Ashadha Gupt Navratri 2023: शुरु हो रहे हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, इस दिन होगी घटस्थापना, जानें शुभ मुहूर्त 

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Ashadha Gupt Navratri 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 01:23 AM
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Ashadha Gupt Navratri 2023 (आचार्या राजरानी) आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ 19 जून 2023 को होगा। यह समय बेहद विशिष्ट होगा, क्योंकि इस समय देवी के उन दस स्वरुपों का पूजन होगा जो आगम निगम ग्रंथों के साथ तंत्र की विशिष्ट सिद्धि के स्वरुप हैं। वर्षभर में आने वाले सभी नवरात्रि देवी पूजन का महत्वपूर्ण समय होता है, किंतु इन चार नवरात्रि में भेद भी होता है, जिसे जान लेने उचित है। साल में आने वाले चार नवरात्रि में से दो नवरात्रि गृहस्थों के लिए बताए गए हैं तथा अन्य दो नवरात्रि को सिद्धि एवं तांत्रिक क्रियाओं के लिए विशिष्ट माना गया है। इन गुप्त नवरात्रि के समय भी घटस्थापना की जाती है तथा माता का आह्वान करने के उपरांत दस दिनों तक शक्ति पूजन चलता है।

Ashadha Gupt Navratri 2023

साल में आने वाले मुख्य नवरात्रि में माघ माह में आने वाले माघ गुप्त नवरात्रि, चैत्र माह में आने वाले चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ माह में आने वाले आषाढ़ गुप्त नवरात्रि और आश्विन माह में आने वाले शारदीय/अश्विन नवरात्रि प्रमुख हैं।

आषाढ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त

नवरात्रि के दौरान मनाए जाने वाले रीति-रिवाज और अनुष्ठान अनुसार ही आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का भी पूजन आरंभ होता है। घट स्थापना करने के साथ ही आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ हो जाता है। घट स्थापना नवरात्रि के दौरान महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है जिसके अनुसार देवी का आहवान होता है ओर देवी का निवास उस स्थन पर तब तक बना रहता है जब तक की पूजा संपूर्ण न हो जाए। अत: इस समय को बेहद शुद्धि के साथ पूर्ण करना होता है। यह अनुष्ठान दुर्गा पूजा की शुरुआत का प्रतीक है। शास्त्रों में घट स्थापना के लिए मुहूर्त, लग्न, नक्षत्र, योग इत्यादि का चयन करके इसका आरंभ होता है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना शुभ मुहूर्त समय

19 जून 2023 को सोमवार के दिन आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ होगा। घट स्थापना मुहूर्त के लिए शुभ समय सुबह 5:23 से लेकर 07:27 बजे तक का समय उपयुक्त होगा। इसकी अवधि लगभग अवधि 2 घंटे से कुछ अधिक की होगी। यदि इस समय पर घट स्थापना न कर पाएं तो अगला घट स्थापना अभिजित मुहूर्त के समय पर किया जा सकता है जिसका समय 11:55 से 12:50 बजे तक व्याप्त रहेगा। अभिजित मुहूर्त का चयन अपने स्थानीय समय के अनुसार भी कर सकते हैं।

घटस्थापना मुहूर्त शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि अनुसार होता है। घटस्थापना मुहूर्त में द्वि-स्वभाव मिथुन लग्न का प्रभाव व्याप्त रहने वाला है।

आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि का आरंभ - 18 जून, 2023 को 10:06 बजे से

आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि की समाप्ति - 19 जून, 2023 को 11:26 बजे

मिथुन लग्न का प्रारम्भ 19 जून 2023 को लगभग 5:23 बजे से होगा, मिथुन लग्न समाप्त 19 जून 2023 को सुबह 7:27 बजे होगा।

दस महाविद्याओं के नाम

गुप्त नवरात्रि के अवसर पर माँ महातारा, माँ मातंगी, माँ बग्लामुखी, माँ छिन्नमस्ता, माँ धूमावती, माँ महाकाली, माँ भुवनेश्वरी, माँ कमला, माँ भैरवी, माँ ललिता प्रमुख दशमहाविद्याएं हैं। जिनका पूजन गुप्त नवरात्रि पर विशेष रुप से होता है।

देवी पूजन का यह समय साधक को सिद्धियों को प्रदान करने वाला समय होता है। इस समय के दोरान शक्तिपीठों पर माता के पूजन की विशिष्ट व्यवस्था होती है। इसके साथ ही इस दौरान कई प्रकार के अनुष्ठान इत्यादि भी संपन्न होते हैं जिनके द्वारा भक्तों को देवी का आशिर्वाद प्राप्त होता है। नवरात्रि का पावन समय उन ऊर्जाओं के प्रवाह की समय अवधि है जब प्रकृति में बदलाव का समय होता है, जिनका प्रभाव आने वाले समय की रुपरेखा को दर्शाने वाला होता है।  Ashadha Gupt Navratri 2023

Jagannath Rath Yatra 2023 : 20 जून से आरंभ होगी जगन्नाथ यात्रा, पुरी की इस यात्रा का देश ओर विदेशों में होता है भव्य आयोजन

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Ashadha Gupt Navratri 2023: शुरु हो रहे हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, इस दिन होगी घटस्थापना, जानें शुभ मुहूर्त 

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Ashadha Gupt Navratri 2023 (आचार्या राजरानी) आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ 19 जून 2023 को होगा। यह समय बेहद विशिष्ट होगा, क्योंकि इस समय देवी के उन दस स्वरुपों का पूजन होगा जो आगम निगम ग्रंथों के साथ तंत्र की विशिष्ट सिद्धि के स्वरुप हैं। वर्षभर में आने वाले सभी नवरात्रि देवी पूजन का महत्वपूर्ण समय होता है, किंतु इन चार नवरात्रि में भेद भी होता है, जिसे जान लेने उचित है। साल में आने वाले चार नवरात्रि में से दो नवरात्रि गृहस्थों के लिए बताए गए हैं तथा अन्य दो नवरात्रि को सिद्धि एवं तांत्रिक क्रियाओं के लिए विशिष्ट माना गया है। इन गुप्त नवरात्रि के समय भी घटस्थापना की जाती है तथा माता का आह्वान करने के उपरांत दस दिनों तक शक्ति पूजन चलता है।

Ashadha Gupt Navratri 2023

साल में आने वाले मुख्य नवरात्रि में माघ माह में आने वाले माघ गुप्त नवरात्रि, चैत्र माह में आने वाले चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ माह में आने वाले आषाढ़ गुप्त नवरात्रि और आश्विन माह में आने वाले शारदीय/अश्विन नवरात्रि प्रमुख हैं।

आषाढ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त

नवरात्रि के दौरान मनाए जाने वाले रीति-रिवाज और अनुष्ठान अनुसार ही आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का भी पूजन आरंभ होता है। घट स्थापना करने के साथ ही आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ हो जाता है। घट स्थापना नवरात्रि के दौरान महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है जिसके अनुसार देवी का आहवान होता है ओर देवी का निवास उस स्थन पर तब तक बना रहता है जब तक की पूजा संपूर्ण न हो जाए। अत: इस समय को बेहद शुद्धि के साथ पूर्ण करना होता है। यह अनुष्ठान दुर्गा पूजा की शुरुआत का प्रतीक है। शास्त्रों में घट स्थापना के लिए मुहूर्त, लग्न, नक्षत्र, योग इत्यादि का चयन करके इसका आरंभ होता है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना शुभ मुहूर्त समय

19 जून 2023 को सोमवार के दिन आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ होगा। घट स्थापना मुहूर्त के लिए शुभ समय सुबह 5:23 से लेकर 07:27 बजे तक का समय उपयुक्त होगा। इसकी अवधि लगभग अवधि 2 घंटे से कुछ अधिक की होगी। यदि इस समय पर घट स्थापना न कर पाएं तो अगला घट स्थापना अभिजित मुहूर्त के समय पर किया जा सकता है जिसका समय 11:55 से 12:50 बजे तक व्याप्त रहेगा। अभिजित मुहूर्त का चयन अपने स्थानीय समय के अनुसार भी कर सकते हैं।

घटस्थापना मुहूर्त शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि अनुसार होता है। घटस्थापना मुहूर्त में द्वि-स्वभाव मिथुन लग्न का प्रभाव व्याप्त रहने वाला है।

आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि का आरंभ - 18 जून, 2023 को 10:06 बजे से

आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि की समाप्ति - 19 जून, 2023 को 11:26 बजे

मिथुन लग्न का प्रारम्भ 19 जून 2023 को लगभग 5:23 बजे से होगा, मिथुन लग्न समाप्त 19 जून 2023 को सुबह 7:27 बजे होगा।

दस महाविद्याओं के नाम

गुप्त नवरात्रि के अवसर पर माँ महातारा, माँ मातंगी, माँ बग्लामुखी, माँ छिन्नमस्ता, माँ धूमावती, माँ महाकाली, माँ भुवनेश्वरी, माँ कमला, माँ भैरवी, माँ ललिता प्रमुख दशमहाविद्याएं हैं। जिनका पूजन गुप्त नवरात्रि पर विशेष रुप से होता है।

देवी पूजन का यह समय साधक को सिद्धियों को प्रदान करने वाला समय होता है। इस समय के दोरान शक्तिपीठों पर माता के पूजन की विशिष्ट व्यवस्था होती है। इसके साथ ही इस दौरान कई प्रकार के अनुष्ठान इत्यादि भी संपन्न होते हैं जिनके द्वारा भक्तों को देवी का आशिर्वाद प्राप्त होता है। नवरात्रि का पावन समय उन ऊर्जाओं के प्रवाह की समय अवधि है जब प्रकृति में बदलाव का समय होता है, जिनका प्रभाव आने वाले समय की रुपरेखा को दर्शाने वाला होता है।  Ashadha Gupt Navratri 2023

Jagannath Rath Yatra 2023 : 20 जून से आरंभ होगी जगन्नाथ यात्रा, पुरी की इस यात्रा का देश ओर विदेशों में होता है भव्य आयोजन

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Jagannath Rath Yatra 2023 : 20 जून से आरंभ होगी जगन्नाथ यात्रा, पुरी की इस यात्रा का देश ओर विदेशों में होता है भव्य आयोजन  

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Jagannath Rath Yatra 2023
locationभारत
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calendar16 Jun 2023 09:15 PM
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Jagannath Rath Yatra 2023 : (आचार्या राजरानी) भारत में पुरी में स्थिति भगवान जगन्नाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध स्थलों में से एक है, जहां हर साल यात्रा का आयोजन होता है। इस यात्रा को जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा के नाम से जाना जाता है। आषाढ़ मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से इस यात्रा का आरंभ होता है। 20 जून 2023 को जगन्नाथ पुरी की यात्रा का आरंभ होगा। मंगलवार से इस यात्रा का आयोजन आरंभ होगा, जिसमें देशभर से लोग इसमें शामिल होंगे।

Jagannath Rath Yatra 2023

उड़ीसा में मनाए जाने वाले आध्यात्मिक आयोजन का यह एक अत्यंत विशाल रुप होता है जहां देश और विदेश से लोग इसमें शामिल होने के लिए आते हैं। यह आध्यात्मिक रुप से बहउत ही पवित्र एवं शानदार समय होता है जब सारा माहौल भक्तिमय दिखाई देता है। इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिए हर साल बड़ी संख्या में भक्त पुरी में आते हैं। यह त्योहार नौ दिनों तक बहुत भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

देश विदेश में देखी जाती सकती है इसकी भव्यता

पुरी की जगन्नाथ का आयोजन भारत में तो होता ही है लेकिन इसका आयोजन विदेशों में भी देखने को मिल सकता है। विदेशों में रह रहे भक्त इस यात्रा को वहां भी आयोजित करते देखे जा सकते हैं। अमेरिका में इस यात्रा को देखा जा सकता है। इस्कान की ओर से इस यात्रा को भी किया जाता है।

जगन्नाथ मंदिर के प्रमुख तथ्य

दुनियाभर में जगन्नाथ मंदिर की अपनी एक अलग विशेषता है। इस मंदिर से जुड़े अनेक रहस्य आज भी चौंकाने वाले हैं। रहस्यों की पहेली आज भी सुलझती दिखाई देती है। भगवान जगन्नाथ का भव्य मंदिर धार्मिक एवं आध्यात्मिक पक्ष से जुड़े लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा है। इसके अलावा विज्ञान भी इसमें रुचि लेते देखा जा सकता है। भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक पुरी का यह मंदिर श्री विष्णु जी के प्रमुख धार्मिक स्थलों में विशिष्ट रहा है। इस मंदिर से संबंधित कथाओं में हम इसकी भव्यता और आलौकिक रुप को जान सकते हैं।

आम जनमानस से लेकर सभी के लिए यह स्थान बेहद चमत्कारिक स्थान रहा है। यहां आकर भक्तों के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। चिंताएं यहां आने पर स्वत: ही दूर हो जाती हैं। यह एक सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है, जहां पर आस्था के अनेक रुप भी देखने को मिलते हैं। इस धाम में हर साल होने वाला पर्व भी दुनिया को इसकी ओर आकर्षित करने वाला होता है। इस पर्व के दौरान पवित्र धाम पर लाखों लोग रथ यात्रा में पहुंचते हैं, ओर जो भी रथ को खिंच पाता है वह अपने आप को धन्य मता है और भगवान की कृपा से जुड़ा अनुभव करता है।

भाई बहन के साथ करते हैं भगवान यात्रा

भगवान जगन्नाथ की यात्रा का आरंभ तीन रथों से होता है। इन रथों में जगन्नाथ जी के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा विराजमान होते हैं। सभी मूर्तियों को रथ में ले जाया जाता है। इस यात्रा के आयोजन से पूर्व कई प्रकार की धार्मिक रस्मों को किया जाता है। रथ यात्रा पूरे भारत में काफी लोकप्रिय है इस का महत्व हर मायने में विशेष है।

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा आषाढ़ मास में मनाई जाती है यही वह समय होता है तब महाविद्याओं का पूजन भी होता है। इस यात्रा में तीन देवता शामिल हैं और इस यात्रा को गुडिया मंदिर तक ले जाया जाता है जो जगन्नाथ मंदिर से लगभग दो किलोमीटर दूर स्थित है। यह यात्रा नौ दिनों की महत्वपुर्ण यात्रा होती है जिसमें रथ को नौवें दिन वापस मंदिर की ओर लाया जाता हैं इस अवधि के दौरान नौ दिनों तक भगवान कृष्ण, बलराम और देवी सुभद्रा की पूजा लगातार जारी रहती है। Jagannath Rath Yatra 2023

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