Noida News : वर्षा का जल एक बार फिर नालियों से होकर सीवरों में बह रहा है। पिछले गुजरे सभी वर्षों से यही होता आ रहा है, लेकिन पहले जल की कमी को लेकर सजगता नहीं थी। आज सब सजग हैं फिर भी वही हो रहा है जो होता आ रहा था। यह पवित्र, स्वच्छ, उजला जल जब घर की पक्की छत से पक्के फर्श पर आकर गिरता है और फिर सीवर का रास्ता ढूंढता है तो हर समाजसेवी को यह देखकर बहुत तकलीफ होती है।
सेक्टर-11 से बी.एस.शर्मा का कहना है कि हम सब ही के पास नोएडा प्राधिकरण है न, कोस लेने को। जो भी कमी या गलती हो प्राधिकरण की करना क्या है? उंगली उठा दो प्राधिकरण की ओर और काम चल जायेगा। पर गौरव शर्मा का मानना है कि बहुत आसान है दूसरों को कोस कर पल्ला झाड लेना पर क्या यह जल हमें दोबारा मिल पाएगा? यदि गर्मी अगली बार भी कुछ इस प्रकार की ही पड़ी तो इस बढ़ती आबादी की प्यास कौन बुझा पाएगा। जल ही न मिलेगा, तो हमारा जीवन किधर जाएगा? इस बारे में आज विचार करने की अत्यधिक आवश्यकता थी पर इस बार का जल तो सरेआम नाले-नालियों का ही कद बढ़ा रहा है।
जैसे चलते-चलते बहुत सी परेशानियां होती हैं। वैसे ही हर परेशानी का भी कोई न कोई समाधान निकलता है। नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने लगभग सभी सेक्टरों के पार्कों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाएं। लफ्ज तो हमने बड़े शौक से खर्च कर दिए कि हमारी समझ में नहीं आता कि पार्कों में वह भी ऊंची जगह पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम प्राधिकरण ने क्यों बनवाए? क्या आपने सोचा है कि यदि उस समय आप प्राधिकरण के अधिकारी से मिलते। जब वे जगह देखने आते हैं आप उनसे मशवरा करते और जहां आप चाहते हैं वहां वह वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाते। प्राधिकरण के कर्मचारी तथा अधिकारी जो कि बनाने के उद्देश्य से ही आते हैं कभी भी मना नहीं करते। आपकी सलाह का पूरा सम्मान करते हैं। लेकिन जब काम हो रहा होता है हम साथ खड़े नहीं होते। कभी-कभी तो लेबर काम कर रही होती है। हम देखने तक नहीं जाते। जब काम हो जाता है तो बाद में हम उनकी ओर उंगली उठाते हैं। आप स्वयं खड़े होकर लेबर मिस्त्री को गाइड करें। यह नहीं कि पहले काम खराब होने तक कोई परवाह ही नहीं फिर बाद में निन्दा। आपको नहीं लगता इससे धन, समय तथा जिस कारण वह कार्य किया गया था सभी का नुकसान होता है। बात तो कड़वी है लेकिन सच भी ये ही है। जिन सेक्टरों में सेवाभाव से आरडब्लूऐ काम कर रही हैं। काम खूब हो भी रहा है।
कभी सोचा है ऐसा क्यों हो रहा है? सेक्टर-108 के अध्यक्ष विनोद शर्मा बाल्टी से तो कभी अपने नल पर पाइप लगाकर अपने पार्क के पेड़ों को गर्मी में पानी दे रहे थे। हॉर्टिकल्चर विभाग के निर्देशक आनंद मोहन ने उन्हें देखा फोरन उनके पार्कों में जल की पाइप लाइन लगवाई। इस पर मैं बहुत गंभीरता से सोचती हूँ, मेरी तो समझ में यही आता है कि जब से समाजसेवियों का स्थान धन्नाडय व्यापारी वर्ग ने झपटना शुरू कर दिया है तब से यह कमियां बहुत अधिक नजर आने लगी हैं।
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समाजसेवी समाज में घूमता है, लोगों के बीच में रहता है, आम आदमी की जरूरत को समझता है। वह जानता है कि कब किस जगह पर किस चीज की आवश्यकता है। धनवान व्यापारी को क्या चाहिए प्रचार और पहचान अत: उनका ध्यान सार्वजनिक कार्यक्रमों में आम जन से कुछ अधिक फल-फूल देकर स्टेज पर चढ़ अपना नाम बुलवा लेने से ही चल जाता है। सेवा तो वे यदि अपने मताहत काम करने वाले कर्मचारियों की करने लगेंगे तो भी वे उद्योगपति के साथ-साथ समाजसेवी भी हो जाएंगे। समाजसेवा एक जज्बा होता है। जादव बयंग असम के फॉरेस्टमैन ने अकेले ही जंगल बसा दिये। दशरथ मांझी ने भी पहाड़ खोदकर रास्ता ही बना डाला। यहाँ भी समाजसेवी हैं जो अपने सेक्टरों को एक परिवार बना रहे हैं। आवश्यकता है समाजसेवियों को पहचान प्राथमिकता देने की नहीं तो इस वर्ष जैसी गर्मी पड़ी है, सैलाब आ रहे हैं? क्यों आते हैं सैलाब? क्यों बड़ रहा है तापमान? अत: व्यवस्था को फिर से समाजसेवियों को लाना होगा। उनका होसला बढ़ाना होगा। और राष्ट्र निर्माण के लिए जो जल जो कि जीवन है को भी बचाना होगा। Noida News
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