MahaShivratri 2022 जानिए कब है महाशिवरात्रि, शुभ मुहूर्त, कैसे करें पूजा और क्या करें उपाय

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MahaShivratri 2022
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 04:11 AM
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MahaShivratri 2022  : महाशिवरात्रि (MahaShivratri 2022) का पर्व आने वाला है।  भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए यह पर्व बेहद ही (MahaShivratri 2022) खास है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का रूद्राभिषेक करने से हर मनोकामना पूरी होती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर दूध, चंदन, भस्म, भांग, धतूरा इत्यादि कई वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं। महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022 को मनाई जाएगी। ऐसे में जानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन कौन-कौन से उपाय करने से घर परिवार को खुशहाल बनाया जा सकता है।

MahaShivratri 2022

पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा था कि आप किस वस्तु से सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं तो भगवान शिव ने कहा था कि जो भक्त उनके लिए श्रद्धाभाव से व्रत करता है उनसे वो सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं। इस दिन श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शिवालयों में जलाभिषेक और पूजा अर्चना करते हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

MahaShivratri 2022 : महाशिवरात्रि 2022 मुहूर्त

निशीथ काल पूजा मुहूर्त- रात्रि 24:08:27 से 24:58:08 तक होगा। जिसकी कुल अवधि 0 घंटे 49 मिनट है। इसके अलावा महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त 2 मार्च को प्रातः 06:46:55 के बाद से है।

पूजन सामग्री वैसे तो महाशिवरात्रि के दिन की तैयारी पहले से ही हो जाती है। लेकिन अगर आप कुछ भी भूल रहें हैं तो हम आपको बता दें कि महाशिवरात्रि पर शिव जी का अभिषेक करने के लिए दूध, दही, चीनी, चावल और गंगाजल, बेलपत्र, फल, फूल, कच्चे चावल, सफेद तिल, खड़ा मूंग, जौ, सतुआ, धूपबत्ती, चन्दन, शहद, घी, इत्र, केसर, धतूरा, रुद्राक्ष, गन्ना या उसका रस और भस्म को पूजा की थाली में शामिल करें।

क्या नहीं चढ़ाए शिवलिंग पर शास्त्रों में वर्णन है कि भगवान शिव को कभी भी तुलसी पत्र अर्पित नहीं करने चाहिए। भगवान शिव को तुलसी अर्पित करने से वे अप्रसन्न हो जाते हैं। आजकल कुछ लोग पैकेट वाला दूध चढ़ाते हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए भले ही वह दूध से अभिषेक न करें। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि शिवलिंग पर ठंडा और गंगा जल मिला हुआ ही दूध ही चढ़ाएं। चंपा या केतली के फूल अर्पित न करें। इस दिन टूटे हुए चावल यानि खंडित अक्षत भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाएं। कटे-फटे बेल पत्र न चढ़ाएं। इसके साथ ही शिवलिंग पर कुमकुम का तिलक लगाना भी निषेध होता है। हालांकि माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति को कुमकुम का टीका लगाया जा सकता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं। इसलिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि पर करें ये उपाय – महाशिवरात्रि के दिन शिव का अभिषेक करने के बाद जलढ़री का जल घर ले आएं। इसके बाद ‘ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च’। इस मंत्र को बोलते हुए पूरे घर में इस पवित्र जल का छिड़काव करें। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहेगी।

– अगर बराबर घर में आपसी कलह-क्लेश, रोग या अन्य समस्याएं हैं तो उसे दूर करने के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा में रूद्राभिषेक करना शुभ होता है।

– अगर घर में किसी प्रकार का वास्तु दोष है, तो उसके निवारण के लिए घर के पूरब या उत्तर-पश्चिम दिशा में बेल का पेड़ लगाएं और उसमें जल दें। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन शाम के वक्त इसके नीचे घी का दीया जलाएं। ऐसा करने से घर का वास्तु दोष खत्म होता है।

– गृह क्लेश को दूर करने के लिए महाशिवरात्रि के दिन घर के उत्तर-पूर्व दिशा में शिवजी के परिवार की तस्वीर लगाएं। भगवान शिव, मां पार्वती, कार्तिकेय और गणेशजी की तस्वीर लगाने से घर में शांति का माहौल कायम रहता है। साथ ही परिवार के सदस्यों का विचार शुद्ध होता है।

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MahaShivratri 2022 जानिए कब है महाशिवरात्रि, शुभ मुहूर्त, कैसे करें पूजा और क्या करें उपाय

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MahaShivratri 2022  : महाशिवरात्रि (MahaShivratri 2022) का पर्व आने वाला है।  भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए यह पर्व बेहद ही (MahaShivratri 2022) खास है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का रूद्राभिषेक करने से हर मनोकामना पूरी होती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर दूध, चंदन, भस्म, भांग, धतूरा इत्यादि कई वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं। महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022 को मनाई जाएगी। ऐसे में जानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन कौन-कौन से उपाय करने से घर परिवार को खुशहाल बनाया जा सकता है।

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पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा था कि आप किस वस्तु से सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं तो भगवान शिव ने कहा था कि जो भक्त उनके लिए श्रद्धाभाव से व्रत करता है उनसे वो सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं। इस दिन श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शिवालयों में जलाभिषेक और पूजा अर्चना करते हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

MahaShivratri 2022 : महाशिवरात्रि 2022 मुहूर्त

निशीथ काल पूजा मुहूर्त- रात्रि 24:08:27 से 24:58:08 तक होगा। जिसकी कुल अवधि 0 घंटे 49 मिनट है। इसके अलावा महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त 2 मार्च को प्रातः 06:46:55 के बाद से है।

पूजन सामग्री वैसे तो महाशिवरात्रि के दिन की तैयारी पहले से ही हो जाती है। लेकिन अगर आप कुछ भी भूल रहें हैं तो हम आपको बता दें कि महाशिवरात्रि पर शिव जी का अभिषेक करने के लिए दूध, दही, चीनी, चावल और गंगाजल, बेलपत्र, फल, फूल, कच्चे चावल, सफेद तिल, खड़ा मूंग, जौ, सतुआ, धूपबत्ती, चन्दन, शहद, घी, इत्र, केसर, धतूरा, रुद्राक्ष, गन्ना या उसका रस और भस्म को पूजा की थाली में शामिल करें।

क्या नहीं चढ़ाए शिवलिंग पर शास्त्रों में वर्णन है कि भगवान शिव को कभी भी तुलसी पत्र अर्पित नहीं करने चाहिए। भगवान शिव को तुलसी अर्पित करने से वे अप्रसन्न हो जाते हैं। आजकल कुछ लोग पैकेट वाला दूध चढ़ाते हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए भले ही वह दूध से अभिषेक न करें। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि शिवलिंग पर ठंडा और गंगा जल मिला हुआ ही दूध ही चढ़ाएं। चंपा या केतली के फूल अर्पित न करें। इस दिन टूटे हुए चावल यानि खंडित अक्षत भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाएं। कटे-फटे बेल पत्र न चढ़ाएं। इसके साथ ही शिवलिंग पर कुमकुम का तिलक लगाना भी निषेध होता है। हालांकि माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति को कुमकुम का टीका लगाया जा सकता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं। इसलिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि पर करें ये उपाय – महाशिवरात्रि के दिन शिव का अभिषेक करने के बाद जलढ़री का जल घर ले आएं। इसके बाद ‘ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च’। इस मंत्र को बोलते हुए पूरे घर में इस पवित्र जल का छिड़काव करें। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहेगी।

– अगर बराबर घर में आपसी कलह-क्लेश, रोग या अन्य समस्याएं हैं तो उसे दूर करने के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा में रूद्राभिषेक करना शुभ होता है।

– अगर घर में किसी प्रकार का वास्तु दोष है, तो उसके निवारण के लिए घर के पूरब या उत्तर-पश्चिम दिशा में बेल का पेड़ लगाएं और उसमें जल दें। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन शाम के वक्त इसके नीचे घी का दीया जलाएं। ऐसा करने से घर का वास्तु दोष खत्म होता है।

– गृह क्लेश को दूर करने के लिए महाशिवरात्रि के दिन घर के उत्तर-पूर्व दिशा में शिवजी के परिवार की तस्वीर लगाएं। भगवान शिव, मां पार्वती, कार्तिकेय और गणेशजी की तस्वीर लगाने से घर में शांति का माहौल कायम रहता है। साथ ही परिवार के सदस्यों का विचार शुद्ध होता है।

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hanuman ji आखिर हनुमान जी की प्रतिमा का रंग सिंदूरी क्यों है, क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूरी चोला?

Lord hanuman ji
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locationभारत
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calendar22 Feb 2022 04:57 PM
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hanuman ji : कहते हैं कि यदि कोई काम न बन रहा हो तो हनुमान जी (hanuman ji) को प्रसन्न करें। हनुमान जी प्रसन्न होकर सभी बिगड़े (hanuman ji) काम बना देते हैं। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान श्रीराम के नाम का जाप करना सबसे सरल माध्यम है। जहां पर श्रीराम की कथा या उनके नाम का उच्चारण होता है, वहां पर हनुमान जी स्वयं ही चले आते हैं।

hanuman ji

आप सभी मंदिर में जाते हैं और हनुमान जी पर लाल सिंदूरी चोला चढ़ाते हैं। उनकी प्रतिमा का रंग भी सिंदूरी होता है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि हनुमान जी प्रतिमा सिंदूरी क्यों होती है। उन पर सिंदूरी चोला ही क्यों चढ़ाया जाता है।

हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने के लिए मंगलवार को तथा शनि महाराज की साढ़े साती, अढैया, दशा, अंतरदशा में कष्ट कम करने के लिए शनिवार को चोला चढ़ाया जाता है। हनुमान जी की प्रतिमा को सिंदूर का चोला चढ़ाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। हनुमान जी को सिंदूर लगाने से प्रतिमा का संरक्षण होता है। इससे प्रतिमा किसी प्रकार से खंडित नहीं होती और लंबे समय तक सुरक्षित रहती है।

पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार एकबार माता सीता अपने महल कक्ष में बैठी अपनी मांग में सिंदूर भर रही थी। उसी समय हनुमान जी भी वहां पहुंच गए। हनुमान जी ने माता सीता को अपनी मांग में सिंदूर भरते देखा तो उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने माता सीता से सवाल किया कि, माते ये क्या है और इसे आप क्यों लगा रही हैं? तब माता सीता ने उत्तर दिया कि ये सिंदूर है और इसे वें उपने स्वामी श्रीराम के लिए लगा रही हैं। ये उनके प्रेम व सौभाग्य का प्रतीक है। निश्छल मन और भोले स्वभाव के हनुमान जी प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त तो थे, उन्होंने सोचा अगर चुटकी भर सिंदूर श्रीराम को इतना प्रिय है तो अगर वे अपने पूरे शरीर को सिंदूर से आच्छादित कर लें तो प्रभु कितने प्रसन्न होंगे।

हनुमान जी के मन में आया कि अगर एक चुटकी सिंदूर प्रभु की आयु बढ़ा सकता है तो वे अपने पूरे शरीर पर ही सिंदूर लगा लेते हैं, इससे तो प्रभु अमर ही हो जाएंगे। ये सोचकर हनुमान जी ने पूरे शरीर को ही सिंदूर से रंग लिया। प्रभु श्रीराम ने जब हनुमान जी को इस अवस्था में देखा तो उनके आश्चर्य की सीमा न रही। श्रीराम को जब हनुमान जी के इस प्रकार से सिंदूर लगाने का कारण पता चला तो वे हनुमान जी के भोलेपन और उनके स्नेह के कायल हो गए। माना जाता है कि तभी से हनुमान जी को सिंदूर बहुत प्रिय है और इसीलिए उनकी मूर्ति लाल होती है या उसपर लाल रंग का सिंदूरी चोला चढ़ाया जाता है।

कैसे चढ़ाएं चोला

- मंगलवार के दिन हनुमानजी को चोला चढाएं। - चोला चढ़ाने के लिए चमेली के तेल का उपयोग करें। - - चोला चढ़ाते समय एक दीपक हनुमानजी के सामने जलाकर रखें। दीपक में भी चमेली के तेल का ही उपयोग करें। - हनुमान की प्रतिमा पर सिंदूर का चोला चढ़ाने जा रहे हैं तो पहले उनकी प्रतिमा को जल से स्नान कराएं। - सभी पूजा सामग्री अर्पण करें। इसके बाद मंत्र का उच्चारण करते हुए चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर या सीधे प्रतिमा पर हल्का सा देसी घी लगाकर उस पर सिंदूर का चोला चढ़ा दें। - चोले में चमेली के तेल में सिन्दूर मिलाकर प्रतिमा पर लेपन कर अच्‍छी तरह मलकर, रगड़कर चांदी या सोने का वर्क चढ़ाते हैं। - चोला चढ़ाने के दिन सात्विक जीवन, मानसिक एवं शारीरिक ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है। - चोला कभी भी एक या दो नहीं चढ़ाया जाता। चोला चढ़ाने के पहले संकल्प करना चाहिए। फिर 5, 11, 21, 51 या फिर 101 चोला (लगातार) चढ़ाना चाहिए। - ऐसा कहा जाता है कि 11 या 21 चोला चढ़ाने से हनुमान जी सभी मनोरथों को सिद्ध करते हैं। - चोला चढ़ाने के दिन बेहतर होगा कि उस मंदिर का सिंदूर तिलक आप ही बनाएं।