Bulandshahr : बुलंदशहर। कानून की नजर में भले ही बेटे-बेटियां एक समान हैं और उनमें कोई भेद नहीं किया जा सकता है। लेकिन, समाज में अभी कई ऐसे लोग हैं, जो सिर्फ कानून ही नहीं, समाज और मानवता को भी कलंकित करने से परहेज नहीं करते हैं। ऐसे में बुलंदशहर में बेटियों ने मां के हत्यारे पिता को उम्रकैद की सजा दिलाने में अहम किरदार निभाया है। इसमें उन्हें कानून और न्याय का भरपूर साथ मिला। अब पूरे इलाके में इन बेटियों की मुक्त कंठ से सराहना हो रही है। वहीं, हत्यारे बाप पर हर कोई थू-थू कर रहा है। दरअसल, बेटा न होने पर जिंदा जलाकर पत्नी की हत्या करने के दोषी पति को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। उस पर 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। सजा सुनाने में कोर्ट ने दोषी की बेटियों की गवाही को अहम माना है। बेटियों ने ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को खून से खत लिखकर मामले में पुलिस के ढुलमुल रवैये का पर्दाफाश किया था। इसके बाद गंभीरता से मामले की तहकीकात हुई और बेटियों को गवाह बनाया गया।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव मलिक और पीड़ित के अधिवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि ओमवती देवी ने 14 जून 2016 को नगर पुलिस को शिकायत देकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। ओमवती ने बताया था कि बेटी अन्नू की शादी नगर के कोठियात निवासी मनोज बंसल के साथ वर्ष 2000 में की थी। इसके बाद अन्नू को दो बेटियां लतिका व तान्या हुई। मनोज को बेटा चाहिए था। वह पांच बार लिंग जांच कराने के बाद गर्भपात करा चुका था। मनोज ने 13 जून को फोन करके मायके वालों को बुलाया। मौके पर पहुंचे तो उसने अन्नू को साथ ले जाने के लिए कहा। उन्होंने साथ ले जाने से इनकार किया तो उसने हत्या की धमकी दी। 14 जून की सुबह नातिन लतिका बंसल ने सूचना दी कि पिता और अन्य लोगों ने मां को जिंदा जला दिया है। मौके पर पहुंचकर देखा तो अन्नू बुरी तरह से जली हुई आंगन में पड़ी थी। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया। दिल्ली में उपचार के दौरान 20 जून को उसकी मौत हो गई थी। कोर्ट का फैसला आने के बाद अन्नू की बड़ी बेटी लतिका बंसल ने बताया कि घटना के दिन हम दोनों बहनों को एक कमरे में बंद कर दिया गया था। इसके बाद पिता मनोज ने मां को आग लगाई थी। दोनों बहनें कमरे की खिड़की से मां को जलता हुआ देख रही थीं।
मां की हत्या के बाद दोनों बेटियां रातभर रो-रोकर गुजारती थीं। नानी व मामा उन्हें संभालते थे। घटना के समय लतिका कक्षा 11 और उसकी छोटी बहन तान्या कक्षा छह में पढ़ती थी। लतिका ने कहा कि ऐसा कोई दिन नहीं गया, जब मां की याद न आई हो। मामा तरुण जिंदल और नानी ओमवती ने उनका पालन-पोषण और पढ़ा-लिखा रहे हैं। लतिका फिलहाल बीएससी अंतिम वर्ष और तान्या बंसल 12वीं की छात्रा है। लतिका ने बताया कि वह डॉक्टर बनना चाहती हैं। उसने नीट की परीक्षा दी है।