिंह यादव (पूर्व एमएलसी), जालौन में तिलकचंद अहीरवार (पूर्व मंत्री), बांदा में संतोष द्विवेदी (सदस्य कार्यकारिणी), शिवशंकर पटेल (पूर्व मंत्री), हमीरपुर में विशंभर सिंह यादव (विधायक), महोबा में डा. चंद्रपाल सिंह यादव (पूर्व सांसद), चित्रकूट में उदयवीर सिंह (पूर्व एमएलसी), इलाहाबाद गंगापार में धर्मेन्द्र यादव (पूर्व सांसद), इलाहाबाद जमुना पार में कमलाकांत गौतम (पूर्व मंत्री), फतेहपुर में डा0 राजपाल कश्यप (पूर्व एमएलसी), प्रतापगढ़ व कौशांबी में इंद्रजीत सरोज विधायक (पूर्व मंत्री), वाराणसी जिले में सुरेन्द्र सिंह पटेल व लालबिहारी यादव (एमएलसी), वाराणसी महानगर में दिलीप रे, मनोज राय धूपचंडी व किशन दीक्षित, जौनपुर में नंदकिशोर यादव (पूर्व सांसद), चंदौली में नारद राय (पूर्व मंत्री), गाजीपुर में राजेश कुशवाहा (पूर्व जिलाध्यक्ष), मिर्जापुर में राजनारायन बिंद (पूर्व विधायक), भदौही में तूफानी सरोज (विधायक), सोनभद्र में आशुतोष सिन्हा (एमएलसी), आजमगढ़ में बलराम यादव व रामआसरे विश्वकर्मा (पूर्व मंत्री), बलिया में राजीव राय (राष्ट्रीय सचिव), मऊ में चंद्रदेव राय यादव (पूर्व मंत्री), गोरखपुर जिले में अंबिका चौधरी (पूर्व मंत्री) व जफर अमीन डक्कू, देवरिया में रामशंकर राजभर (पूर्व सांसद), कुशीनगर में रामअवध यादव (पूर्व एमएलसी), महाराजा गंज में महेन्द्र चौहान, बस्ती में रामप्रसाद चौधरी (पूर्व मंत्री) व महेन्द्र नाथ यादव (विधायक), सिद्धार्थनगर में माताप्रसाद पांडेय (विधायक), लालजी यादव जिलाध्यक्ष, गोंडा में ओंकार सिंह पटेल (प्रदेश सचिव), बहराइच में डा. एसपी यादव (विधायक), श्रावस्ती में अताउर्रहमान (विधायक), बलरामपुर में लालजी वर्मा (विधायक),  फैजाबाद जिले में अवधेश प्रसाद, बारांबी जिले में राकेश वर्मा व आर.के. चौधरी, सुल्तानपुर में रामगोविंद चौधरी (पूर्व मंत्री), अमेठी में मनोज कुमार पांडेय, लखनऊ जिले में अरविंद सिंह गोप (पूर्व मंत्री), हरदोई जिले में आर.के. चौधरी, लखीमपुर खीरी में नरेन्द्र सिंह वर्मा, रायबरेली में किरणमय नंदा (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), उन्नाव जिले में श्रीमती अनु टंडन (पूर्व सांसद) व आर0एस0 कुशवाहा, बरेली जिले में महबूब अली, बदायूं जिले में इकबाल महमूद, पीलीभीत में वीरपाल सिंह यादव, शाहजहांपुर जिले में रविप्रकाश वर्मा, मुरादाबाद शाहिद मंजूर विधायक, संभल जिले में धर्मेन्द्र यादव, बिजनौर जिले में जावेद अली खान (सांसद), रामपुर में अब्दुल्ला आजम (विधायक), अमरोहा में अनीसुर्रहमान, मेरठ जिले में कमाल अख्तर (विधायक), गाजियाबाद जिले में महेश आर्य, गाजियाबाद नगर में संजय गर्ग, हापुड़ जिले में देवेन्द्र जाखड़, बुलंदशहर जिले में रमेश प्रजापति, नोएडा शहर में संजय गर्ग (पूर्व विधायक), सहारपुर जिले में किरनपाल कश्यप, मुजफ्फरनगर जिले में हरेन्द्र मलिक (पूर्व सांसद) व धर्मसिंह सैनी, शामली में श्रीमती तब्बसुम हसन एवं संतकबीरनगर में आलोक तिवारी को प्रभारी बनाया गया है। अब देखना यह होगा कि सपा की यह नई पहल क्या रंग दिखाती है? क्या सपा जमीनी पार्टी के तौर पर खड़ी हो पाएगीï? यह एक बड़ा सवाल है। गौतमबुद्धनगर नदारद ग्रेटर नोएडा। सपा के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा घोषित की गई सदस्यता प्रभारियों की सूची में गौतमबुद्धनगर जिले का नाम गायब है। यहां नोएडा शहर के लिए तो एक प्रभारी बनाया गया है। किन्तु नोएडा ग्रामीण एवं गौतमबुद्धनगर जिले के लिए कोई प्रभारी तैनात नहीं किया गया है। इस बात को लेकर सपा में तरह-तरह की चर्चा व्याप्त है। --
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High-court: अब खुद मैली हो गई है पापियों के पाप धोने वाली पवित्र गंगा

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userचेतना मंच
calendar28 Jul 2022 05:46 PM
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Prayagraj: प्रयागराज। ‘राम तेरी गंगा मैली हो गई, पापियों के पाप धोते-धोते।’ लगभग चार दशक पहले फिल्माया गया यह गाना मौजूदा वक्त में बिल्कुल सटीक बैठता है। कभी पापियों के पाप धोने वाली मां गंगा आज खुद मैली हो गई है। उस समय लोग अपने पाप को धोने के लिए पवित्र गंगा में स्नान करते थे और मां गंगा उनके पापों को धो देती थीं। लेकिन, अब लोग जान-बूझकर गंगा को मैली करने पर आमादा हैं। इस हालात पर इलाहाबाद हाईकोर्ट बेहद खफा है। खरबों रुपये खर्च होने के बाद भी गंगा के प्रदूषण पर सख्त रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जल निगम की कार्यशैली पर सख्त नाराजगी जाहिर की। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यहां तक कहा कि जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कुछ कर ही नहीं रहा है तो क्यों न उसे समाप्त कर दिया जाए। अदालत ने नमामि गंगे परियोजना के निदेशक से इस परियोजना में अब तक हुए खरबों रुपये के खर्च का ब्यौरा तलब किया है। साथ ही पूछा कि गंगा अब तक साफ क्यों नहीं हो सकी? अदालत ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी जांच और कार्रवाई से संबंधित पूरी रिपोर्ट तलब की है। मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी। स्वतः संज्ञान ली गई जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता ने बताया कि गंगा में शोधित जल नहीं जा रहा है। कानपुर में लेदर इंडस्ट्री, गजरौला में शुगर इंडस्ट्री की गंदगी शोधित हुए बगैर गंगा में गिर रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा कि आपका क्या रोल है? कैसे निगरानी कर रहे हो? आपके पास इस संबंध में कितनी शिकायतें पहुंची हैं और कितने पर कार्रवाई की गई है? बोर्ड के अधिवक्ता इस पर ठीक जवाब नहीं दे पाए तो कोर्ट ने कहा कि जब आप निगरानी नहीं कर पा रहे हैं और कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं तो क्यों न बोर्ड को बंद कर दिया जाए? कोर्ट ने गंगा प्रदूषण पर कानपुर आईआईटी और बीएचयू आईआईटी की टेस्ट रिपोर्ट देखकर हैरानी जताई। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि यह रिपोर्ट तो आंखों में धूल झोंकने वाली है। ट्रीटमेंट प्लांट बेकार है। आपने एसटीपी की जिम्मेदारी निजी हाथों में दे रखी है। वे काम हीं नहीं कर रहे हैं। जांच के लिए जो नमूने भेजे गए, वह पर्याप्त मात्रा में नहीं थे। कुछ नमूनों की रिपोर्ट में शोधित पानी की रिपोर्ट मानक के अनुरूप नहीं पाई गई। कोर्ट ने जिम्मेदार लोगों को फटकार लगाते हुए कहा कि जब जांच करानी होती है तो साफ पानी मिलाकर सैंपल भेजकर अच्छी रिपोर्ट तैयार करा ली जाती है। ऐसे काम नहीं चलेगा। रिपोर्ट से साफ है गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। परियोजना प्रबंधक ने कहा कि जब गंदा पानी ज्यादा मात्रा में एसटीपी से जाएगा तो शोधित नहीं हो पाएगा, इस पर बाउंड नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि जब बाउंड नहीं है तो एसटीपी का कोई मतलब ही नहीं है। कोर्ट ने फिर पूछा कि आपके पास कोई पर्यावरण एक्सपर्ट (इंजीनियर) है। जल निगम इस मामले में कैसे काम कर रहा है? सीसा, पोटेशियम व अन्य रेडियोएक्टिव चीजें गंगा को दूषित कर रहीं हैं। यूपी में एसटीपी के संचालन की जिम्मेदारी अडानी ग्रुप की कंपनी को दी गई है, लेकिन संयंत्रों के काम न करने से गंगा मैली हो रही है। कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज, वाराणसी सहित गंगा के किनारे बसे यूपी के कई शहर धार्मिक महत्व के हैं। इन शहरों में स्थानीय लोगों के साथ रोजाना और कुंभ, महाकुंभ के दौरान करोड़ों लोग पहुंचते हैं। उनसे निपटने के लिए किस तरह से प्रबंध करते हैं। क्या योजना है? योजना कैसे बनाई जाती है? इसका सरकारी अधिवक्ता और जल निगम के परियोजना प्रबंधक के पास कोई जवाब नहीं था। परियोजना निदेशक से पूछा कि एसटीपी की रोजाना मॉनिटरिंग कैसे होती है? इस पर परियोजना निदेशक ने एक रिपोर्ट पेश की। कोर्ट ने उस पर नाराजगी जताते हुए सवाल किया, यह तो मंथली (महीनेवार) रिपोर्ट है, प्रतिदिन की रिपोर्ट कहां है? परियोजना निदेशक उसे पेश नहीं कर पाए। कोर्ट ने रिपोर्ट देखकर पूछा कि निगरानी कैसे करते हो, तो निदेशक ने कहा कि ऑनलाइन होती है। कोर्ट ने कहा कि वीडियो देखकर मॉनिटरिंग करते हो। इस पर अपर महाधिवक्ता नीरज कुमार तिवारी ने प्रतिदिन की रिपोर्ट तैयार करने का आश्वासन दिया।