रालोद ने तेज की लोकसभा चुनाव की तैयारियाँ , दो मण्डलों व 8 ज़िलों में बनाए नए अध्यक्ष

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calendar30 Nov 2025 07:16 PM
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) ने अपनी पार्टी के संगठन को चाक चौबंद करना शुरू कर दिया है। रालोद मुखिया जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। इसी कड़ी में पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अपने दो मंडलों व 8 जिलों में नए अध्यक्षों की तैनाती कर दी है। पार्टी प्रवक्ता ने बताया कि पार्टी ने मेरठ व सहारनपुर मंडलों में अपने नए अध्यक्ष तैनात किए है। मेरठ मंडल का अध्यक्ष इंद्रवीर सिंह भाटी को व सहारनपुर मंडल का अध्यक्ष प्रभात तोमर को बनाया गया है। इसी कड़ी में 8 नए जिलाध्यक्ष भी तैनात किए गए हैं। जिसमे जनार्दन भाटी को गौतमबुद्धनगर जिले का, अन्नू चौधरी को बुलंदशहर, मथुरा में राजपाल भृङ्गर, हाथरस में केशव देव चौधरी, मेरठ में मतलूब गौड़, मुजफ्फर नगर में संदीप मलिक व शामली में वाजिद अली के साथ साथ बिजनौर जिले में नागेंद्र पंवार को राष्ट्रीय लोक दल का जिलाध्यक्ष बनाया गया है। सभी नए जिलाध्यक्षों को तुरंत पदभार संभाल कर अपनी अपनी कमेटी गठित करने के निर्देश भी दिए गए हैं। रालोद प्रवक्ता का दावा है कि पश्चिमी यूपी में रालोद मजबूत विपक्ष की भूमिका पूरी जिम्मेदारी से निभा रहा है।
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Chat Puja 2022 : उत्तर भारत का प्रमुख पर्व है छठ पूजा, राजस्थान के गुर्जर भी मनाते हैं छठ का त्यौहार

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Chat Puja 2022
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calendar01 Dec 2025 04:43 AM
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डॉ सुशील भाटी Chat Puja 2022 :  सूर्य उपासना का महापर्व हैं- छठ पूजा| यह त्यौहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश मनाया जाता हैं| सूर्य पूजा का यह त्यौहार क्योकि षष्ठी को मनाया जाता हैं इसलिए लोग इसे सूर्य षष्ठी भी कहते हैं| इस दिन लोग व्रत रखते हैं और संध्या के समय तालाब, नहर या नदी के किनारे, बॉस सूप घर के बने पकवान सजा कर डूबते सूर्य भगवान को अर्ध्य देते हैं| अगले दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता हैं|

Chat Puja 2022 :

सूर्य षष्ठी के दिन सूर्य पूजा के साथ-साथ कार्तिकेय की पत्नी षष्ठी की भी पूजा की जाती हैं| पुराणों में षष्ठी को बालको को अधिष्ठात्री देवी और बालदा कहा गया हैं|लोक मान्यताओ के अनुसार सूर्य षष्ठी के व्रत को करने से समस्त रोग-शोक, संकट और शत्रुओ का नाश होता हैं| निः संतान को पुत्र प्राप्ति होती हैं तथा संतान की आयु बढती हैं| सूर्य षष्ठी के दिन दक्षिण भारत में कार्तिकेय जयंती भी मनाई जाती हैं और इसे वहाँ कार्तिकेय षष्ठी अथवा स्कन्द षष्ठी कहते हैं | सूर्य, कार्तिकेय और षष्ठी देवी की उपासनाओ की अलग-अलग परम्परों के परस्पर मिलन और सम्मिश्रण का दिन हैं कार्तिक के शुक्ल पक्ष की षष्ठी| इन परम्पराओं के मिलन और सम्मिश्रण सभवतः कुषाण काल में हुआ| चूकि भारत मे सूर्य और कार्तिकेय की पूजा को कुषाणों ने लोकप्रिय बनाया था, इसलिए इस दिन का ऐतिहासिक सम्बन्ध कुषाणों और उनके वंशज गुर्जरों से हो सकता हैं| कुषाण और उनका नेता कनिष्क (78-101 ई.) सूर्य के उपासक थे| इतिहासकार डी. आर. भंडारकार के अनुसार कुषाणों ने ही मुल्तान स्थित पहले सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था| भारत मे सूर्य देव की पहली मूर्तिया कुषाण काल मे निर्मित हुई हैं| पहली बार कनिष्क ने ही सूर्यदेव का मीरो ‘मिहिर’ के नाम से सोने के सिक्को पर अंकन कराया था| अग्नि और सूर्य पूजा के विशेषज्ञ माने जाने वाले इरान के मग पुरोहित कुषाणों के समय भारत आये थे| बिहार मे मान्यता हैं कि जरासंध के एक पूर्वज को कोढ़ हो गया था, तब मगो को मगध बुलाया गया| मगो ने सूर्य उपासना कर जरासंध के पूर्वज को कोढ़ से मुक्ति दिलाई, तभी से बिहार मे सूर्य उपासना आरम्भ हुई |

Chat Puja 2022 :

भारत में कार्तिकेय की पूजा को भी कुषाणों ने लोकप्रिय बनाया और उन्होंने भारत मे अनेक कुमारस्थानो (कार्तिकेय के मंदिरों) का निर्माण कराया था| कुषाण सम्राट हुविष्क को उसके कुछ सिक्को पर महासेन 'कार्तिकेय' के रूप में चित्रित किया गया हैं| संभवतः हुविष्क को महासेन के नाम से भी जाना जाता था| मान्यताओ के अनुसार कार्तिकेय भगवान शिव और पार्वती के छोटे पुत्र हैं| उनके छह मुख हैं| वे देवताओ के सेना ‘देवसेना’ के अधिपति हैं| इसी कारण उनकी पत्नी षष्ठी को देवसेना भी कहते हैं| षष्ठी देवी प्रकृति का छठा अंश मानी जाती हैं और वे सप्त मातृकाओ में प्रमुख हैं| यह देवी समस्त लोको के बच्चो की रक्षिका और आयु बढाने वाली हैं| इसलिए पुत्र प्राप्ति और उनकी लंबी आयु के लिए देवसेना की पूजा की जाती हैं| कुषाणों की उपाधि देवपुत्र थी और वो अपने पूर्वजो को देव कहते थे और उनकी मंदिर में मूर्ति रख कर पूजाकरते थे, इन मंदिरों को वो देवकुल कहते थे| एक देवकुल के भग्नावेश कुषाणों की राजधानी रही मथुरा में भी मिले हैं| अतः कुषाण देव उपासक थे| यह भी संभव हैं कि कुषाणों की सेना को देवसेना कहा जाता हो| देवसेना की पूजा और कुषाणों की देव पूजा का संगम हमें देव-उठान के त्यौहार वाले दिन गुर्जरों के घरों मेंदेखने को मिलता हैं| कनिंघम ने आधुनिक गुर्जरों की पहचान कुषाणों के रूप में की हैं| देव उठान त्यौहार सूर्यषष्ठी के चंद दिन बाद कार्तिक की शुक्ल पक्ष कि एकादशी को होता हैं| पूजा के लिए बनाये गए देवताओं के चित्र के सामने पुरुष सदस्यों के पैरों के निशान बना कर उनके उपस्थिति चिन्हित की जाती हैं| गुर्जरों के लिए यह पूर्वजो को पूजने और जगाने का त्यौहार हैं| गीत के अंत में नख (कुल-गोत्र) के देवताओ के नाम का जयकारा लगाया जाता हैं, जैसे- जागो रे कसानो के देव या जागो रे बैंसलो के देव| देव उठान पूजन के अवसर पर गए जाने वाले मंगल गीत में घर की माताओं और उनके पुत्रो के नाम लिए जाते है और घर में अधिक से अधिक पुत्रो के जन्मने की कामना और प्रार्थना की जाती हैं| देवसेना और देव उठान में देव शब्द की समानता के साथ पूजा का मकसद- अधिक से अधिक पुत्रो की प्राप्ति और उनकी लंबी आयु की कामना भी समान हैं| दोनों ही त्यौहार कार्तिक के शुक्ल पक्ष में पड़ते हैं| गुर्जरों के साथ सूर्य षष्ठी का गहरा संबंध जान पड़ता हैं क्योकि सूर्य षष्ठी को प्रतिहार षष्ठी भी कहते हैं| प्रतिहार गुर्जरों का प्रसिद्ध ऐतिहासिक वंश रहा हैं| प्रतिहार सम्राट मिहिरभोज (836-885 ई.) के नेतृत्व मे गुर्जरों ने उत्तर भारत में अंतिम हिंदू साम्राज्य का निर्माण किया था, जिसकी राजधानी कन्नौज थी| मिहिरभोज ने बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश को जीत कर प्रतिहार साम्राज्य मे मिलाया था, सभवतः इसी कारण पश्चिमी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ भाग को आज तक भोजपुर कहते हैं| सूर्य उपासक गुर्जर और उनका प्रतिहार राज घराना सूर्य वंशी माने जाते हैं| गुर्जरों ने सातवी शताब्दी मे, वर्तमान राजस्थान मे स्थित, गुर्जर देश की राजधानी भीनमाल मे जगस्वामी सूर्य मंदिर का निर्माण किया गया था| इसी काल के, भडोच के गुर्जरों शासको के, ताम्रपत्रो से पता चलता हैं कि उनका शाही निशान सूर्य था| अतः यह भी संभव हैं कि प्रतिहारो के समय मे ही बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में सूर्य उपासना के त्यौहार ‘सूर्य षष्ठी’ को मनाने की परम्परा पड़ी हो और प्रतिहारो से इसके ऐतिहासिक जुड़ाव के कारण सूर्य षष्ठी को प्रतिहार षष्ठी कहा जाता हैं| गुर्जर समाज मे छठ पूजा का त्यौहार सामान्य तौर पर नहीं होता हैं, परतु राजस्थान के गुर्जरों मे छाठ नाम का एक त्यौहार कार्तिक माह की अमावस्या दीपावली के दिन होता हैं| इस दिन एक नख (गोत्र) के गुर्जर नदी या तालाब के किनारे इक्कट्ठे होते हैं और अपने पूर्वजो को याद करते हैं| पुर्वजो का तर्पण करने के लिए वो उन्हें धूप देते हैं, घर से बने पकवान जल मे प्रवाहित कर उनका भोग लगते हैं तथा सामूहिक रूप से हाथो मे ड़ाब की रस्सी पकड़ कर सूर्य को सात बार अर्ध्य देते हैं| इस समय उनके साथ उनके नवजात शिशु भी साथ होते हैं, जिनके दीर्घायु होने की कामना की जाती हैं| हम देखते हैं कि छाठ और छठ पूजा मे ना केवल नाम की समानता हैं बल्कि इनके रिवाज़ भी एक जैसे हैं| राजस्थान की ‘छाठ परंपरा’ गुर्जरों के बीच से विलोप हो गयी छठ पूजा का अवशेष प्रतीत होती हैं । { लेखक इतिहास के मर्मज्ञ हैं }
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BREAKING NEWS: कांग्रेस का होगा पुनर्गठन, पदाधिकारियों ने दिए त्याग पत्र

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calendar26 Oct 2022 10:41 PM
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BREAKING NEWS: मल्लिकार्जुन खड़गे के नए कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद कार्यसमिति के सभी सदस्यों, महासचिवों और प्रभारी ने अपना अपना त्याग पत्र दे दिया, ताकि नए प्रमुख को अपनी टीम स्थापित करने में मदद मिल सके। नए अध्यक्ष के चुनाव के तुरंत बाद कांग्रेस के सभी पदाधिकारियों के त्याग पत्र देने की परंपरा रही है।

BREAKING NEWS

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सभी सीडब्ल्यूसी सदस्यों, एआइसीसी महासचिवों और प्रभारी ने कांग्रेस अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। कांग्रेस के संविधान के अनुसार, खड़गे के चुनाव की पुष्टि पार्टी के पूर्ण सत्र में की जाएगी, जो इस साल मार्च-अप्रैल में होने की संभावना है। नई सीडब्ल्यूसी, जो कांग्रेस की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था है, पूर्ण सत्र के तुरंत बाद खड़गे द्वारा पुनर्गठित की जाएगी।

आपको बता दें कि कांग्रेस के पार्टी संविधान के अनुसार सीडब्ल्यूसी के 11 सदस्य मनोनीत होंगे और 12 निर्वाचित होंगे। इसके अलावा संसद में पार्टी के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष भी कार्यसमिति के सदस्य होंगे। हालांकि, जब तक खड़गे के चुनाव की पुष्टि नहीं हो जाती, तब तक नए पार्टी प्रमुख द्वारा एक नई संचालन समिति का गठन किया जाएगा जो पूर्ण सत्र तक सीडब्ल्यूसी के रूप में कार्य करेगी।

इससे पहले, अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने के बाद खड़गे ने कहा कि आज मेरे लिए बहुत ही भावुक क्षण है। आज एक कार्यकर्ता मजदूर के बेटे, एक सामान्य कार्यकर्ता को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुनने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा कि जो यात्रा मैंने 1969 में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में शुरू की थी, उसे आपने आज इस मुकाम पर पहुंचाया है।