Chhattisgarh: माओवादी हमले में शहीद पुलिसकर्मियों को वीरता पुरस्कार, परिवार के लिए गर्व का मौका

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जब छत्तीसगढ़ पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) यूनिट के हेड कांस्टेबल नारायण सोढ़ी 2021 में बीजापुर जिले में माओवादियों द्वारा घात लगाकर किये गये हमले में शहीद हुए तब नारायण सोढ़ी महज 17 साल के थे। दो और पुलिस कर्मियों उपनिरीक्षक दीपक भारद्वाज एवं हेड कांस्टेबल श्रवण कश्यप को भी नक्सलियों के साथ संघर्ष में अदम्य साहस प्रदर्शित करने के लिए कीर्ति चक्र से नवाजा गया है। ये दोनों भी उसी हमले में शहीद हुए थे। शिवाजी सोढ़ी ने कहा कि मेरे पिता मेरे नायक हैं और मुझे गर्व महसूस होता है। मैंने अन्य प्रशिक्षुओं एवं दोस्तों को यह खबर दी। नारायण सोढ़ी बीजापुर जिले के अवापल्ली क्षेत्र के पूनुर गांव के निवासी थे । उनका परिवार फिलहाल बीजापुर शहर में रहता है। वह पांच बेटों में सबसे बड़ी संतान थे और उनके तीन भाई भी बीजापुर में पुलिस में अपनी सेवा दे रहे हैं। शिवाजी सोढ़ी ने कहा कि अपने पिता एवं चाचा की तरह मैं भी सदैव पुलिसकर्मी बनना चाहता था और अपनी मातृभूमि बस्तर की सेवा करना चाहता था। उसकी बड़ी बहन 22 वर्षीय सुक्रिया ने बताया कि उसके पास शुक्रवार को एक स्थानीय पत्रकार से पुरस्कार की घोषणा का फोन आया था। सुक्रिया ने कहा कि वैसे कोई भी पुरस्कार मेरे पिता की शहादत से बड़ा नहीं हो सकता लेकिन पूरा परिवार इस बात से खुश है कि बस्तर के लाल को उसके बलिदान को लेकर ऐसा सम्मान मिला है। विज्ञान स्नातक की पढ़ाई कर रही सुक्रिया ने कहा कि उसकी मां पेट रोग के कारण अस्वस्थ रहती हैं और वह 26 जनवरी को इलाज के लिए चेन्नई गयीं। उपनिरीक्षक दीपक भारद्वाज का परिवार भी इस वीरता पुरस्कार के बारे में मिली जानकारी के बाद बेहद प्रसन्न है। उनके पिता सरकारी विद्यालय के शिक्षक राधेलाल ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि मैं एक शहीद का पिता हूं। मैं उसके लिए आंसू नहीं बहाता हूं क्योंकि उसने जो किया है उसके लिए साहस एवं पराक्रम की जरूरत है। यह वाकई मेरे और पूरे गांव के लिए गर्व का पल है। भारद्वाज परिवार नवगठित जिले शक्ति के पिहरीड गांव में रहता है। दीपक भारद्वाज 2013 में पुलिस में शामिल हुए थे और 2020 में उनकी शादी हुई थी। इस दंपति की कोई संतान नहीं है। राधेलाल ने कहा कि दीपक की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी मायके चली गयी और फिर उसने हमसे कभी संपर्क नहीं किया। र्कीति चक्र पुरस्कार से अन्य सम्मानित पुलिसकर्मी श्रवण कश्यप बस्तर जिले के नागरनार क्षेत्र के बनियागांव के थे। ये तीनों उन 22 सुरक्षाकर्मियों में शामिल थे जो तीन अप्रैल, 2021 को बीजापुर जिले में जोनागुडा और तेकुलगुदेम गांवों के बीच माओवादियों द्वारा घात लगाकर किये गये हमले में शहीद हुए। पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने बताया कि यह सम्मान उन हजारों वीर सिपाहियों के लिए पथप्रदर्शक का काम करेगा जो नक्सलियों के साथ लोहा ले रहे हैं और बस्तर क्षेत्र की शांति एवं विकास के लिए कटिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम इस घटना में अपने बहादुर सिपाहियों को गंवा बैठे लेकिन उनके वीरतापूर्ण कृत्य को उन्हें मरणोपारांत र्कीर्ति चक्र देकर एक पहचान दी गयी है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार हुआ है कि डीआरजी कर्मियों को उनके बलिदान के लिए मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया है।Noida News : नोएडा में फिर गूंजा श्रीकांत त्यागी प्रकरण
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जब छत्तीसगढ़ पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) यूनिट के हेड कांस्टेबल नारायण सोढ़ी 2021 में बीजापुर जिले में माओवादियों द्वारा घात लगाकर किये गये हमले में शहीद हुए तब नारायण सोढ़ी महज 17 साल के थे। दो और पुलिस कर्मियों उपनिरीक्षक दीपक भारद्वाज एवं हेड कांस्टेबल श्रवण कश्यप को भी नक्सलियों के साथ संघर्ष में अदम्य साहस प्रदर्शित करने के लिए कीर्ति चक्र से नवाजा गया है। ये दोनों भी उसी हमले में शहीद हुए थे। शिवाजी सोढ़ी ने कहा कि मेरे पिता मेरे नायक हैं और मुझे गर्व महसूस होता है। मैंने अन्य प्रशिक्षुओं एवं दोस्तों को यह खबर दी। नारायण सोढ़ी बीजापुर जिले के अवापल्ली क्षेत्र के पूनुर गांव के निवासी थे । उनका परिवार फिलहाल बीजापुर शहर में रहता है। वह पांच बेटों में सबसे बड़ी संतान थे और उनके तीन भाई भी बीजापुर में पुलिस में अपनी सेवा दे रहे हैं। शिवाजी सोढ़ी ने कहा कि अपने पिता एवं चाचा की तरह मैं भी सदैव पुलिसकर्मी बनना चाहता था और अपनी मातृभूमि बस्तर की सेवा करना चाहता था। उसकी बड़ी बहन 22 वर्षीय सुक्रिया ने बताया कि उसके पास शुक्रवार को एक स्थानीय पत्रकार से पुरस्कार की घोषणा का फोन आया था। सुक्रिया ने कहा कि वैसे कोई भी पुरस्कार मेरे पिता की शहादत से बड़ा नहीं हो सकता लेकिन पूरा परिवार इस बात से खुश है कि बस्तर के लाल को उसके बलिदान को लेकर ऐसा सम्मान मिला है। विज्ञान स्नातक की पढ़ाई कर रही सुक्रिया ने कहा कि उसकी मां पेट रोग के कारण अस्वस्थ रहती हैं और वह 26 जनवरी को इलाज के लिए चेन्नई गयीं। उपनिरीक्षक दीपक भारद्वाज का परिवार भी इस वीरता पुरस्कार के बारे में मिली जानकारी के बाद बेहद प्रसन्न है। उनके पिता सरकारी विद्यालय के शिक्षक राधेलाल ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि मैं एक शहीद का पिता हूं। मैं उसके लिए आंसू नहीं बहाता हूं क्योंकि उसने जो किया है उसके लिए साहस एवं पराक्रम की जरूरत है। यह वाकई मेरे और पूरे गांव के लिए गर्व का पल है। भारद्वाज परिवार नवगठित जिले शक्ति के पिहरीड गांव में रहता है। दीपक भारद्वाज 2013 में पुलिस में शामिल हुए थे और 2020 में उनकी शादी हुई थी। इस दंपति की कोई संतान नहीं है। राधेलाल ने कहा कि दीपक की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी मायके चली गयी और फिर उसने हमसे कभी संपर्क नहीं किया। र्कीति चक्र पुरस्कार से अन्य सम्मानित पुलिसकर्मी श्रवण कश्यप बस्तर जिले के नागरनार क्षेत्र के बनियागांव के थे। ये तीनों उन 22 सुरक्षाकर्मियों में शामिल थे जो तीन अप्रैल, 2021 को बीजापुर जिले में जोनागुडा और तेकुलगुदेम गांवों के बीच माओवादियों द्वारा घात लगाकर किये गये हमले में शहीद हुए। पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने बताया कि यह सम्मान उन हजारों वीर सिपाहियों के लिए पथप्रदर्शक का काम करेगा जो नक्सलियों के साथ लोहा ले रहे हैं और बस्तर क्षेत्र की शांति एवं विकास के लिए कटिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम इस घटना में अपने बहादुर सिपाहियों को गंवा बैठे लेकिन उनके वीरतापूर्ण कृत्य को उन्हें मरणोपारांत र्कीर्ति चक्र देकर एक पहचान दी गयी है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार हुआ है कि डीआरजी कर्मियों को उनके बलिदान के लिए मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया है।Noida News : नोएडा में फिर गूंजा श्रीकांत त्यागी प्रकरण
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