Rajya Sabha: एससी, एसटी के लिए कल्याण बजट बढ़ोत्तरी क्यों नहीं ?

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userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 01:49 PM
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Rajya Sabha:  राज्यसभा में मंगलवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के समुदायों के विकास के लिए विभिन्न सुझाव देते हुए उनके कल्याण पर बजटीय प्रावधान में पर्याप्त वृद्धि करने तथा सरकारी नौकरियों में इन समुदायों के खाली पड़े आरक्षित पदों को तुरंत भरे जाने की मांग की।

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उच्च सदन में संविधान (अनुसूचति जातियां एवं जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने जाति आधारित जनगणना कराने की मांग भी उठाई।

कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि इस विधेयक के कुछ प्रावधानों को राज्य के कुछ जिलों में ही लागू किया जाएगा। उन्होंने प्रश्न किया कि क्या सरकार यह मानती है कि अनुसूचित जनजाति के लोग कुछ ही जिलों में रहते हैं। उन्होंने जानना चाहा कि इसे पूरे राज्य में क्यों नहीं लागू किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इसमें राज्य की उन कुछ जातियों को क्यों छोड़ दिया गया है जबकि उन जातियों के लिए उन्हें अनुसूचित जाति एवं जनजाति में शामिल करवाने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार जातियों को एससी एवं एसटी सूची में शामिल करने के लिए कानून तो बनाती हैं किंतु इन समुदायों के लिए बजट में राशि नहीं बढ़ाती है।

तिवारी ने कहा, ‘‘भाजपा हमारी विरोधी है। उन्हें बताना चाहिए कि किस भाजपा शासित प्रदेश में ब्राह्मण मुख्यमंत्री है? किस राज्य में जाट मुख्यमंत्री है?’’ उन्होंने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है।

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का नाम लिये बिना कहा, ‘‘आपका (भाजपा का) एक मातृ संगठन है, जहां एक शिविर हुआ था। उस संगठन के अध्यक्ष ने कहा था कि आरक्षण पर फिर से विचार होना चाहिए।’’

कांग्रेस सदस्य ने दावा किया कि भाजपा आरक्षण नहीं देना चाहती किंतु उसका इतना ‘‘बूता’’ भी नहीं है कि वह संविधान से आरक्षण का प्रावधान समाप्त कर दे।

उन्होंने उत्तर प्रदेश के सोनभद्र एवं हाथरस में जाति विशेष के सदस्यों के साथ हुए अत्याचार की घटनाओं का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि इस सरकार ने एससी और एसटी के सब प्लान को समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी की सरकार के शासनकाल में इन समुदायों की आबादी के अनुपात में बजट की जो व्यवस्था की गयी थी, उसको फिर से कब लागू किया जाएगा।

तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन ने कहा कि सरकार के आम बजट में एससी एवं एसटी के लिए विभिन्न योजनाओं में भारी कटौती की गयी है। उन्होंने देश में एससी एवं एसटी की साक्षरता स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि एससी में पुरुषों की साक्षरता दर 75 प्रतिशत एवं महिलाओं की 68 प्रतिशत है जबकि एसटी समुदाय में पुरुषों में यह 56 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय साक्षरता की तुलना में पश्चिम बंगाल में एससी एवं एसटी की साक्षरता दर बहुत अधिक है।

उन्होंने कहा कि जिस दिन वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था उसी दिन उनके पैतृक गांव में बिजली का खंभा लगाया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘यह आपका (सरकार का) अनुसूचित जनजाति के बारे में प्रेम दिखाता है।’’

सेन ने कहा कि वह इस विधेयक का समर्थन करते हैं किंतु इसके माध्यम से जो सांकेतिकता है, उसका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार सबके विकास का नारा देती है किंतु विकास कुछ ही लोगों का करती है।

उन्होंने कहा कि सरकार एससी एवं एसटी समुदाय के लिए घड़ियाली आंसू बहाना बंद करके इन लोगों के मुद्दों पर सकारात्मक सोच के साथ काम करना चाहिए।

बाद में भाजपा के जीवीएल नरसिम्हा राव ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि किसी भी चर्चा में अपनी बात को साबित करने के लिए किसी सदस्य द्वारा राष्ट्रपति के नाम का उपयोग नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा कि तृणमूल सदस्य ने राष्ट्रपति का जो हवाला दिया है, उसे सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाना चाहिए। इस पर पीठासीन उपाध्यक्ष तिरूचि शिवा ने कहा कि वह रिकार्ड देखने के बाद कोई निर्णय करेंगे।

बीजू जनता दल के निरंजन बिशी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि गोंड़ आदिवासी अन्य राज्यों में अनुसूचित जनजाति में आते हैं किंतु उत्तर प्रदेश के चार जिलों में रहने वाले इस समुदाय के लोगों को एससी समुदाय में रखा गया था। उन्हें इस विधेयक के माध्यम से उन्हें भी एसटी समुदाय में रखने का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने ओडिशा सरकार द्वारा कुछ समुदायों को एसटी सूची में डालने की सिफारिशों पर अमल करने के लिए केंद्र सरकार से समुचित कदम उठाने के लिए कहा।

वाईएसआर कांग्रेस के सुभाष चंद्र पिल्ली ने कहा कि भारत में आदिवासी समुदायों को समुचित पहचान नहीं मिली है और उम्मीद जतायी कि इस विधेयक के प्रावधानों से संबंधित समुदाय को उचित पहचान मिलेगी।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वी के शिवदासन ने विधेयक के प्रावधानों का स्वागत करते हुए कहा कि देश में आदिवासी समुदायों को समुचित आर्थिक सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी में एससी एवं एसटी के लिए निर्धारित पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं जिन्हें तुरंत भरे जाने की आवश्यकता है।

बहुजन समाज पार्टी के रामजी ने विधेयक का समर्थन करते हुए उत्तर प्रदेश के कुछ समुदायों की यह लंबे समय से मांग थी कि उन्हें अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया जाए। उन्होंने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ समुदायों को आदिवासी सूची में शामिल करने की मांग की।

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भाजपा की सुमित्रा बाल्मिक ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार दलितों और जनजातीय सहित सभी वर्गों के सर्वांगीण विकास की दिशा में काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद लंबे समय तक दलितों और जनजातीय समुदाय को मूलभुत सुविधाओं से वंचित रखा गया और उनके साथ अन्याय किया गया लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद पिछले आठ सालों से उनकी उन्नति की दिशा में कई ठोस प्रयास किए गए हैं।

तेलंगाना राष्ट्र समिति के वी लिंगैयाह यादव ने कहा कि तेलंगाना की सरकार अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए कई सारी योजनाएं चला रही है और केंद्र सरकार वास्तव में उनका कल्याण चाहती है तो उन योजनाओं का राष्ट्रीय स्तर पर लागू करे।

राष्ट्रीय जनता दल के मनोज यादव ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने इन पिछड़े वर्ग के लोगों को दी जा रही फेलोशिप की योजनाओं को समाप्त कर दिया है और इससे यह वर्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अदालत ने आरक्षण की सीमा का समाप्त कर दिया है लिहाजा उसे अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 52 प्रतिशत तक कर देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना पर भाजपा सहित बिहार में सभी दलों में सहमति है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा इसके पक्ष में नहीं है। उन्होंने जाति आधारित जनगणना कराने और उसके आंकड़े जल्द से जल्द सार्वजनिक करने की मांग की।

जनता दल यूनाईटेड के खीरू महतो ने भी इस विधेयक का समर्थन किया और झारखंड, पश्चिम बंगाल तथा ओड़िशा के कुर्मी समुदाय के लोगों को जनजातीय श्रेणी में स्थान दिए जाने की मांग की।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संदोष कुमार पी ने कहा कि जनजातीय वर्ग की सूची में कुछ जाति वर्ग के लोगों को शामिल करने से उनकी समस्या का संपूर्ण समाधान नहीं होगा। उन्होंने भी जाति आधारित जनगणना की आवश्यकता पर बल दिया।

भाजपा के समीर उरांव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आजादी के बाद की सरकारों ने दलितों और जनजातीय वर्ग की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के प्रयासों की वजह से आज इन वर्गो का सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास हो रहा है।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के एम षणमुगम ने विधेयक का समर्थन करते हुए जाति आधारित जनगणना की पुरजोर वकालत की।

तेलुगु देशम पार्टी के कनकमेदला रवींद्र कुमार ने भी कहा कि सिर्फ जनजातीय दर्जा दे देने से उनके जीवन में सुधार नहीं होगा। सरकार को उनके सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक संसाधनों को उपलब्ध कराना होगा।

भाजपा के अजय प्रताप सिंह ने कहा कि देश के सभी हिस्सों में कई ऐसी जातियां हैं जो एक साथ रहती हैं और उनके खान पान से लेकर शादी विवाह तक में समानताएं हैं। उन्होंने ऐसे सभी वर्गों को एक छतरी के नीचे लाने और उन्हें एक जैसी आरक्षण सुविधा प्रदान करने का अनुरोध किया।

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Kashmir News: कश्मीर से पलायन करने वालों को 2,693 नौकरियां दी गयीं

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Kashmir News:
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calendar01 Dec 2025 05:08 PM
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Kashmir News: नई दिल्ली। प्रधानमंत्री के विकास पैकेज (पीएमडीपी) 2015 के तहत कश्मीर से पलायन करने वाले लोगों को 2,693 सरकारी नौकरियां प्रदान की गयी हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में मंगलवार को यह जानकारी दी।

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उन्होंने बताया कि सरकार ने कश्मीरी प्रवासी कर्मचारियों के लिए 6,000 ट्रांजिट आवासों के निर्माण को भी मंजूरी दी है जो घाटी में जम्मू कश्मीर सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं या कार्य करेंगे। राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, पीएमडीपी, 2015 के तहत कश्मीरी प्रवासियों को 2,693 सरकारी नौकरियां दी गयी हैं। मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार ने कश्मीरी प्रवासियों की शिकायतों पर ध्यान देने के लिए 7 सितंबर, 2021 को एक पोर्टल की शुरुआत की थी।

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Tawang clash: जानिए तवांग झड़प पर क्या बोले लेफ्टिनेंट जनरल सी बी पोनप्पा

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calendar29 Nov 2025 11:14 AM
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Tawang clash: अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के कुछ दिनों बाद सेना के एडजुटेंट जनरल लेफ्टिनेंट जनरल सी बी पोनप्पा ने मंगलवार को कहा कि सब कुछ ठीक है और नियंत्रण में है।

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भारतीय सेना ने सोमवार को कहा था कि नौ दिसंबर को झड़प होने के कारण ‘‘दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आईं।’’ झड़प के बाद की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर लेफ्टिनेंट जनरल पोनप्पा ने एक कार्यक्रम से इतर ‘भाषा’ से कहा, ‘‘सब ठीक है और नियंत्रण में है। हम सब सुरक्षित हैं।’’

उन्होंने सलवान पब्लिक स्कूल के वार्षिक समारोह ‘सम्मान दिवस’ में छात्रों को संबोधित किया। ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले भारतीय सेना के जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल पोनप्पा ने छात्रों से कहा, ‘‘सेना प्रमुख की ओर से आप सभी के साथ जुड़ना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। हम आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। आज हमारे उन सैनिकों को सम्मानित करने का अवसर है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी।’’

इस कार्यक्रम में सलवान एजुकेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) संजीव शुक्ला ने कहा, ‘‘जैसा कि आप सभी जानते हैं कि चीनी सेना के साथ सीमा पर क्या हुआ, इसलिए हमारे सेना प्रमुख तय कार्यक्रम के बावजूद यहां नहीं आ सके।’’

उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना को करारा जवाब दिया है। शुक्ला ने कहा, ‘‘हमने उन्हें उस जमीन से खदेड़ दिया, जिसे वे हड़पना चाहते थे। सीमाओं पर हमारे सबसे बहादुर सैनिक हैं और जब तक वे वहां हैं, तब तक हम चैन से सो सकते हैं।’’

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