Friday, 22 November 2024

ये कूड़ा है किसका? प्राधिकरण के स्वच्छ नोएडा अभियान में लगा दाग

अंजना भागी Noida News : अब मैं यह कैसे बताऊं कि यह किसका कूड़ा था? यह तो कूड़ा ही बता…

ये कूड़ा है किसका? प्राधिकरण के स्वच्छ नोएडा अभियान में लगा दाग

अंजना भागी

Noida News : अब मैं यह कैसे बताऊं कि यह किसका कूड़ा था? यह तो कूड़ा ही बता सकता था न? कि वह किसका कूड़ा था? हुआ कुछ यूँ कि उस घर में रहने वालों को हरियाली का अत्यधिक शौक है। यहां तक की उन्होंने अपने घर के आगे क्या? साईड में क्या? सब जगह पेड़ ही पेड़ लगा रखे हैं।  घर के सामने जो पार्क है उसमें भी पेड़ हैं। उनका तो यह भी मानना है कि यदि पेड़ लगाए हैं तो फलों के ही लगा दो। शायद इसीलिए कुछ समय बाद ही लोग उन्हें फल वालों के घर से जानने भी लगे। परेशानी तब हुई जब इन पेड़ों की जड़ों के पास मोटे-मोटे चूहों ने अपने बिल खोद लिए। हाल ये हो गया कि सुबह उठते ही उनके घर की दीवारों के पास चूहों के खुदाई करने के कारण मिट्टी बाहर होती थी और जरा सी बारिश आते ही चूहे घर के अंदर लप-लपाते घूमने लगते थे। परेशान होकर परिवार वालों ने नोएडा प्राधिकरण को एप्लीकेशन दी कि हमारे पेड़ों को बचाते हुए हमारे घर के आगे पक्की टाइलिंग करवा दी जाए।

लापरवाही से पैदा हुई समस्या 
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नोएडा प्राधिकरण ने भी पर्यावरण प्रेमी देख उनकी समस्या को समझा। पेड़ों को बचाते हुए चूहों से उनके घर को बचाने हेतू ज्मीन पर टाईल लगा पक्की कर दी। दो दिन में सब ठीक हो गया। अब समस्या यह आई कि प्राधिकरण के सिविल विभाग वालों ने वह काम करवाया। जो थोड़ा बहुत कचरा था सूखे पत्ते कंकड मिट्टी इत्यादि उसे लेबर ने सड़क के किनारे रख दिया। बस यहीं से समस्या की  शुरुआत होती है। पतझड़ का मौसम है। उस आधा किलो के कचरे पर सुबह झाड़ू लगाते हुए गली के सफाई कर्मचारी ने अपना सारा कचरा वहीं टिका दिया। इतने में कूड़ा गाड़ी आई। उनकी गाड़ी का एक पहिया इस कचरे पर ऊंचा सा खडा था। ठेली में कूड़ा उठाने वाला आया वह आस पास का सब ले गया पर इस और उसकी पीठ ही रही। अब यूं ही चार दिन हो गए। वो सूखी फैली पत्तियाँ अब कूड़े का ढेर सी नजर आने लगी थीं। तब उस रेजिडेंट को फिक्र हुई। उन्होंने गली के सफाई कर्मचारी से पूछा? भाई आप यह कूड़ा क्यों नहीं उठा रहे? प्रश्न का जवाब प्रश्न में ही आया कि आप यह बताइए कि ये कूड़ा है किसका? कूड़े में थोड़ी सी मिट्टी से छँटे हुए कंकड़ पत्थर तथा सूखे पत्ते थे। उसके ऊपर का सारा काम बाद में झाड़ू मारने वालों ने किया था। बाकी कमी कोई घरेलू सहायिकों ने कर दी थी। जो आते जाते वहीं कूड़े की थैली भी टिका गईं । गली के कुत्तों ने थैली फाड़ उसे और भी छितरा दिया। तो अब इस छोटे से एक किलोग्राम बराबर कूड़े में तीन प्रकार के कूड़े मिक्स हो गए थे। गली की सड़क की धूल उसके ऊपर सूखे पत्ते।  उसके बीच में दबे हुए घरेलू सहायिकाओं द्वारा फेंकी गई पौलीथिन में कूड़ा । उसको खींचकर फाड़ कर गली के कुत्तों द्वारा फैलाया गया कचरा। झाड़ू वालों ने फिर इसे झाड़ू मारकर इसी में समा दिया था। यानी वह 1 किलो कूड़ा कुछ ही दिनों में लगभग 10 किलो बन गया था।

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 1 किलो कूड़ा बन गया  10 किलो 

नोएडा में सुबह स्वच्छता अभियान  की गाड़ी इसके ऊपर से ही आधा पहिया निकाल कर निकलती। चारों और प्रश्न यही था कि आखिर ये कूड़ा है किसका? अब सच्चाई तो सिर्फ कूड़ा ही जानता था कि गलती परिवार वालों की थी। सिवल वालों की, सफाई कर्मचारियों की या गाड़ी में रोज कूड़ा लेने आने वालों की? ऐसे ही यदि कभी किसी का गेट खुला रह जाए या काम वालियाँ इधर उधर कूड़े की थैली टिका जायें तो भी उस कूड़े का निस्तारण एक गंभीर समस्या सा ही बन जाता है। चारों ओर हवा में एक ही प्रश्न लहराता है। आखिर यह कूड़ा है किसका? नोएडा प्राधिकरण स्वच्छ नोएडा बनाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है। इतने कर्मचारी काम पर हैं। पर वे  हर गली पूछने तो नहीं जाएंगे न? न ही कूड़ा स्वयं चिल्लायेगा। थोड़ा बहुत यदि कभी कभार ऐसा हो भी जाता है। तो कूड़ा तो जाना ही चाहिये न । पार्क वाले कहते हैं हम माली हैं कूड़ा उठाने वाले थोड़े ही ? गली के सफाई कर्मचारी कहते हैं पार्कों का कूडा हमारी जिम्मेदारी नहीं । कूड़ा गाड़ी वाले तो बिल्कुल भी नहीं ले जाते। फिर भी इस कसम को तोड़ा है सेनचुरी अपार्टमेंट् वालों ने तथा कुछ अन्य आर डब्लू ऐ ने वहाँ के बच्चे बड़े सब ही अपने सेक्टर ब्लॉक या पार्कों में खेलने से पहले यदि जरा भी वहाँ कचरा है तो वे उठाते हैं। फिर खेलते हैं। नोएडा में इसकी शुरुआत पवन यादव जी ने सेनचुरी अपार्टमेंट से की थी । अनीता जोशी अध्यक्ष हैं। नोएडा में अपने सेक्टर को वे भी कभी भी साफ करती नजर आती हैं। वहीं से हमने भी सीखा और हैरानी तब हुई जब हमारे सेक्टर के सीनियर सिटीजेन बी एस शर्मा श्री पारिख जी, इंदु पारिख, सब एक साथ शामिल हुए। किसका कूड़ा है का तो प्रश्न ही नहीं बचा। आप समझदार हैं मेरी समस्या को समझ सकेंगे और जान सकेंगे। नोएडा तो प्रथम नंबर पर स्वच्छता सर्वेक्षण में रहेगा ही हम भी कितनी ही बीमारियों से बचेंगे, आपस में जुड़ेंगे और बहुत अच्छी बात ये भी है कि हम बदलेंगे तो युग बदलेगा। शायद हम लोग कूड़ा करना भी कम ही कर देंगे।Noida News

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