पंचायत से घर-घर में मशहूर हुए विधायक जी, आखिर कौन हैं ये कलाकार ?

Pankaj Jha : वेब सीरीज ‘पंचायत’ ने गांव की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने को जिस सहजता से परदे पर उतारा है, वह प्रशंसा के योग्य है। इस सीरीज के चौथे सीजन में एक ऐसा किरदार उभरकर सामने आया है, जिसने दर्शकों का ध्यान खींचा—विधायक चंदकिशोर सिंह उर्फ चंदू। इस किरदार को जीवंत किया है अभिनेता पंकज झा ने, जिनकी अभिनय यात्रा संघर्ष, संयम और आत्मविश्वास की मिसाल है।
बिहार से NSD तक का सफर
बिहार के सहरसा जिले से ताल्लुक रखने वाले पंकज झा की यह यात्रा आसान नहीं रही। अभिनय की बारीकियां उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) से सीखी, लेकिन अभिनय के मंच पर उन्हें लंबे समय तक केवल हाशिए के किरदार ही मिलते रहे। ‘चमेली’, ‘गुलाल’, ‘ब्लैक बोर्ड’, ‘मंगल पांडे’ और ‘मथुरा: सिटी ऑफ लव’ जैसी फिल्मों में उन्होंने छोटे लेकिन असरदार किरदार निभाए, परंतु उन्हें वह मुकाम नहीं मिला जिसके वे असल हकदार थे।
पहचान के लिए करना पड़ा लंबा इंतज़ार
फिल्मी करियर की शुरुआत में पंकज झा ने ‘चमेली’, ‘गुलाल’, ‘ब्लैक बोर्ड’, ‘मंगल पांडे’ और ‘मथुरा: सिटी ऑफ लव’ जैसी फिल्मों में सहायक भूमिकाएं निभाईं। लेकिन इन फिल्मों से उन्हें वह पहचान नहीं मिल सकी, जिसकी उन्हें उम्मीद थी। ‘पंचायत’ ने इस लंबे इंतज़ार को खत्म किया और दर्शकों ने उन्हें ‘विधायक जी’ के रूप में सर आंखों पर बिठा लिया। पंकज झा के संघर्ष की कहानी किसी प्रेरक उपन्यास से कम नहीं है। जब वे पटना के आर्ट कॉलेज में पढ़ रहे थे, उस समय उनके पिता महीने में महज 500 रुपये भेजा करते थे। सीमित संसाधनों में पढ़ाई और गुजारे के लिए उन्होंने अखबारों में स्केच बनाकर अतिरिक्त आय जुटाई। इसी दौरान उनकी कलात्मक अभिव्यक्ति ने अखबारों के पन्नों पर रंग भर दिए।
अब रंग लाई मेहनत
एक साक्षात्कार में पंकज झा ने खुलासा किया था कि अनुराग कश्यप की चर्चित फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में उन्हें 'सुल्तान' का किरदार ऑफर हुआ था, मगर अंतिम समय पर उन्हें बाहर कर दिया गया और यह रोल पंकज त्रिपाठी को मिला। झा ने यह भी कहा था कि इंडस्ट्री में ऐसे कई कलाकार हैं जो अवसरों को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए ‘राजनीति’ का सहारा लेते हैं। हाल ही में दिए एक बयान में उन्होंने बिना नाम लिए पंकज त्रिपाठी पर निशाना साधा। उनका कहना था, "कुछ लोग अपनी संघर्ष की कहानी को जरूरत से ज्यादा नाटकीय बना देते हैं।" साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इंडस्ट्री में कई ऐसे चेहरे हैं जो दूसरों का काम छीनकर खुद आगे बढ़ते हैं। Pankaj Jha
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ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।Pankaj Jha : वेब सीरीज ‘पंचायत’ ने गांव की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने को जिस सहजता से परदे पर उतारा है, वह प्रशंसा के योग्य है। इस सीरीज के चौथे सीजन में एक ऐसा किरदार उभरकर सामने आया है, जिसने दर्शकों का ध्यान खींचा—विधायक चंदकिशोर सिंह उर्फ चंदू। इस किरदार को जीवंत किया है अभिनेता पंकज झा ने, जिनकी अभिनय यात्रा संघर्ष, संयम और आत्मविश्वास की मिसाल है।
बिहार से NSD तक का सफर
बिहार के सहरसा जिले से ताल्लुक रखने वाले पंकज झा की यह यात्रा आसान नहीं रही। अभिनय की बारीकियां उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) से सीखी, लेकिन अभिनय के मंच पर उन्हें लंबे समय तक केवल हाशिए के किरदार ही मिलते रहे। ‘चमेली’, ‘गुलाल’, ‘ब्लैक बोर्ड’, ‘मंगल पांडे’ और ‘मथुरा: सिटी ऑफ लव’ जैसी फिल्मों में उन्होंने छोटे लेकिन असरदार किरदार निभाए, परंतु उन्हें वह मुकाम नहीं मिला जिसके वे असल हकदार थे।
पहचान के लिए करना पड़ा लंबा इंतज़ार
फिल्मी करियर की शुरुआत में पंकज झा ने ‘चमेली’, ‘गुलाल’, ‘ब्लैक बोर्ड’, ‘मंगल पांडे’ और ‘मथुरा: सिटी ऑफ लव’ जैसी फिल्मों में सहायक भूमिकाएं निभाईं। लेकिन इन फिल्मों से उन्हें वह पहचान नहीं मिल सकी, जिसकी उन्हें उम्मीद थी। ‘पंचायत’ ने इस लंबे इंतज़ार को खत्म किया और दर्शकों ने उन्हें ‘विधायक जी’ के रूप में सर आंखों पर बिठा लिया। पंकज झा के संघर्ष की कहानी किसी प्रेरक उपन्यास से कम नहीं है। जब वे पटना के आर्ट कॉलेज में पढ़ रहे थे, उस समय उनके पिता महीने में महज 500 रुपये भेजा करते थे। सीमित संसाधनों में पढ़ाई और गुजारे के लिए उन्होंने अखबारों में स्केच बनाकर अतिरिक्त आय जुटाई। इसी दौरान उनकी कलात्मक अभिव्यक्ति ने अखबारों के पन्नों पर रंग भर दिए।
अब रंग लाई मेहनत
एक साक्षात्कार में पंकज झा ने खुलासा किया था कि अनुराग कश्यप की चर्चित फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में उन्हें 'सुल्तान' का किरदार ऑफर हुआ था, मगर अंतिम समय पर उन्हें बाहर कर दिया गया और यह रोल पंकज त्रिपाठी को मिला। झा ने यह भी कहा था कि इंडस्ट्री में ऐसे कई कलाकार हैं जो अवसरों को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए ‘राजनीति’ का सहारा लेते हैं। हाल ही में दिए एक बयान में उन्होंने बिना नाम लिए पंकज त्रिपाठी पर निशाना साधा। उनका कहना था, "कुछ लोग अपनी संघर्ष की कहानी को जरूरत से ज्यादा नाटकीय बना देते हैं।" साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इंडस्ट्री में कई ऐसे चेहरे हैं जो दूसरों का काम छीनकर खुद आगे बढ़ते हैं। Pankaj Jha







