Noida/ Greater Noida: नोएडा/ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले नोएडा शहर में ठगी होना आम बात है। यहां अनेक ऐसे ठग सक्रिय हैं जिन्होंने आम जनता को ठग कर हजारों करोड़ों रूपए कमाए हैं। हल ही में शहर में ठगी का एक और मामला प्रकाश में आया है। ठगी का ताजा मामला शहर की नामचीन कंपनी लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राईवेट लिमिटेड से जुड़ा हुआ है। इस कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने मात्र 9 मंजिल की हाईराइज सोसायटी में 16वीं मंजिल तक फ्लैट बेचकर करोड़ रूपए हड़प लिए हैं। आरोप है कि इस तथाकथित बिल्डर कंपनी ने हवा में फ्लैट बेचकर हजारों करोड़ों रूपये का ‘खेल’ खेला है। नोएडा प्राधिकरण ने कंपनी के प्रोजेक्ट को 9वीं मंजिल तक बनाने की अनुमति दी थी। किन्तु कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने 16वीं मंजिल तक हवा में ही फ्लैट बेच डाले जिन बेचारों ने फ्लैट खरीदे (बुकिंग की थी) थे वे अब बिल्डर कंपनी के मालिकों व अधिकारियों की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं।
इस मामले का खुलासा सेक्टर-20 थाने में दर्ज कराई गई एक एफआईआर से हुआ है। पुलिस बिल्डर कंपनी की ‘सेवा’ से प्रभावित होकर इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करना ही नहीं चाहती थी। ठगी का शिकार हुए आवंटी को अदालत का सहारा लेकर (धारा-156/3) रिपोर्ट दर्ज करानी पड़ी है।
अदालत के निर्देश पर सेक्टर-20 थाने में दर्ज हुई रिपोर्ट में कहा गया है कि नोएडा निवासी आकाश सिंह ने वर्ष 2014 में लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड में एक फ्लैट लेने के लिए निवेश किया था। बिल्डर ने ब्लॉसम ग्रीन प्रोजेक्ट में 16वें फ्लोर पर 990 वर्गफीट का फ्लैट बुक किया। जिसकी कीमत 40.59 लाख रुपये बताई गई थी। आकाश ने दो बार में 24.81 लाख रुपये बिल्डर के खाते में जमा कर दिए। बाद में पीडि़त को पता चला कि इस प्रोजेक्ट में नोएडा प्राधिकरण ने केवल 9 फ्लोर बनाने की अनुमति दी है। नौ वर्ष बीत जाने के बाद भी पीडि़त को फ्लैट नहीं मिला। उसने बिल्डर से रुपये की मांग की तो उसके साथ गाली-गलौज करते हुए मारपीट की गई। मामले की पुलिस से शिकायत की गई लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई। जिसके बाद आकाश ने अदालत से न्याय की गुहार लगाई। अदालत के निर्देश पर पुलिस ने मजबूरी में मामला दर्ज कर लिया है।
मामले में लॉजिक्स इंफ्राटेक प्रा.लि. के मालिक शक्ति नाथ उनकी पत्नी मीना नाथ, पुत्र विक्रम नाथ, कंपनी के मैनेजर करण इसरानी, मुकेश मोहन श्रीवास्तव एवं देवेद्र मोहन सक्सेना को ठग मानते हुए नामजद किया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज करके आगे की कार्यवाही करने का दावा किया है।
हवा में ठगी
पाठक शायद यकीन नहीं करेंगे किन्तु यह सच है कि नोएडा के कुछ बिल्डर हवा यानि खुले आकाश में भी ठगी की दुकान चला लेते हैं। यह मामला भी कुछ इसी प्रकार का है। मात्र 9वीं मंजिल तक बनने वाली बिल्डिंग के ऊपर केवल हवा में 7 मंजिल और बेच डाली गयी। यह ठगी 10-20 लाख रूपये की नहीं है, बल्कि सैकड़ों करोड़ रूपये की है।
पुलिस पर शक
क्या हवा में फ्लैट बेचने वाले ठगों के खिलाफ पुलिस कोई कार्यवाही कर पाएगी? यह एक बड़ा सवाल है। जिस पुलिस महकमें में एक पीडि़त की एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई है। भला उस पुलिस से कार्यवाही की क्या उम्मीद की जा सकती है। इस मामले के वादी अशोक कुमार एवं उनके अधिवक्ता भूपेन्द्र शर्मा एडवोकेट का कहना है कि उन्हें अपनी न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है। देर से ही सही उन्हें न्याय अवश्य मिलेगा।