Faridabad News : पत्नी को मारकर, पैट्रोल से जलाया शव, राख भी नहर में फेंक दिया पिता ने दर्ज कराई FIR
भारत
चेतना मंच
30 Nov 2025 03:49 PM
Faridabad : हरियाणा के पलवल ज़िले के हसनपुर थाना क्षेत्र के गांव भवाना में पति ने पत्नी को मार डाला। शव को खंडहर में जलाकर सबूत मिटा दिए। इस दौरान वह खुद भी झुलस गया और अस्पताल में एडमिट है। आरोपी के पिता ने इस मामले में बेटे के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया है। घटना 29 जुलाई की रात की बताई जा रही है। यह तो पता नहीं चल पाया है कि इस कलयुगी पति ने हत्या के बाद शव को जलाया अथवा मारपीट कर पत्नी को जिंदा ही जला डाला है ।
हसनपुर के थाना प्रभारी निरीक्षक दलवीर सिंह ने बताया कि गांव भवाना के रहने वाले राज सिंह ने जानकारी दी है कि उनके बेटे शशिकांत की शादी करीब 8 -9 वर्ष पूर्व गुड्डी निवासी बिहार के साथ हुई थी। शशिकांत का 8 वर्ष का बेटा है। 29 जुलाई की रात को शशिकांत और उसकी पत्नी गुड्डी के बीच आपस में झगड़ा हो गया। उसी रात गुड्डी घर से गायब हो गई। इस बारे में राजसिंह व उनके भाई गजराज ने शशिकांत से पूछा तो शुरूआत में वह टालता रहा। बाद में बताया कि उसने पत्नी गुड्डी को 29 जुलाई की रात को लात-घूसे से पीटने के बाद गला दबाकर हत्या कर दी। बाद में आरोपी ने शव को बंद पड़े अपने चाचा के खंडहर मकान में पेट्रोल डालकर जला दिया। शव को जलाने के बाद आरोपी ने मृतका के राख को बोरे में भरकर नहर में डाल दिया। पुलिस ने पिता की शिकायत पर आरोपी बेटे के खिलाफ हत्या व सबूत मिटाने के आरोप में केस दर्ज कर लिया है। फरेंसिक टीम ने मौके से सबूत एकत्रित किए हैं। डीएसपी सज्जन सिंह ने बताया कि पत्नी को जलाने के दौरान आरोपी खुद भी झुलस गया था। इसके कारण वह एक अस्पताल में भर्ती है। अस्पताल से डिस्चार्ज होते ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
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चेतना मंच
30 Nov 2025 03:49 PM
Faridabad : हरियाणा के पलवल ज़िले के हसनपुर थाना क्षेत्र के गांव भवाना में पति ने पत्नी को मार डाला। शव को खंडहर में जलाकर सबूत मिटा दिए। इस दौरान वह खुद भी झुलस गया और अस्पताल में एडमिट है। आरोपी के पिता ने इस मामले में बेटे के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया है। घटना 29 जुलाई की रात की बताई जा रही है। यह तो पता नहीं चल पाया है कि इस कलयुगी पति ने हत्या के बाद शव को जलाया अथवा मारपीट कर पत्नी को जिंदा ही जला डाला है ।
हसनपुर के थाना प्रभारी निरीक्षक दलवीर सिंह ने बताया कि गांव भवाना के रहने वाले राज सिंह ने जानकारी दी है कि उनके बेटे शशिकांत की शादी करीब 8 -9 वर्ष पूर्व गुड्डी निवासी बिहार के साथ हुई थी। शशिकांत का 8 वर्ष का बेटा है। 29 जुलाई की रात को शशिकांत और उसकी पत्नी गुड्डी के बीच आपस में झगड़ा हो गया। उसी रात गुड्डी घर से गायब हो गई। इस बारे में राजसिंह व उनके भाई गजराज ने शशिकांत से पूछा तो शुरूआत में वह टालता रहा। बाद में बताया कि उसने पत्नी गुड्डी को 29 जुलाई की रात को लात-घूसे से पीटने के बाद गला दबाकर हत्या कर दी। बाद में आरोपी ने शव को बंद पड़े अपने चाचा के खंडहर मकान में पेट्रोल डालकर जला दिया। शव को जलाने के बाद आरोपी ने मृतका के राख को बोरे में भरकर नहर में डाल दिया। पुलिस ने पिता की शिकायत पर आरोपी बेटे के खिलाफ हत्या व सबूत मिटाने के आरोप में केस दर्ज कर लिया है। फरेंसिक टीम ने मौके से सबूत एकत्रित किए हैं। डीएसपी सज्जन सिंह ने बताया कि पत्नी को जलाने के दौरान आरोपी खुद भी झुलस गया था। इसके कारण वह एक अस्पताल में भर्ती है। अस्पताल से डिस्चार्ज होते ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
Online Betting : एनसीआर में खूब फल फूल रहा है ऑनलाइन सट्टे का अवैध का धंधा
भारत
चेतना मंच
01 Aug 2022 09:19 PM
राजकुमार चौधरी
New Delhi: नई दिल्ली। पाठकों ने अनेक बार सुना होगा सट्टे और जुए की लत किसी को भी बर्बाद कर सकती है। इसी ने दुनिया का सबसे बडा युद्ध महाभारत तक करा दिया था। अब यदि आपको ये पता चले कि सट्टा खेलना बहुत आसान हो गया है तो आप अवश्य चौंक जाएंगे। चौंकना स्वाभाविक भी है। एक तरफ हम अधिक शिक्षित और सफल हो रहे हैं तो दूसरी ओर सट्टे जैसे घटिया खेल को आसान बनाकर खेल रहे हैं। जी हां, एक दो नहीं लाखों घरों को बर्बाद करने वाला सट्टे का खेल अब बहुत ही आसान हो गया है। पहले तो कुछ लोग सट्टा लुक छिपकर यह अवैध धंधा चलाते थे और भोले भाले अनपढ़ लोगों को इसके जाल में फंसाकर बर्बाद कर देते थे। अब तो अपने आपको पढ़ा लिखा बताने वाले तथाकथित लोग बाकायदा इन्टरनेट की मदद से अपने फोन पर ही सट्टे का गंदा धंघा चला रहे हैं। इंटरनेट पर एक पूरा माफिया तंत्र सट्टे का कारोबार चला रहा है।
पुष्ट जानकारी के अनुसार सट्टा मटका ऑनलाइन एप(satta matka online app), रायल सट्टा(royal betting,), कल्याण सटटा एप (kalyan satta app) एवं सट्टा किंग (satta king) नामक एक दर्जन से अधिक ऑनलाइन एप इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। इन एप के जरिए कोई कहीं से भी बैठकर सट्टा खेल सकता है। बिना मेहनत के अधिक पैसा कमाने की चाह रखने वालों को अपने चंगुल में फंसाने के लिए एक सट्टा माफिया गिरोह एनसीआर में भी सक्रिय हैं। इस गिरोह के तार गांव गली तक भी जुड़ने लगे हैं। ये गिरोह पुलिस की आंखों में धूल झोंककर अपने कारोबार को दिन दूना रात चौगुना फैला रहा है।
बता दें कि आईपीसी और सीआरपीसी के तहत 1867 में सार्वजनिक जुआ अधिनियम पेश किया था। सट्टा खेलते समय पकड़े गए लोग जेल जा सकते हैं या जुर्माना भर सकते हैं। तकनीकी तौर पर हम जितने मजबूत हो रहे हैं, उसका एक पहलू ये भी है कि अब अपराध का तरीका भी तेजी से बदल रहा है। एनसीआर के कई इलाकों में इंटरनेट के जरिए सटटा खेलने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। इन दिनों सट्टा किंग जैसे एप लोगों को सट्टा खेलने की सुविधा मुहैया करा रहे हैं। खोड़ा कालोनी, गाजियाबाद के विजयनगर, सिंहानी गेट, भौपुरा, पसौंडा, इंदिरापुरम सहित कई इलाके हैं जहां सट्टा किंग सक्रिय हैं।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा, जेवर, दनकौर, जारचा में भी कई इलाके ऐसे हैं, जहां ये गिरोह सक्रिय हैं। हालांकि इस बारे में पुलिस के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि सच ये है कि सट्टे में लुटने के बाद कोई पीड़ित इसलिए भी पुलिस के पास शिकायत नहीं करता, क्योंकि उसे खुद मालूम है कि वह गुनहगार है। इसलिए इस तरह के गिरोह फल फूल रहे हैं। कैसे खेला जाता है सट्टा, सटटा किंग जैसे एप के लिंक सट्टेबाज गिरोह वा्टसएप ग्रुपों पर भेजते हैं। इस लिंक को सुबह और देर रात भेजा जा रहा है। क्योंकि यही वो समय होता है, जब आम आदमी अपने वाट्सएप को जरूर चेक करता है। जो सट्टा खेलने के इच्छुक होते हैं वो इस एप के जरिए गिरोह तक पहुंचकर पैसा लगाते हैं। और जीत व हार के इस खेल का हिस्सा बन जाते हैं। सौ रुपये से शुरू होकर जीत या हार की बाजी लाखों रुपये तक जाती है। जिन लोगों को इंटरनेट यूज करना नहीं आता है, उनके लिए माफिया के एजेंट मौजूद रहते हैं। ये एजेंट एक निर्धारित कोड वर्ड के साथ सट्टा खेलने के इच्छुक लोगों से संर्पक करते हैं। और उन्हीं के सामने एप पर पैसा लगाकर उन्हें इस खेल के धंधे में फंसा लेते हैं। ये पूरा अवैध कारोबार पुलिस की जानकारी में भी रहता है। तकनीकी तौर पर कमजोर हमारी पुलिस इस सट्टा माफिया का कुछ नहीं बिगाड़ पा रही है। हां कुछ पुलिस अधिकारी व कर्मचारी माफिया के एजेंटों को पहचानते भी हैं। उनसे सट्टे के राज उगलवाने की बजाय ये अधिकारी और कर्मचारी उनके फेंके हुए टुकडे निगलकर मजे कर रहे हैं।
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चेतना मंच
01 Aug 2022 09:19 PM
राजकुमार चौधरी
New Delhi: नई दिल्ली। पाठकों ने अनेक बार सुना होगा सट्टे और जुए की लत किसी को भी बर्बाद कर सकती है। इसी ने दुनिया का सबसे बडा युद्ध महाभारत तक करा दिया था। अब यदि आपको ये पता चले कि सट्टा खेलना बहुत आसान हो गया है तो आप अवश्य चौंक जाएंगे। चौंकना स्वाभाविक भी है। एक तरफ हम अधिक शिक्षित और सफल हो रहे हैं तो दूसरी ओर सट्टे जैसे घटिया खेल को आसान बनाकर खेल रहे हैं। जी हां, एक दो नहीं लाखों घरों को बर्बाद करने वाला सट्टे का खेल अब बहुत ही आसान हो गया है। पहले तो कुछ लोग सट्टा लुक छिपकर यह अवैध धंधा चलाते थे और भोले भाले अनपढ़ लोगों को इसके जाल में फंसाकर बर्बाद कर देते थे। अब तो अपने आपको पढ़ा लिखा बताने वाले तथाकथित लोग बाकायदा इन्टरनेट की मदद से अपने फोन पर ही सट्टे का गंदा धंघा चला रहे हैं। इंटरनेट पर एक पूरा माफिया तंत्र सट्टे का कारोबार चला रहा है।
पुष्ट जानकारी के अनुसार सट्टा मटका ऑनलाइन एप(satta matka online app), रायल सट्टा(royal betting,), कल्याण सटटा एप (kalyan satta app) एवं सट्टा किंग (satta king) नामक एक दर्जन से अधिक ऑनलाइन एप इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। इन एप के जरिए कोई कहीं से भी बैठकर सट्टा खेल सकता है। बिना मेहनत के अधिक पैसा कमाने की चाह रखने वालों को अपने चंगुल में फंसाने के लिए एक सट्टा माफिया गिरोह एनसीआर में भी सक्रिय हैं। इस गिरोह के तार गांव गली तक भी जुड़ने लगे हैं। ये गिरोह पुलिस की आंखों में धूल झोंककर अपने कारोबार को दिन दूना रात चौगुना फैला रहा है।
बता दें कि आईपीसी और सीआरपीसी के तहत 1867 में सार्वजनिक जुआ अधिनियम पेश किया था। सट्टा खेलते समय पकड़े गए लोग जेल जा सकते हैं या जुर्माना भर सकते हैं। तकनीकी तौर पर हम जितने मजबूत हो रहे हैं, उसका एक पहलू ये भी है कि अब अपराध का तरीका भी तेजी से बदल रहा है। एनसीआर के कई इलाकों में इंटरनेट के जरिए सटटा खेलने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। इन दिनों सट्टा किंग जैसे एप लोगों को सट्टा खेलने की सुविधा मुहैया करा रहे हैं। खोड़ा कालोनी, गाजियाबाद के विजयनगर, सिंहानी गेट, भौपुरा, पसौंडा, इंदिरापुरम सहित कई इलाके हैं जहां सट्टा किंग सक्रिय हैं।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा, जेवर, दनकौर, जारचा में भी कई इलाके ऐसे हैं, जहां ये गिरोह सक्रिय हैं। हालांकि इस बारे में पुलिस के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि सच ये है कि सट्टे में लुटने के बाद कोई पीड़ित इसलिए भी पुलिस के पास शिकायत नहीं करता, क्योंकि उसे खुद मालूम है कि वह गुनहगार है। इसलिए इस तरह के गिरोह फल फूल रहे हैं। कैसे खेला जाता है सट्टा, सटटा किंग जैसे एप के लिंक सट्टेबाज गिरोह वा्टसएप ग्रुपों पर भेजते हैं। इस लिंक को सुबह और देर रात भेजा जा रहा है। क्योंकि यही वो समय होता है, जब आम आदमी अपने वाट्सएप को जरूर चेक करता है। जो सट्टा खेलने के इच्छुक होते हैं वो इस एप के जरिए गिरोह तक पहुंचकर पैसा लगाते हैं। और जीत व हार के इस खेल का हिस्सा बन जाते हैं। सौ रुपये से शुरू होकर जीत या हार की बाजी लाखों रुपये तक जाती है। जिन लोगों को इंटरनेट यूज करना नहीं आता है, उनके लिए माफिया के एजेंट मौजूद रहते हैं। ये एजेंट एक निर्धारित कोड वर्ड के साथ सट्टा खेलने के इच्छुक लोगों से संर्पक करते हैं। और उन्हीं के सामने एप पर पैसा लगाकर उन्हें इस खेल के धंधे में फंसा लेते हैं। ये पूरा अवैध कारोबार पुलिस की जानकारी में भी रहता है। तकनीकी तौर पर कमजोर हमारी पुलिस इस सट्टा माफिया का कुछ नहीं बिगाड़ पा रही है। हां कुछ पुलिस अधिकारी व कर्मचारी माफिया के एजेंटों को पहचानते भी हैं। उनसे सट्टे के राज उगलवाने की बजाय ये अधिकारी और कर्मचारी उनके फेंके हुए टुकडे निगलकर मजे कर रहे हैं।
Teacher recruitment scam : कम नहीं हो रहीं पार्थ और अर्पिता की मुश्किलें, 8 बैंक खाते फ्रीज
भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 12:51 PM
Kolkata : कोलकाता। शिक्षक भर्ती घोटाले (Teacher recruitment scam) के आरोपी पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी (Former Minister Partha Chatterjee) और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) की जांच में जुटी ईडी ने शनिवार को दोनों से जुड़ी 8 कंपनियों के बैंक खाते (Bank account) को फ्रीज कर दिया है। पूछताछ के 7वें दिन पार्थ ने कहा कि उन्होंने नेताओं के कहने पर नौकरियां दीं। जानकारी के मुताबिक शनिवार को अर्पिता और पार्थ को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई। अर्पिता के घर 28 जुलाई को छापेमारी के दौरान करीब 28 करोड़ की नकदी मिली थी।
बताया जाता है कि अर्पिता के जिस फ्लैट से 22 करोड़ रुपये की नकदी मिली थी, उस सोसायटी में पार्थ ने अलग-अलग नामों से एक पेंटहाउस और दो फ्लैट्स खरीद रखे हैं। छापेमारी के बाद सोसायटी के ऐप से इन फ्लैट्स के बारे में जानकारी हटा दी गई है। एक मीडिया रिपोर्ट ने सोसायटी में रहने वाले लोगों के हवाले से बताया कि मकान के 19वीं और 20वीं मंजिल पर दो फ्लैट्स हैं, जबकि सबसे ऊपर पेंटहाउस बनाया गया है। निवासियों ने बताया कि पार्थ कभी-कभी इस पेंटहाउस में आते थे।
डायमंड सिटी और बीरभूम के करीब 15 ठिकानों पर ईडी छापेमारी की तैयारी में है। अब तक ईडी ने दो छापे में 50 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी बरामद की हैं। वहीं पूछताछ में अर्पिता ने कबूल किया कि सारा पैसा पार्थ का है।
संभावना जताई जा रही है कि जांच पूरी होने के बाद जल्द ही इस मामले में सीबीआई और आयकर विभाग की एंट्री हो सकती है। आयकर विभाग बेनामी संपत्ति के मामले में पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी से सवाल-जवाब कर सकता है। यह भी खबर है कि जो चार कारें गायब हैं, उनका अभी तक पता नहीं लगा है। अधिकारियों को शक है कि इन कारों में रुपये भरकर भेजे गए।
इस बीच, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पार्थ को हटाने से तृणमूल कांग्रेस में सबसे ज्यादा खुश अभिषेक बनर्जी और उनके कैंप के लोग हैं। जबकि पार्थ चटर्जी का कहना है कि मुझे साजिश के तहत फंसाया गया है। वक्त बताएगा कि मुझे हटाना गलत था या सही? ममता के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।
भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 12:51 PM
Kolkata : कोलकाता। शिक्षक भर्ती घोटाले (Teacher recruitment scam) के आरोपी पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी (Former Minister Partha Chatterjee) और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) की जांच में जुटी ईडी ने शनिवार को दोनों से जुड़ी 8 कंपनियों के बैंक खाते (Bank account) को फ्रीज कर दिया है। पूछताछ के 7वें दिन पार्थ ने कहा कि उन्होंने नेताओं के कहने पर नौकरियां दीं। जानकारी के मुताबिक शनिवार को अर्पिता और पार्थ को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई। अर्पिता के घर 28 जुलाई को छापेमारी के दौरान करीब 28 करोड़ की नकदी मिली थी।
बताया जाता है कि अर्पिता के जिस फ्लैट से 22 करोड़ रुपये की नकदी मिली थी, उस सोसायटी में पार्थ ने अलग-अलग नामों से एक पेंटहाउस और दो फ्लैट्स खरीद रखे हैं। छापेमारी के बाद सोसायटी के ऐप से इन फ्लैट्स के बारे में जानकारी हटा दी गई है। एक मीडिया रिपोर्ट ने सोसायटी में रहने वाले लोगों के हवाले से बताया कि मकान के 19वीं और 20वीं मंजिल पर दो फ्लैट्स हैं, जबकि सबसे ऊपर पेंटहाउस बनाया गया है। निवासियों ने बताया कि पार्थ कभी-कभी इस पेंटहाउस में आते थे।
डायमंड सिटी और बीरभूम के करीब 15 ठिकानों पर ईडी छापेमारी की तैयारी में है। अब तक ईडी ने दो छापे में 50 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी बरामद की हैं। वहीं पूछताछ में अर्पिता ने कबूल किया कि सारा पैसा पार्थ का है।
संभावना जताई जा रही है कि जांच पूरी होने के बाद जल्द ही इस मामले में सीबीआई और आयकर विभाग की एंट्री हो सकती है। आयकर विभाग बेनामी संपत्ति के मामले में पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी से सवाल-जवाब कर सकता है। यह भी खबर है कि जो चार कारें गायब हैं, उनका अभी तक पता नहीं लगा है। अधिकारियों को शक है कि इन कारों में रुपये भरकर भेजे गए।
इस बीच, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पार्थ को हटाने से तृणमूल कांग्रेस में सबसे ज्यादा खुश अभिषेक बनर्जी और उनके कैंप के लोग हैं। जबकि पार्थ चटर्जी का कहना है कि मुझे साजिश के तहत फंसाया गया है। वक्त बताएगा कि मुझे हटाना गलत था या सही? ममता के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।