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मैं ये करूँ सवाल, तो वे क्या जवाब देंगे?

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Noida News : जहरीली गैस के चेंबर में परिवर्तित होता नोएडा। स्थिति खाली ‘खराब’ नहीं बल्कि ‘खतरनाक’ और ‘बेहद खतरनाक’ हो रही है। एयर क्वालिटी इंडेक्स 1 से 100 तक संतोषजनक होता है। वह आज 400 से ऊपर जा रहा है। स्मोग ने पूरे नोएडा, दिल्ली NCR को एक छतरी की तरह घेर रखा है। विजिबिलिटी 20 से 25 मीटर थी। 15 नवंबर के बाद से AQI-400 से पार ही है। पार्टिकुलेट मैटर-2.5, पीएम 10, ये स्थिति चल रही है हमारे शहर की और मैं सवाल पूछती हूँ कि मैं अपने रेजिडेंट्स को क्या जवाब दूँ?

आज मैं खुद से पूछ रही हूं कि मेरे इन सवालों का नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) की (OSD) वंदना त्रिपाठी, उद्यान विभाग से आये निदेशक आनंद मोहन तथा जितेंद्र क्या जवाब देते? क्या आपको लगता है कि खाली उद्यान विभाग इस प्रदूषण से लड़ लेगा? पराली जलाना तो अनुचित है ही, चारों ओर गाडिय़ां, छोटे-छोटे बच्चों के हाथों में स्कूटियां हैं। साइकिल चलाना तो आज गरीबी का सिम्बल बन गया है। सडक़ों पर बे इंतेहा भार क्योंकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट कम है या समय पर उपलब्ध ही नहीं है जैसे की दोपहर को लगभग 12 से 3.30 बजे तक तो डीटीसी बसें सडक़ों से गायब ही रहती हैं। ऐसे में सडक़ों पर डाला गया बेइन्तहा भार। क्या यह प्रदूषण के लिए दोषी नहीं हैं? समस्या पैदा हुई है तो उसका समाधान भी होना ही चाहिए? पर क्यों नहीं होता? मैं क्या जानूँ? नोएडा प्राधिकरण ने कोन्ट्राक दे दिए हैं। लगभग सब ही सेक्टरों में पार्कों की सफाईयां भी चल ही रही हैं।

नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) के उद्यान विभग के विद्वान अधिकारी बैठे थे बहुत ही महत्वपूर्ण मीटिंग थी। फोनरवा अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा ने बुलाई थी और मेरे इस सवाल पर सब-के-सब बिल्कुल ही चुप लगा गए कि हमारे पार्कों में धूल उड़ रही है। घास तक नहीं है। पेड़ इतने ऊंचे हो गए हैं कि तीसरी मंजिल की खिडक़ी से झांकते हैं? अधिकारी जवाब जानकर भी चुप्पी लगाये थे। मुझे बहुत रोष था। नोएडा प्राधिकरण को इतना पैसा हम टैक्स के रूप में देते हैं। फिर भी हमारे पार्कों की यह दुर्दशा क्यों? मीटिंग का फायदा तो कुछ होता नहीं है। सुनता सुनाता भी कोई है नहीं यह सवाल अत्यंत महत्वपूर्ण था। पर एडवोकेट कोसिंनदर यादव अध्यक्ष सेक्टर-117 को तो पता हैकि में चुप नहीं रहूँगी। विज्ञान पढ़ी हैं न ! इसलिए ये हाल है।

सरकार प्रदूषण से हमारी जान बचाने के लिए प्राइमरी स्कूलों में छुट्टी, क्लासेस ऑनलाइन मोड में एनसीआर से दिल्ली आने वाली बसों में रोक लगा रही है। दिल्ली एनसीआर में निर्माण खनन और तोडफ़ोड़ पर रोक लगा रही है। दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में Bs3 पेट्रोल और Bs4 डीजल वाहन नहीं चल रहे हैं। मशीन से सडक़ों की सफाई की फ्रीक्वेंसी बढ़ा दी गई है। हैवी ट्रैफिक वाले रूट पर पीक आवर से पहले पानी का छिडक़ाव हो रहा है।

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हम अपना भोजन घर में जैसे गैस पर बनाते हैं इसी तरह से पेड़ जो कि कुछ बीज या छोटे पौधे जो हम लगाते हैं। उसके बदले में देखते-देखते इतना बड़ा वृक्ष बन जाते हैं यानी उनमें जीवन है। खाते हैं तभी तो बढ़ते हैं वह अपना भोजन बनाने के लिए ईंधन धूप से लेते हैं। 3-4 मंजिल मकान मैं बनाती हूँ। अब जब उनको धूप ही नहीं मिलती तो फिर वे वृक्ष भी मकानों से उससे भी ऊपर होने की कोशिश करते हैं। अपने जीवन की रक्षा के लिए। अब जड़ों को तो मैने बंद कर ही दिया। अब ऊपर से इन पेड़ों के सर भी कटवाऊँगी। इन पर रहने वाले पक्षी जहां भी उडें? मुझे क्या? क्योंकि मैं लोगों को क्या ज़वाब दूँ? एक पेड़ लगभग दो लोगों के जीवन के लिए प्राणदायिनी ऑक्सीजन देता है और मेरी चमचमाती गाडियां क्या देती हैं? भरपूर प्रदूषण और में देती हूँ सबकी निंदा!

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आप ही बताइए न मेरे ये सवालों का प्राधिकरण के अधिकारी श्रीमती वंदना त्रिपाठी या आनंद मोहन क्या ज़वाब दें? Noida News :

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